रमाशंकर सिंह
अखिलेश ने कमाल किया है , उनको यहॉं से और आगे बढ़ना होगा ; दो साल बाद विधानसभा चुनाव जीतने के लिये । जो बिछुड़े या छूट गये सबको साथ लेकर एक नई सामाजिक इंजीनियरिंग और अच्छी क़ानून व्यवस्था के वायदे के साथ । सवर्णों को भी साधते हुये। मोदी और योगी की संयुक्त ताक़त का सफल मुक़ाबला अखिलेश और राहुल ने जीत कर किया !
ममता दीदी लगातार एक अविजित सेनापति के रूप में क़ायम हैं और प्रमाणित करती हैं कि बंगाल मोदी उनके मुक़ाबले फीके ही नहीं प्रभावहीन हैं। कांग्रेसी विदूषक अधीर रंजन को धूल चटाना ज़रूरी था जो अमित शाह का छुपा जासूस था। सीपीएम व समूचे लेफ़्ट को लगातार शून्य पर रखना लंबान की सफलता है।
तेजस्वी में संभावना अभी भी हैं लेकिन लालू और परिवार के पार सोचने पर ही। लालू अब तेजस्वी का नुक़सान ही कर रहे हैं , जितनी जल्दी लालू पटना छोड़कर दिल्ली सिंगापुर में बस जाये उतना ही राजद के लिये अच्छा है।
अजीत पंवार और शिंदे गुट के सभी विधायकों को अब तोड़कर उद्धव ठाकरे व शरद पंवार को पुन: महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनानी चाहिये और विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरु करनी होगी। यही उचित समय है कि सुप्रिया सुले को एनसीपी प्रमुख अब बना देना होगा।
दिल्ली हरियाणा और बिहार के चुनाव आने वाले हैं । दिल्ली में आप एवं कांग्रेस को फिर से मिलकर चुनाव लड़ना होगा चाहे लोकसभा में सफलता न भी मिली हो तो। हरियाणा व पंजाब में किसानों के भाजपा विरोधी ग़ुस्से को विधानसभा चुनावों में चैनलाइज करना चाहिये कि किसान क्रोध का कारण मोदी अभी बने हुये हैं।
हिमाचल सबसे ज़्यादा अस्थिर हो सकता है लेकिन सबसे पहले कर्नाटक पर ध्यान देना होगा।
नीतीश की तीन प्रमुख माँगें रहीं है – विशेष राज्य का दर्जा , पटना विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा और भोजपुरी को संविधान में एक भाषा की मान्यता। इंडिया गठबंधन को ये तीनों माँगे मानकर नीतीश को धर्मसंकट में फँसाना चाहिये और राहुल गांधी को सीधे नीतीश से लगातार संपर्क में रहना चाहिये। देरसबेर यह काम आयेगा।
कांग्रेस को अब ओड़िसा आंध्र में बीजद और तेदेपा से क्रमशः कामकाजी बातचीत बनाये रखनी चाहिये। राहुल को 24×7 राजनीतिज्ञ बनना पड़ेगा और अपने दरबार को खोलना पड़ेगा जिसके लिये एकदम नयी कार्यालयीन टीम गठित करनी होगी।
संघ द्वारा भाजपा पर नियंत्रण बनाये रखने के लिये मोशा से मुक्ति पानी होगी , यही समय है जब पार्टी को बहुमत नहीं दिला पाने के आरोप में भाजपा संसदीय दल का नेता बदला जा सकता है। शुरुआत में गड़करी – राजनाथ- शिवराज की त्रयी को एकसाथ टीम के रूप में उभारना लंबे समय के लिये उचित होगा।