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साम्प्रदायिक सदभाव से देश का सर्वागीण विकास संभव 

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 भरत गहलोत

 वर्तमान समय में जब आदमी बारूद के ढेर पर बैठकर सिगरेट पीने का काम कर रहा है, 

रूस यूक्रेन जैसे देश पर आक्रमण कर रहा है ,

यह सब जानते हुए भी की युध्द किसी भी समस्या का सटीक समाधान नही है वरन युद्ध से उल्टा हानि ही है युद्ध करने वाले (हमला करने वाले )को व युद्ध से प्रभावित (जिस देश पर हमला किया जा रहा है,)

युद्ध से परिणाम हमेशा ही भयावह ही रहें है,

युद्ध के भीषण व भयंकर परिणाम आने वाली पीढियो व उन दोनों पर निर्भर अन्य देशो को भी भुगतना पड़ता है,

उदाहरण के लिए अमेरिका का जापान के हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम से हमला करना ,

आज भी परमाणु बम के दुष्प्रभाव के कारण वहा पर संतति अपाहिज व शारीरिक अक्षमता को लेकर जन्म लेती है,

रूस व यूक्रेन के परस्पर युद्ध से विश्व की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है व आने वाले समय मे भी होगी,

भारत मे राजनीतिक दलों द्वारा परस्पर दो सम्प्रदायों में टकराव की स्थिति पैदा करना,

अपनी राजनीतिक व निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए जनता को भृमित करते 

मंदिर मस्जिद के मामलों में उलझाए रखना,

राजनीतिक दलों द्वारा एक दूसरे सम्पदाय का पक्ष लेना सिर्फ दिखावे के तौर पर वास्तविकता यह है कि चाहे कोई भी पार्टी हो उनको धर्म, मजहब से कोई लेना देना नही है ,

उन्हें सब जनता को मंदिर मस्जिद के नाम पर जनता को आपस में लड़ाना आता है व अपने स्वार्थ पूरे करने आते है,

राजनेताओं को चाहिए कि अपने निजी राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर जनता के बारे में सोचे ,

अपने चुनाव प्रचार के पर्चे व घोषणा पत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य,रोजगार ,चिकित्सा , को प्राथमिकता देते हुए इस और कार्य किया जाए जो राजनेताओ के लिए संभव नही है ,

जनता को चाहिए की परस्पर मनभेद मिटाकर साम्प्रदायिक सदभाव की भावना रखते हुए,

वसुदेव कुटुम्बकम की अवधारणा का अनुसरण करते हुए इस देश में आपस मे प्रेमपूर्वक रहे व आने वाली पीढ़ियों को एक उत्कष्ट आदर्श प्रदान करे,

 भरत गहलोत 

जालोर राजस्थान

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