~ डॉ. नीलम ज्योति
मेहनतकस किसान, मजदूर, फैक्ट्री वर्कर्स या लग्जरी लाइफ जीने वाले विलासी लोगों के आलवा बाकी सबको थकान महसूस होती रहती है। हलांकि ऐसे लोग रात में बेड पर फिर भी एक्टिव रहते हैं और काफी एनर्जेटिक महसूस करते हैं।
संभव है कि ऐसा आपके साथ भी होता हो। ऑफिस पहुंचने के तुरंत बाद आपको काम करने का मन नहीं करता हो। जैसे ही शाम होने को आती होगी, आप फटाफट काम निबटाने लगते होंगे। क्या यह ख़ास आदत किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या है? जी हाँ. विशेषज्ञ इसे एचपीए डिसफंक्शन यानी एचपीएडी (Hypothalamic-Pituitary-Adrenal Dysfunction) कहते हैं।
*क्या है एचपीए डिसफंक्शन?*
कुछ लोगों के दिन की शुरुआत ही रात में होती है। उनमें एनर्जी का विस्फोट होता है। कभी-कभी तो इस एनर्जी कि वजह से नींद ही नहीं आती है। इसके पीछे एचपीए डिसफंक्शन जिम्मेदार हो सकता है।
एचपीए डिसफंक्शन तब होता है, जब एचपीए एक्सिस के तीन घटकों में से एक या अधिक वह काम नहीं कर पाता है, जो उसे करना चाहिए।
यदि हाइपोथैलेमस एसीटीएच (ACTH) रिलीज करने के लिए पिट्यूटरी ग्लैंड को संकेत देने में विफल रहता है, तो एड्रीनल ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में कोर्टिसोल का उत्पादन नहीं कर पाती है।
*क्यों होती है यह समस्या?*
जब बहुत ज्यादा स्ट्रेस होता है, तो बहुत ज्यादा कोर्टिसोल सीक्रेट होता है। यह एचपीए डिसफंक्शन का कारण बनता है।
इसकी वजह से एंग्जायटी, मूड स्विंग, एनर्जी नहीं रहना, फोकस नहीं रहना, प्रोडक्टिविटी नहीं रहना समस्याएं होती हैं। इसलिए एचपीए एक्सिस को बैलेंस करना सबसे ज्यादा जरूरी है।
इन 4 तरीकों से एचपीए को कंट्रोल किया जा सकता है :
*1. अर्थिंग शुरू करें :*
खुले पैर घास वाले गार्डन में चलें। इससे इन्फ्लेमेशन कम होगा। घास पर नंगे पैर चलने से तनाव कम हो सकता है। यह कोर्टिसोल के स्तर को कम कर सकता है। सुबह सबसे पहले घास पर नंगे पैर चलना विशेष रूप से फायदेमंद होता है।
इससे नर्वस सिस्टम, न्यूरॉन को सक्रिय करने और मूड में सुधार करने में मदद मिलती है।
*2. डीप ब्रीदिंग :*
बेली ब्रीदिंग (Belly Breathing) में डायफ्राम का इस्तेमाल होता है। पेट से गहरी सांस लेने से ऑक्सीजन इंटेक को बढ़ावा मिलता है। बाहर जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड के लिए सही मात्रा में ऑक्सीजन शरीर के अंदर आ पाटा है।
यह दिल की धड़कन को धीमा कर सकता है। रक्तचाप को कम या स्थिर कर रिलैक्स फील करा सकता है। इसमें चेस्ट और शोल्डर का इस्तेमाल नहीं करें।
*3. टॉक्सिक एक्टिविटी को कहें ना :*
किसी भी प्रकार की एक्टिविटी को ना कहें, जो आपकी प्रोडक्टिविटी को कम कर दे। आपके मूड को प्रभावित कर दे। आपको सब कुछ हर वक्त करने की जरूरत नहीं है। अपने आपको प्राथमिकता दें।
यदि आप किसी भी प्रकार के टॉक्सिक रिलेशन में हैं, तो उसे खत्म कर देना चाहिए। मन को व्यथित करने वाली भावनाओं और लोगों से बचें। अपनी भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करें। ख़ुशी का एहसास कराने वाले काम करें।
*4. सोशल इंट्रेक्शन को प्राथमिकता दें :*
इंसान एक सोशल प्राणी है। इसलिए खुद को बैलेंस करने के लिए सोशल इंट्रेक्शन को प्राथमिकता दें। अपने आस पास के लोगों से बातें करें। जिनसे आप प्यार करती हैं, उनके साथ घुलें-मिलें। अकेले नहीं रहें।
अपने आसपास के लोगों से बातें करें।एन्जॉय सोशल इंटरेक्शन। इससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। यह आपके मूड को हल्का कर सकता है। यह आपको खुशी महसूस करा सकता है। सामाजिक संपर्क मेंटल हेल्थ के लिए बढ़िया है।
इससे दूसरों पर विश्वास बढ़ता है। सुरक्षा, अपनेपन की भावना को भी बढ़ावा मिलता है।