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सांप्रदायिक तत्वों के देश विरोधी कृत्य

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मुनेश त्यागी

पिछले कुछ दिनों से भारत के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं घटित हो रही हैं। हिजाब, नकाब, हलाल, लाउडस्पीकर, 80-20, हनुमान चालीसा, खाने पर हमला, पहनने पर हमला, संविधान पर हमला, कानून के शासन पर हमला हो रहा है। मस्जिदों पर भगवा झंडे फहराने की कोशिश हो रही है, अजान के वक्त हनुमान चालीसा पढ़ी जा रही है। साझी संस्कृति और गंगा जमुनी तहजीब पर धर्मांध हमला जारी है। लोगों के जहन में नफरत भरी जा रही है।
 इस तरह की घटनाएं लगातार जारी हैं। आखिर इसके पीछे क्या कारण है? बहुत सोच समझकर और हालात को देखते हुए, विचार करने पर यह मालूम होता है कि यह हिंदू मुसलमान को बांटने की सांप्रदायिकता की राजनीति है, जिसमें सदियों पुरानी हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़ने की लगातार कोशिश हो रही है और उसके लिए विभिन्न विभिन्न तौर तरीके अपनाए जा रहे हैं।
  यहीं पर हम देख रहे हैं कि इन सांप्रदायिक ताकतों का बढ़ती आर्थिक असमानता, सर्वव्यापी भ्रष्टाचार, कमरतोड़ महंगाई से जनता का ध्यान हटाने के लिए यह इरादतन कोशिश जारी है। ये जन विरोधी ताकतें, विकराल रूप धारण करती जा रही आर्थिक असमानता, भ्रष्टाचार, कमरतोड़ महंगाई पर यह ताकते चर्चा करने को तैयार नहीं हैं। लगातार बढ़ रही अमीरों की लूट पर कोई चर्चा करने को तैयार नहीं हैं। यह सब एक साजिश के तहत हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़ने के लिए, हिंदू मुस्लिम विभाजन को और गहरा और विस्तृत करने के लिए किया जा रहा है। यह भारतवर्ष की अनेकता में एकता पर सबसे बड़ा कुठाराघात है और यह सब एक इरादे से और जानबूझकर किया जा रहा है।
 इन जनविरोधी ताकतों का जो नारा है सबका साथ सबका विकास, अब यह एक थोथा नारा और कोरी जुमलेबाजी बन कर रह गई है। ये ऐसा नहीं चाहते। इनकी हरकतों से लगता है कि ये अब अधिकांश जनता के विनाश पर उतर आए हैं। जनतंत्र, गणतंत्र, संविधान, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, कानून के शासन पर लगातार हमला हो रहा है और ये लोग इन संवैधानिक मूल्यों और विचारों के खात्मे पर उतर आए हैं। इस सब को देख कर लगता है कि यह धर्म नहीं है, बल्कि साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति और धर्मांधता को बढ़ाने के लिए हिंदू मुस्लिम विभाजन को और गहरा करने के लिए धर्म की राजनीति है।
 यह धर्म का धंधा है। अपनी हरकतों से ये सांप्रदायिक ताकतें लोगों के जेहन में जहर भर रही हैं, नफरत भर रही हैं। अब ये बहुमत को अल्पमत से खतरा बता रहे हैं, हिंदुओं को मुसलमानों से खतरा बता रहे हैं जो कि एक निराधार बात है। अस्सी परसेंट हिंदुओं को 20 परसेंट मुसलमानों से भला कैसे खतरा हो सकता है?  यह सब खामख्याली है और निराधार बातें हैं और एक षड्यंत्र के तहत फैलाई जा रही हैं।
 आज हिंदुस्तान को सबसे बड़ा और असली खतरा बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई से है, बढ़ती आर्थिक असमानता से है। इन साम्प्रदायिक ताकतों का इन खतरों पर कोई ध्यान नहीं है, बल्कि उनकी सारी साजिशें इन मुद्दों से ध्यान हटाने की और नफरत भरे अभियान चलाने की है। ये लोग, लोगों को धर्म की अफीम चटा रहे हैं। अब यह लोग अखंड भारत की बात करने लगे हैं जो एक और बड़ी साज़िश की ओर इशारा कर रही है। अब ये गुजरात मॉडल की बात करने लगे हैं जहां सब कुछ अदानी अंबानी के हवाले कर दिया गया है।
 इसे दंगा नहीं धर्म-युद्ध बताया जा रहा है। यहीं पर एक और खतरे की बात देखी जा रही है और वह खतरा है कि पुलिस और सत्ता चुपचाप यह सब तमाशा देख रहे हैं, दंगा करने वालों पर, हिंसा भड़काने वालों पर, इन जनविरोधी आयोजनों का और इन हरकतों का आयोजन करने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, उन्हें दंड नहीं दे रही है, उन्हें कानून के कठघरे में खड़ा नही कर रही है बल्कि लगता है कि जैसे एक साजिश के तहत उनके खिलाफ तुरत फुरत प्रभावी कार्यवाही न करके, उन्हें शह दी जा रही है। इन देश विरोधी ताकतों को बढ़ावा दिया जा रहा है और ये ताकतें बेखौफ होकर, निडर होकर, यह सब करते चले जा रहे हैं।
