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क्या ये तस्वीरें चुनावी मौसम में बदलाव का संकेत दे रही हैं?

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मैं अब इस बात के पक्ष में नहीं हूँ कि विपक्ष गोदी मीडिया से दूरी बनाए। लेकिन इसके इतर एक बात कहूँगा, ये अमीर लोगों का आपस का मामला है, इसमें आजतक चैनल (इंडिया टुडे ग्रुप) की मालकिन और प्रियंका गांधी हैं। अमीर पत्रकार और संपादक हैं।

कल कांग्रेस आ गई तो ये सब सत्ता का सुख भोगेंगे। कांग्रेस के अमीर नेता सत्ता का सुख भोगेंगे। वे भूल जाएँगे आपको मेरी बात याद रखना।

सपा, राजद, कांग्रेस भाजपा, सब पार्टियों में ये ही होता है। पढ़ाई लिखाई करना। अच्छे दोस्त बनाना। एक भी नेता काम नहीं आएगा। पार्टियाँ देश बदलने का वायदा तो करेंगी, लेकिन आपकी गली का खड़ंजा नहीं बदल पायेंगी। आपके गाँव के स्कूल नहीं बदल पाएँगे। जो करेंगे आप ख़ुद करेंगे। नेताओं और पार्टियों को अधिक सीरियस मत लेना।

कल कांग्रेस आ भी गई तब भी मेरे विपक्ष में रहना तय है। मैं इन आजतक वालों की तरह नहीं बदलूँगा। जनता का आदमी बनकर रहूँगा। लेकिन कई लोग पार्टियों से इतने जुड़ जाते हैं कि क्या कहूँ। आप मेरे भाई और बहन हैं। प्रियंका, अखिलेश, तेजस्वी, मोदी शाह नहीं। इसलिए बता रहा हूँ पढ़ो, लिखो। और अच्छे कनेक्शन बनाना। तब ये कांग्रेस वाले भी काम आएँगे, और भाजपा वाले भी।

कोई भी आदमी सिर्फ़ अमीरों को पसंद करता है। सच्चाई है ये। भावुक बातें कुछ नहीं होतीं। बाक़ी मैं तो गाँव से आया हूँ, सत्ता और ताक़त के नज़दीक लोग देते हैं। सब आपकी कामयाबी और धन के अनुपात में आपके आगे झुकते हैं। जिनके पास धन, संसाधन, समाधान, और पावर नहीं, उन्हें लोग कहते हैं- भाई कॉल करता हूँ थोड़ी देर में। और जिनके पास ये सब होता है- उससे कहते हैं- जी भाई जी बताइए, हाँ फ्री ही हूँ, आप सुनाइए, कैसे हैं भैया।

हर्ष तिवारी-
आप देखिए राजदीप सरदेसाई के साथ प्रियंका गांधी का इंटरव्यू. यह पर्दे के पीछे की तस्वीर है, जिसमें इंडिया टुडे प्रबंधन कली पुरी और सुप्रिय प्रसाद भी मौजूद हैं.

क्या ये तस्वीरें चुनावी मौसम में बदलाव का संकेत दे रही हैं? वैसे भी अरुण पुरी को मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है. दिलचस्प.

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