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पशुओं को नाथे, स्त्रियों को नथ पहनाई और नाथ बन गये पुरुष 

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  ~> दिव्या गुप्ता, दिल्ली 

   पशुओं को नाथने के बाद स्त्री के हाथ में मोटे-मोटे कड़े टाइप कंगन, गले में हँसुली और पैर में जंजीर रूपी मोटे कड़े पहनाए गए. इसके बाद उसकी नाक में नथ डालकर उसे भी पशुओं की तरह नाथ दिया गया. इस तरह पुरुष नाथ बन गया.

     इसी तरह का भारतीय राजनैतिक इतिहास भी है. जी हाँ, इस इंडिया का इतिहास मात्र कुछ ही नामों के बीच सिमटा हुआ है, बाकी लम्बी चौडी कहानियाँ सब फेक है।

    रानी विक्टोरिया के इण्डिया के पहले दरबार को दिल्ली दरबार कहा गया. दिल्ली दरबार और लोगो के दिमाग में दिल्ली को पावर सेण्टर बनाने के लिये कहानियों में  GT रोड पर पानीपत स्टेडियम में लड़ाइयाँ करवा कर दिल्ली को लूटवाया गया।

      जब भी किसी देश को ब्रिटिश कोलोनी बनाया जाता था तब उस देश के सभी नागरिकों को ब्रिटिश जनता जैसे हक़ हुकूक हासिल होते थे। 

      इण्डिया ब्रिटेन की कोलोनी नहीं था बल्कि 1876 से सीधा रानी विक्टोरिया का राज लागू हुआ था।

   1876 में ब्रिटेन की संसद में रॉयल टाइटल्ज़ एक्ट 1876 पास करवा कर ब्रिटेन की राणी विक्टोरिया ने खुद को इण्डिया की नाजायज़ बीवी घोषित किया। 

     चूँकि किसी भी नाजायज़ बीवी को घर के मेम्बर के स्पोर्ट की ज़रूरत होती है ताकि वह उस घर में अपना पैर फ़ँसा सके। 

     रानी विक्टोरिया क़े इण्डिया से नाजायज़ रिश्ते क़ा इण्डिया में पैर फँसाने के लिये एक

अंगरेज़ अफ़सर ने ठीक सात साल बाद 1883 में Congress के गठन का प्रस्ताव रखा जिसकी पहली मीटिंग 28 दिसम्बर 1885 को हुई.  इस कोंग्रेस ने अपने भाशणो और स्कूली किताबों से देश को इंगलंड क़ा ग़ुलाम घोषित कर दिया। 

    अगर 1857 की कहानियों के कारण कोंग्रेस का जनम होता तो अंगरेज़ सरकार 28 साल नहीं लगाती। 

कोंग्रेस यानि मृतक आश्रित पार्टी का जनम रानी विक्टोरिया के इललेज़िटिमेट क्लेम यानि खुद को 1876 में इण्डिया की एम्प्रेस घोषित करने को लेजिटिमेसी देने के लिये किया था. वह कोंग्रेस यानि मृतक आश्रित पार्टी ने बखूबी किया।

   इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया को इण्डिया के किसी ग़ाम/व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह ने इण्डिया की रानी घोषित नहीं किया था. बल्कि रानी विक्टोरिया ने ख़ुद England की संसद से ख़ुद को इण्डिया की रानी घोषित करवाया था।

      यह कुछ ऐसा था जैसे कि किसी शानदार जानदार मर्द के प्यार में दिवानी होकर कोई औरत अपने परिवार से ख़ुद को ऊस मर्द की बीवी घोषित करवा दे।

अंगरेजो के साथ सरकारी शरणार्थी बन थाईलेंड से आयें रांगड शरणार्थीयों को माता रानी विक्टोरिया क़ी कृपा से इतिहास क़ी कहानियों में रांगड से राज़ा के पूत लिख थाईलेंड क़े राजा राम क़े वंशज भी लिख दिया.

     परन्तु  तब भी माता रानी विक्टोरिया का डर नस नस मे इस कदर भरा रहता है कि अपने पूर्वज थाईलेंड के राम क़े जयकारे क़ी जगह जयकारा माता (रानी विक्टोरिया) क़ी ही निकलता है।

       1857 की तथाकथित किरांति के बाद Punch नाम की मेगजिन में Sir John Tenniel का पोस्टर छपा। अब  समझ लो छाती पर चढ़ी हुई देबी की इंसपिरीशन कहाँ से मिली। 

      सनद रहे तब रानी विक्टोरिया इंग्लैंड की रानी थी। भविष्य पुराण में मुगलों से लेकर विक्टोरिया तक का जिक्र है।

     मतलब सेंसर कथाकार अंग्रेजों के प्रचारतंत्र के कर्मचारी थे। सभी पूराण सभी महाकाव्य सभी वेद अंगरेजो ने लिखवाये और प्रचारित भी किये। यूरोपियन की यरेशियन औलाद आज भी यही करते हैं।

    इसी दिल्ली दरबार में आप अगर काबिज हो जाओ तो आपके नाम का जयकारा लगाना शुरू कर देंगे लोग क्योंकि लोगो को सत्ता के लिए ही जीना मरना है। सत्ता के बिना जनता बिल्कुल निरीह बकरी की तरह है जो सिर्फ मेंमें करती है. (चेतना विकास मिशन).

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