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व्‍यापमं (पीईबी) की एक और बदनामी पर मुहर

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मार्च 2022 की शिक्षक पात्रता परीक्षा का जारी किया परीक्षा परिणाम*
दस लाख अभ्यर्थियों के साथ फिर हुआ धोखा
किसके दबाव में मंत्री पुत्र आदित्य गोविंद राजपूत पर अभी तक नहीं हुई एफआईआर
गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा की सांठगांठ से हुआ युवाओं के साथ खिलवाड़
विजया पाठक
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मध्यप्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) अब तक अपनी पुरानी आदतों से बाज नहीं आया है। मार्च 2022 में संपन्न हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा का पीईबी ने सोमवार देर रात (08 अगस्‍त 2022) शिक्षक पात्रता परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया है। इस परीक्षा के रिजल्ट आने के साथ ही 10 लाख से अधिक युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो गया है। इससे पहले भी पीईबी ने लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। व्‍यापमं का नाम भले ही पीईबी रख दिया हो लेकिन इसकी कार्यशैली में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है। गौरतलब है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा मार्च 2022 में हुई थी। उस समय इस परीक्षा को लेकर काफी बवाल मचा था और इस परीक्षा में काफी गड़बडि़यां सामने आयी थी। लगा था कि पीईबी अपनी गलतियों को मानकर इस परीक्षा परिणाम को रोककर लाखों युवाओं के भविष्‍य के साथ हुई खिलवाड़ पर न्‍याय करेगा। पर ऐसा नहीं हुआ। शिक्षक पात्रता परीक्षा 2022 की गड़बडि़यों के प्रमुख गुनहगारों पर भी अभी तक कोई कार्यवाई नहीं हुई है। अब सवाल उठता है कि आखिर किसके दबाव में मंत्री पुत्र आदित्य गोविंद राजपूत पर अभी तक एफआईआर नहीं हुई है।
आपको बता दें कि पीईबी द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा घोटाले में जिस प्रकार प्रदेश के नौजवानों के साथ नाइंसाफी हुई वैसा आज तक प्रदेश में देखने को नहीं मिला है। इस पूरे प्रकरण की शुरुआत में ही प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बगैर जांच के ही मामले के मुख्य साजिशकर्ता ज्ञानवीर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साईंस सेंटर के संचालक आदित्‍य गोविंद राजपूत, जहां से पेपर आउट हुआ था, उस पर आज तक कोई कार्यवाई नहीं हुई है। यह कुल 900 करोड़ का घोटाला था। इसकी विस्तृत स्टोरी मैंने अपनी जगत विजन मासिक पत्रिका में की थी। (http://jagatvision.co.in/emagazine-view.php?id=65) इस सम्पूर्ण दस्तावेज में पूरा खुलासा किया था कि व्यापमं पार्ट- 2 MPTET घोटाला कैसे हुआ था। इसके बाद मैंने प्रदेश के डीजीपी को पत्र क्रमांक 2022/53 दिनांक 29/6/2022 को उपरोक्त इस कांड के साजिशकर्ताओं के खिलाफ जांचकर एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार करने के लिए लिखा था।
जांच को पूरा बताकर किया रिजल्ट जारी
पीईबी के उच्च अधिकारियों द्वारा जारी बयान में बताया गया कि पिछले दिनों शिक्षक पात्रता परीक्षा में हुई गड़बड़ियों की जांच समिति ने रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट में सभी आरोपी लोगों को बेगुनाह बताते हुए कार्यवाही से मुक्त करते हुए रिजल्ट जारी करने का निर्णय लिया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब परीक्षा में इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई थी तो फिर पीईबी को इस परीक्षा को रद्द कर नए सिरे से परीक्षा लेने की बात क्यों नहीं सूझी।
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे का किया धरा है सब
बताया जा रहा है कि जिस सागर के कॉलेज से शिक्षक पात्रता परीक्षा का पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वो कॉलेज प्रदेश के राजस्व और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का है। इस कॉलेज का संचालन उनके बेटे आदित्य गोविंद सिंह करते हैं। उन्हीं के इशारे पर कॉलेज प्रबंधन ने शिक्षक पात्रता परीक्षा के पेपर का स्क्रीन शॉट खींचकर सोशल मीडिया पर जारी किया था। लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा बैठाई गई जांच समिति ने मंत्री राजपूत और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के दबाव में आकर आदित्य गोविंद सिंह व प्रबंधन को पूरी तरह से बेगुनाह साबित करते हुए मुक्त कर दिया।
प्रदेश सरकार का राजपूत पर इतना रहम क्यों
मूलरूप से सिंधिया खेमे के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के इन कारनामों के आगे प्रदेश सरकार की चुप्पी कई सवाल पैदा कर रही है। आखिर प्रदेश सरकार किस दबाव में आकर राजपूत व उनके बेटे के खिलाफ कार्यवाही करने से बच रही है। एक तरफ प्रदेश का युवा बेरोजगारी की मार से जूझ रहा है दूसरी तरफ राजपूत जैसे भ्रष्टाचारी लोग चंद रुपयों के लालच में आकर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रदेश सरकार चुप्पी साधे बैठी हुई है।
गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा की मिलीभगत से नहीं हो रही एफआईआर
प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा वैसे तो छोटी-छोटी बातों पर लोगों पर एफआईआर करवा देते हैं। लेकिन पीईबी द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा में हुई गड़बड़ी में पर्याप्‍त सबूतों के बावजूद किसी पर भी आज तक एफआईआर नहीं हुई है। इस घोटाले में प्रमुख नाम प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आदित्‍य गोविंद राजपूत का आया है। इनके कालेज से ही इस परीक्षा का पेपर लीक हुआ था। इससे लगता है कि पीईबी के इस पूरे घोटाले में गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा का पूरा संरक्षण प्राप्‍त है।
गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा ने जानबूझकर करवाई मैप आईटी से जांच
सबसे पहले गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा ने जान बूझकर शिक्षक पात्रता परीक्षा की जांच मैप आईटी को सौंप दी थी। जबकि मैप आईटी को आपराधिक विवेचना करने का तो कोई अधिकार नहीं है और जांच करने के लिए सक्षम नहीं है, वो विशुद्ध तौर पर सरकार की टेक्निकल संस्था है, जो आईटी संबंधी सेवाएं देती है। पहले से हो पता था कि उसकी एमएस ऑफिस पर बनी रिपोर्ट कचरे के डब्बे में ही जायेगी। यदि नरोत्‍तम मिश्रा को जांच करवानी ही थी तो किसी स्‍पेशल जांच एजेंसी से ही करवाना चाहिए थी। मामले की तह तक जाने पर पता लगा था कि इस घोटाले में प्रमुख तौर पर एजुक्वेटी कंपनी सांई एजुकेयर आदित्य गोविंद राजपूत (मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के पुत्र व्यापमं के कुछ लोगों द्वारा रचित एक घोटाला है। वास्तव में इतनी बेशर्मी मैंने प्रदेश में कभी होती नहीं देखी। सिर्फ एक मंत्री और उसके पुत्र के खिलाफ कुछ कार्यवाही करने के जगह इस घोटाले में हुए पैसे की साजिश के बाद रिज़ल्ट तक घोषित कर दिया।

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