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वफादार भी है पशु भी है श्वान

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शशिकांत गुप्ते

महाराष्ट्र के प्रख्यात व्यंग्यकार स्व.पु.ल.देशपांडेजी सिर्फ व्यंग्यकार ही नहीं थे,वे विविध कलाओं में भी निपुण थे।
देशपांडेजी का विनोदी किस्सा है।
देशपाण्डेजी अपने कुछ साथियों के साथ सुबह घूमने जाते थे।
देशपांडेजी ने एक बंगले के गेट पर टंगे हुए ब्लैक बोर्ड पर एक सूचना पढ़ी। कुत्र्या पासून सावध रहा अर्थात कुत्ते से सावधान रहों।देशपांडेजी ने उसी ब्लैक बोर्ड पर आगे लिख दिया मालका पासून ही मतलब मालिक से भी सावधान रहो।
दूसरे दिन सुबह घूमते हुए पुनः देशपांडेजी की नजर उसी ब्लैक बोर्ड पर गई,उन्हें और भी मज़ाक सूझी, देशपांडेजी उसी ब्लैक बोर्ड पर आगे लिख दिया।
एक वेळेस कुत्र्या नुसता भुंकेल पण मालक चाऊ शकतो इसका हिंदी अनुवाद है,
एक बार कुत्ता सिर्फ भौंकेगा, लेकिन मालक काट भी सकता है।
देशपांडेजी का यह व्यंग्य बहुत चर्चित हुआ।
प्रायः देखा गया है कि गली कुत्तों (Street Dogs) की बेफजूल भौंकने की आदत होती है।एक भौंकता है तो गली के सारे भौंकने लगतें हैं।सम्भवतः कुत्तों के भौंकने का कारण कोई अज्ञात भय हो सकता है। यह तो पशुचिकित्सक ही बता सकतें हैं।
यह भी हो सकता है कि, कुत्तों की आदत ही होती होगी कि, एक भौंकने लग जाएं तो बगैर कारण जाने दूसरें भी भौंकने लग जातें हैं।
कुत्ता वफादार प्राणी है।वैसे कुत्ते की गिनती पशुओं में हो होती है।इसका मतलब कुत्ते के पास एक साथ दो विशेषताएं होती है।एक तो वह पशु है और वफादार भी होता है।
शायद पशुओं में सिर्फ कुत्ता ही ऐसा प्राणी है,जिसे द्वापरयुग में धर्मराज युधिष्ठिर के साथ स्वर्ग जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
ऐसी मान्यता है कि, कुत्ते को रोटी खिलाने से,दूध पिलाने से भैरवबाबा प्रसन्न होतें हैं।
कॉलोनियों में बहुत से पशुप्रेमी सुबह या शाम घूमने जातें हैं।तब गली केकुत्तों को बिस्कुट ख़िलातें हैं, दूध पिलातें हैं।
एक बार लेखक कुछ लोगों का पशुप्रेम प्रत्यक्ष देख रहा था।उसी समय अचानक लेखक की व्यंग्यकार मित्र से भेंट हो गई।
लेखक ने व्यंग्यकार मित्र को श्वान प्रेम का आँखों से देखा वाकया सुनाया।
वाकया सुनकर व्यंग्यकार मित्र ने व्यंग्यात्मक शैली में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्ति की।
महोदय आपका प्रत्यक्षदर्शि वाकया सुनकर मुझे पुण्य और पाप का अंतर समझमें आरहा है।
जो लोग श्वानों को ख़िलातें पिलातें हैं,उन्हें तो अवश्यही पुण्य मिलता होगा? यही श्वान जब रातबेरात में दुपहियां वाहन चालकों पर दौड़तें हैं,उनपर भौंकतें हैं,उन्हें लबुरतें हैं और काट भी लेतें हैं।जिनको गली के श्वान लबुरतें हैं काटतें हैं उन्हें निश्चित ही उन्हें उनके पापों की सज़ा मिलती होगी?
व्यंग्यकार ने अपना वक्तव्य जारी रखतें हुए कहा कुत्ता वफादार प्राणी होता है,लेकिन किसी भी वफादार को कुत्ता संबोधित नहीं किया जा सकता है?
कुत्तों की बहुत सी नस्लें होतीं हैं।
एक नस्ल तो भेड़ियों के साथ स्त्रीलिंगी श्वान का प्रेमविवाह करवा कर तैयार की है।
कुत्तों में सूंघने की क्षमता बहुत अद्भुत होती है। श्वान अपराधी को भी सूंघ कर पकड़ लेतें है। श्वान सिर्फ सूंघ कर विस्फोटक रसायनों का पता लगा लेतें हैं।
पुलवामा के जंघन्य कांड के समय हमारी सुरक्षा व्यवस्था में सम्भवतः चूक हो गई।शायद वहाँ कुत्तों को लेजाकर तहकीकात नहीं करवाई गई?
जो भी हो कुत्ता पशु होतें हुए भी वफादार होता है।यह महत्वपूर्ण है।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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