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भाजपा का एक और शो….!

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पलाश सुरजन
जिस तरह राजकपूर और सुभाष घई जैसे फ़िल्मकारों को हिंदी सिनेमा का शोमैन कहा जाता है, वैसे ही मोदीजी और अब योगीजी को भी भारतीय राजनीति का शोमैन कहा जा सकता है। या ये भी हो सकता है कि भाजपा का प्रचार तंत्र किसी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की तरह काम करता है। इसलिए मोदीजी के हर कार्यक्रम को एक तड़कते-भड़कते शो की तरह बना दिया जाता है, जहां केवल मंच नहीं सजते, पूरा माहौल बनाया जाता है, ताकि लोगों को ये लगे कि ये सब वाकई 70 सालों में पहली बार हो रहा है।


एक दिन पहले प्रधानमंत्री भोपाल में थे, वहां उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर मनाए जा रहे जनजातीय गौरव दिवस में हिस्सा लिया। उनके कार्यक्रम के लिए बड़ी संख्या में आदिवासियों को लाने की ज़िम्मेदारी अधिकारियों और भाजपा कार्यकर्ताओं पर थी। हालांकि सभा स्थल में खाली पड़ी कुर्सियां इस कोशिश की असफलता की गवाह थीं। भोपाल में ही कल नरेन्द्र मोदी ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का फिर से उद्घाटन किया, क्योंकि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत इसे नया रूप-रंग और नया नाम दिया गया है। यानी निजी क्षेत्र की भागीदारी से इस स्टेशन का कायाकल्प किया गया है, इसे तमाम आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। और अब इस स्टेशन को गोंड रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा। मोदी जी के चार घंटों के भोपाल प्रवास पर करोड़ों रुपए बहाकर इसे मेगा इवेंट बनाया गया। आज यही सिलसिला उत्तरप्रदेश में जारी रहा।
उप्र में आज पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया। सात साल पहले तक प्रधानमंत्री या कोई और मंत्री इस तरह के कार्यक्रम करते थे, तो यह महज एक सरकारी आयोजन होता था। जिसमें मंच की साज-सज्जा, फूल-माला और दर्शकों को लाने ले जाने, उनके भोजन का प्रबंध करने जैसे खर्च ही हुआ करते थे। मगर अब नरेन्द्र मोदी का हरेक कार्यक्रम सरकारी न होकर राजनैतिक होता है, इसे भाजपाई कार्यक्रम भी कहा जा सकता है। जिसमें सब कुछ भाजपामय होता है और भाजपा के फायदे के लिए होता है। इसलिए पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करने प्रधानमंत्री मोदी अपने नए विमान से नहीं आए, बल्कि वायुसेना के सी-130 जे हरक्यूलिस विमान से एक्सप्रेस वे की हवाई पट्टी पर उतरे।
इस एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने पूरे कार्यक्रम को चुनावी सांचे में ढाल दिया। उन्होंने अपने भाषण में केंद्र सरकार के अनेक कामों का बखान किया, मुख्यमंत्री योगी को कर्मयोगी बताते हुए उनके काम की भी खूब तारीफ़ की। और इसके साथ ही पिछली सरकारों को कोसने से भी मोदीजी नहीं चूके। आखिर भाजपा की चुनावी रणनीति दूसरों की लकीर मिटाने की ही है। मोदीजी ने ये तक कह दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मेरे साथ खड़े रहने से डरते थे। मेरा स्वागत करके वो गायब हो जाते थे क्योंकि उन्हें शर्म आती थी कि उनके पास काम के रूप में दिखाने को कुछ नहीं है।अखिलेश यादव की इस तरह सरेआम निंदा करने का मतलब है कि भाजपा उन्हें अपने सबसे बड़े प्रतियोगी के रूप में देख रही है। 
20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सौगात देकर विकास के नाम पर पूर्वांचल की सियासी बिसात पर पांसा चला था, अब पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे इसी कड़ी में दूसरा बड़ा दांव माना जा रहा है। पूर्वांचल उप्र की सियासत में खास इसलिए है क्योंकि यहां जिस दल का दबदबा कायम हो जाता है, राज्य में सत्ता उसकी हो जाती है। मुलायम सिंह यादव, मायावती और आदित्यनाथ योगी तीनों ने पूर्वांचल के इस महत्व का अनुभव किया है। इस बार भाजपा के सामने सत्ता विरोधी लहर का ख़तरा है, इसलिए भाजपा चुनाव से पहले सारे पैंतरे आजमा लेना चाहती है। धर्म और विकास दोनों को अपने सत्ता के रथ में जोतना चाहती है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत राम मंदिर की प्रतिकृति भेंट की। सुलतानपुर के करवल खेड़ी में सामने आई इस तस्वीर से समझा जा सकता है कि चुनाव प्रचार में भाजपा एक तरफ धर्म के मुद्दे पर भी खुलकर खेलेगी, दूसरी तरफ विकास के दावे भी करेगी।
वैसे तक़रीबन साढ़े 22 हज़ार करोड़ रुपये की लागत से इस 341 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे को लेकर भाजपा का दावा है कि यह रिकार्ड वक्त में बना है। 2018 में इसका शिलान्यास हुआ था और अब उद्घाटन हो रहा है। पूर्वी और पश्चिमी उप्र को जोड़ने वाले इस रास्ते को शुरु तो कर दिया गया है, मगर अभी यहां रास्ते में न पेट्रोल पंप है, न शौचालय की सुविधा है, न खाने-पीने की जगह। सरकार का कहना है कि ये सब जल्द शुरु हो जाएगा। अगर इन सुविधाओं में वक़्त था, तो फिर एक्सप्रेस वे के उद्घाटन की हड़बड़ी क्यों की गई। इस रास्ते पर टोल कितना लगेगा, ये भी तय नहीं है। कुछ दिन यह सफ़र मुफ्त रहेगा। लेकिन बाद में टोल टैक्स वसूलने का काम निजी कंपनी को दिया जाएगा और तब यह सफ़र कितना महंगा पड़ेगा, यह समझ आएगा।
सरकार का दावा है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे बनने से किसानों और स्थानीय उद्यमियों को अपनी उपज या उत्पादों को बड़े बाजारों में ले जाने में सुगमता होगी। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। पूर्वांचल में लॉजिस्टिक, इंडस्ट्रियल टूरिज़्म सेक्टर को रफ़्तार मिलेगी। इस तरह के दावे कमोबेश हर परियोजना के उद्घाटन के बाद किए ही जाते हैं। आखिर इन्हें जनता के लिए सौगात की तरह पेश किया जाता है। मगर गरीब जनता को ऐसी परियोजनाओं से कितना फ़ायदा होता है, यह देश में बढ़ती ग़रीबी, भूख और बेरोज़गारी देखकर समझा जा सकता है।देशबन्धु में संपादकीय .

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