अग्नि आलोक

मानसून सत्र का सारा सूत्र तैयार है

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मानसून नज़दीक है
छत में रिसाव
दीवार में दरार है
लाचारी अकेली इस साल की नहीं
हर साल की है

लेदर ठीक है, मगर
गमबूट ज़्यादा ठीक रहेगा

अच्छी बात है
गैस सस्ती हो गई
लकड़ियां रखने की जगह
मिल गई
और भीगने से बच गई

अच्छा नहीं लगता कि
बेजान ज़िंदगी को उधार की ज़िंदगी कहें
बगुलों में फिर भी हिम्मत है उड़ने की
मानसून के केरला पहुंचने की खबर पक्की है

रोहिणी जितनी तपनी थी
तप चुकी, सेंसेक्स
अपने उफान पर है

झुनझुनवाला दांव
जिस स्टॉक पर खेला
कमाल का खेला
तालीम और तजुर्बा के हिसाब से
मानसून की उसकी समझ अद्भुत थी

कैसीनो
कल की तरह आज भी
उसी सज धज में है
कैफ़े पब नाचकर की रौनक़ बरकरार है
मानसून, बरसे न बरसे
लास वेगास का यह चश्मा
लबालब भरा है

विरोधियों के सवालों के जवाब
देने हैं नहीं देने हैं
कितना देना
कितना दबाना है
किस से कैसे निबटना है
मानसून सत्र का सारा सूत्र तैयार है

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