  इस अभियान को कोई इस्लामोफोबिया बता रहा है तो कोई हिंदूफोबिया बता रहा है। हमारा मानना है कि यह सब ना तो हिंदूफोबिया है और ना ही मुसलमान फोबिया है, बल्कि यह सब एक नए किस्म की सांप्रदायिक राजनीति है जिसमें मुसलमानों को जिम्मेदार ठहरा कर हिंदुओं को एकजुट करने की सांप्रदायिक राजनीति की जा रही है। यहीं पर एक सवाल उठता है शासन और प्रशासन हथियारबंद जूलूसों को इजाजत क्यों दी जा रही है? और यह मुहिम कई राज्यों में जारी है। यहीं पर एक सवाल उठता है कि इन धार्मिक जुलूसों में हिंसा क्यों हो रही है? अपराध क्यों हो रहे हैं? आगजनी की की घटनाएं क्यों हो रही हैं? इस सब को देख कर यह कहा जा सकता है कि हमारी सत्ता शासन प्रशासन पुलिस संवेदनहीन हो गए हैं। इन देश की एकता और शांति भंग करने वालों पर समय से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है इनको समय से नहीं रोका जा रहा है इनको हथियार लेकर चलने पर पाबंदी नहीं लगाई जा रही है।
यहीं पर  एक हकीकत और सामने आई है कि शासन और प्रशासन विपक्षी दलों को और समाज में एकता, समरसता और एकजुटता के लिए काम करने वाले संगठनों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में जाने से रोका जा रहा है, प्रशासन शासन उनको वहां जाने की अनुमति नहीं दे रहा है। ऐसा क्यों? यह सब एक गहरी साजिश की ओर इशारा करता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसी स्थिति में क्या किया जाए?  ऐसे में क्या किया जा सकता है? ये सारी घटनाएं भारत के संविधान के खिलाफ हैं, जनता की एकजुटता के खिलाफ हैं, हिंदू मुस्लिम एकता के खिलाफ हैं, कानून के शासन के खिलाफ हैं और भारतीय संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं जिनकी किसी भी तरह से या किसी भी दशा में इजाजत नहीं दी जा सकती। इसके लिए यह जरूरी है की भारत की एकता और अखंडता चाहने वाली, संविधान की मूल्यों की रक्षा करने वाली और संविधान के मूल्यों को विस्तृत और गहरा करने वाली ताकतों को एकजुट होना पड़ेगा और इनको एकजुट होकर इन देशविरोधी तत्वों और ताकतों के खिलाफ, इस बढ़ती हुई हिंसा के खिलाफ, इस बढ़ती हुई सांप्रदायिक नफरत को फैलाने के खिलाफ सभी जनवादी ताकतों को एकजुट पड़ेगा, भारत की जनता को जागृत और होशियार करना पड़ेगा और जनता का आह्वान करना पड़ेगा कि वे इन देश विरोधी सांप्रदायिक तत्वों से जागरूक रहें, सावधान रहें, इनसे बचकर रहें, इनकी मुहिम में और इनके अभियान में शामिल ना हो बल्कि अपनी एकजुटता के आधार पर इनकी मुहिम को असफल कर दें।
 हम यहां पर यह भी कहना चाहेंगे कि ये सांप्रदायिक आपराधिक लोग, हत्या और हिंसा आगजनी करने वाले लोग धार्मिक लोग नहीं हैं। धर्म से इनका कोई लेना देना नहीं है बल्कि यह हिंसक, अपराधी, हत्यारे और आगजनी करने वाले लोग हैं और भारत में सांप्रदायिक राजनीति को आगे बढ़ाने वाले लोग हैं। हमें लगता है कि इनका निशाना कुछ राज्यों में आगामी दिनों में होने वाले चुनाव और इनकी नजर 2024 के चुनाव पर हैं जिस वजह से इन्होंने देश विरोधी और सांप्रदायिक मुहिम को तेज कर दिया है और यह हिंदू मुसलमान को बांटने की नीति पर उतर आए हैं। अब इनका सामना और मुकाबला एकजुट जनता ही कर सकती है, इसलिए यही हमारा सबसे महत्वपूर्ण काम होना चाहिए कि हम एकजुट होकर, इस देश की जनता को, जनवादी और वामपंथी तत्वों को, संविधान में विश्वास रखने वाली ताकतों को, एकजुट होकर इनका मुकाबला करना पड़ेगा और उनके इरादों को धराशाही करना पड़ेगा, देश विरोधी सांप्रदायिक तत्वों के कृत्यों का मुकाबला करना पड़ेगा। इसके अलावा और कोई विकल्प नही रह गया है।
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