कतर: फीफा विश्व कप 2022 में पुर्तगाल, ब्राजील और इंग्लैंड जैसी धाकड़ टीमें खिताबी रेस से बाहर हो चुकी है लेकिन टूर्नामेंट में एक ऐसी भी टीम है जो फुटबॉल फैंस के दिलों दिमाग पर छाया हुआ है। वह टीम है मोरक्को की। मोरक्को अफ्रीकी देशों की पहली टीम है जो फीफा विश्व कप के सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई है। 22वीं रैंकिंग की मोरक्को ने विश्व कप में पुर्तगाल जैसी टीम को धूल चटाकर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। ऐसा सिर्फ टीम के खिलाड़ियों की मेहनत और लगन से ही संभव हो पाया है लेकिन मोरक्को की इस सफलता के पीछे टीम के कोच वालिद रेगरागुई की भूमिका को नहीं झुठलाया जा सकता है। वालिद रेगरागुई ही पर्दे के पीछे का वो असली हीरो हैं जिसने मोरक्को के लिए ऐतिहासिक कहानी लिखी है।
वालिद रेगरागुई को इसी साल अगस्त में मोरक्को का कोच नियुक्त किया गया था। विश्व फुटबॉल में मोरक्को का ओहदा कभी भी उस स्तर का नहीं रहा कि कोई ये कल्पना कर सके कि वह फीफा विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में भी पहुंच सकता है लेकिन टीम ने तमाम संभावनाओं और भविष्यवाणियों को झुठलाते हुए वह कर दिखाया जिसके लिए फुटबॉल के इतिहास में हमेशा प्रशंसा की हकदार रहेगी।
मोरक्को टीम के कोच बनने के बाद से ही वालिद रेगरागुई के सामने कई बड़ी चुनौतियां रही। मोरक्को के कई बड़े खिलाड़ी विदेशी लीग में खेलते हैं। हालांकि सोफियान बाउफल, रोमेन सैस, अशरफ हकीमी और यासिन बोनो जैसे खिलाड़ी अपनी नेशनल टीम के लिए कई बड़े टूर्नामेंटों में पहले भी हिस्सा लिए हैं लेकिन उनका प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा था लेकिन कोच वालिद रेगरागुई ने इन सभी खिलाड़ियों को एकजुट कर एक ऐसी टीम का निर्माण किया जिसे पुर्तगाल जैसी धाकड़ टीमें भी उसे नहीं भेद पाई।
कौन हैं मोरक्को के कोच वालिद रेगरागुई
वालिद रेगरागुई का जन्म 23 सितंबर 1975 को फ्रांस में हुआ था लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर वह मोरक्को के लिए फुटबॉल खेले हैं। मोरक्को के लिए उनका इंटरनेशनल करियर 2001 से 2009 तक रहा। इसके अलावा भी वे कई क्लबों के लिए प्रोफेशनल फुटबॉल खेल चुके हैं लेकिन उन्हें सबसे बड़ी ख्याती फीफा विश्व कप 2022 में ही मिली है जब उनकी कोचिंग में टीम ने सेमीफाइनल का सफर तय किया है।
फीफा विश्व कप 2022 में अजेय है मोरक्को
फीफा विश्व कप 2022 में मोरक्को की टीम का प्रदर्शन अब तक शानदार रहा है। मोरक्को की टीम टूर्नामेंट में कुल पांच मैच खेल चुकी है जिसमें उसे चार में जीत मिली जबकि एक मुकाबला उसका ड्रॉ रहा। इस दौरान उसने बेल्जियम, स्पेन और पुर्तगाल जैसी टीम को धूल चटाया। ऐसे में सेमीफाइनल तक पहुंच चुकी मोरक्को अगर फीफा का खिताब जीत जाती है तो विश्व फुटबॉल में एक नए युग की शुरुआत मानी जाएगी।
बता दें कि अफ्रीकी देशों में मोरक्को से पहले कैमरून (1990), सेनेगल (2002) और घाना (2010) की टीम भी फीफा विश्व कप के क्वार्टर तक पहुंची है लेकिन यहां उनका सफर आगे नहीं बढ़ पाया था।