डॉ. प्रिया
_एड्स का मूल कारण सेक्स है. सैलून, व्यूटी पार्लर, चिकित्सालय वेगैरह भी एड्स~प्रसार के कारण बनते हैं : अगर इनके उपकरण पर HIV वायरस चिपके हैं. अर्थात यौनिक स्राव के आलावा ब्लड टचिंग से भी एड्स का प्रसार होता है. सेक्स मूलभूत कारण है. दुराचार से सबसे पहले बचें. कंडोम बचाव का अमोघ हथियार नहीं है. ओरल सेक्स से आप लार के संपर्क में आते हैं. पसीने से एक दूसरे को ग्रहण करते हैं और स्वास से भी. लार और पसीने से सीधे एड्स के वायरस आपमें ट्रांसफर नहीं होते, लेकिन अन्य रोगणु ट्रांसफर होते हैं जो आपकी रोगरोधी क्षमता का भक्षण कर लेते हैं. इसलिए सेक्सुअल रिलेशन एक से रखें, उससे रखें जो स्वस्थ हो, रोगी नहीं हो._
एड्स जिंदगी को खोखला कर देता है. यह लाईलाज महारोग है. यह जिंदगी भर चलता है और मौत बहुत जल्दी लाता है.
एचआईवी वायरस संक्रमित व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को पूरी तरह खराब कर देता है। इसके कारण व्यक्ति को लॉन्ग टर्म में बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। हालांकि एड्स के उपचार के लिए जिन दवाओं का प्रयोग किया जाता है, वे कुछ हद तक गंभीर बीमारियों को मैनेज करने में सक्षम होती हैं। लेकिन एचआईवी वायरस अभूतपूर्व ढंग से जेनेटिकली खुद को बदल लेता है। इसमें व्यक्ति को आजीवन संक्रमित करने की क्षमता है।
‘एड्स (AIDS or Acquired Immunodeficiency Syndrome) एचआईवी (HIV or Human Immunodeficiency Virus) संक्रमण का अंतिम चरण है। एचआईवी इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। इससे व्यक्ति विभिन्न तरह के संक्रमणों और बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाता है। लंबे समय में एड्स का व्यक्ति के शरीर पर बहुत अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। ये बुरे प्रभाव व्यक्ति और उनके द्वारा अनुभव किए जाने वाले विशिष्ट संक्रमण या जटिलताओं के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।’
इन 07 तरीकों से एड्स आप को आजीवन प्रभावित करता रहता है :
1 अनपेक्षित या अवसरवादी संक्रमण :
(Opportunistic Infections)
एड्स प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है। इससे व्यक्ति समय के साथ संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।
इसके कारण निमोनिया, टीबी, कैंडिडिआसिस (yeast infection), साइटोमेगालोवायरस (CMV) संक्रमण और टोक्सोप्लाज़मोसिज़ शामिल हैं।
2 न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं :
(Neurological Complications)
एड्स सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। यह विभिन्न न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं को जन्म दे सकता है। एचआईवी से जुड़े तंत्रिका संबंधी विकार जैसे संज्ञानात्मक हानि (cognitive loss), मेमोरी प्रॉब्लम (memory) और कॉनशनट्रेशन में कठिनाई का कारण बन सकते हैं।
एचआईवी से जुड़े डिमेंशिया और न्यूरॉन लॉस जैसी अन्य स्थितियां भी हो सकती हैं।
3 कैंसर :
(Cancer)
एड्स से पीड़ित व्यक्तियों में कुछ प्रकार के कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। विशेष रूप से वे जो वायरल संक्रमण से जुड़े होते हैं। इनमें कपोसी का सरकोमा, गैर-हॉजकिन लिंफोमा और इनवेसिव सर्वाइकल कैंसर शामिल हैं।
एड्स से पीड़ित व्यक्तियों में कुछ प्रकार के कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
4 वेस्टिंग सिंड्रोम :
(Wasting Syndrome)
एड्स से संबंधित वेस्टिंग सिंड्रोम, जिसे कैशेक्सिया (cachexia) के रूप में भी जाना जाता है। इसके कारण वजन, मांसपेशियों और ताकत में कमी आ जाती है।
यह कमजोरी, थकान और समग्र स्वास्थ्य में गिरावट का कारण बन सकता है।
5 हृदय रोग :
(Heart Disease)
एड्स से पीड़ित लोगों में हृदय रोग, दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसे हृदय रोगों का खतरा अधिक होता है।
पुरानी सूजन, एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी के दुष्प्रभाव और खराब जीवनशैली जटिलताओं को बढ़ा सकते हैं।
6 गुर्दे की बीमारी :
(Kidney Disease)
एचआईवी से जुड़ी नेफ्रोपैथी किडनी की बीमारी है, जो एड्स संक्रमित व्यक्तियों में हो सकती है।
यह गुर्दे की क्षति का कारण बन सकता है और समय के साथ गुर्दे की कार्यप्रणाली को ख़राब कर सकता है।
7 मानसिक स्वास्थ्य की समस्या:
(Mental health problem)
एड्स के साथ रहना और लंबे समय तक इसके प्रभावों से जूझना मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ने लगता है।
एड्स से ग्रस्त व्यक्तियों में अवसाद (Depression) , चिंता (Anxiety) और अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याएं आम हैं।
एड्स के उपचार :
(AIDS Treatment)
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी में प्रगति के साथ एचआईवी संक्रमण से एड्स तक की प्रगति काफी धीमी हो गई है।
इन दीर्घकालिक दुष्प्रभावों (long-term side effects) में से कई को उचित चिकित्सा देखभाल और उपचार से रोका या प्रबंधित किया जा सकता है।
नियमित चिकित्सा, फ़ॉलो अप, एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी का पालन और स्वस्थ लाइफस्टाइल एड्स के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। इससे व्यक्ति का समग्र स्वास्थ्य और वेलनेस थोड़ा बढ़िया होगा।