सनत जैन
प्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दवा के विज्ञापनों पर रोक लगा दी है।सर्वोच्च न्यायालय ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अदालत की मानहानि करने का नोटिस भी जारी कर दिया है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भारत की उन विलक्षण प्रतिभाओं में शामिल है। जिन्होंने कुछ ही वर्षों में अपने साम्राज्य को बुद्धि, विवेक और ताकत के बल पर सारे देश में फैला दिया है। बाबा जो कहते हैं। वह करते नहीं हैं। जो करते हैं, वह कहते नहीं हैं।
बाबा रामदेव को किसी का डर भी नहीं लगता है। यह निर्भीकता उन्हें कहां से मिली है। इसके बारे में लोग तरह-तरह की चर्चाएं करते हैं। बाबा रामदेव अपने बड-बोलेपन और मनमानी के लिए सारे देश में जाने जाते हैं। 2014 के बाद से बाबा रामदेव बड़े ताकतवर शख्स के रूप में उभरे हैं। पिछले 10 वर्षों में बाबा का कारोबार भी बड़ी तेजी के साथ आसमान छूने लगा है। बाबा बहुत कम समय में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए, बाबा रामदेव तरह-तरह के दावे करते हैं। पहले जिन चीजों का विरोध करते हैं, फिर उन्हीं का धंधा करने लगते हैं। इसके बाद भी बाबा को कभी किसी का कोई डर नहीं रहता है। बाबा जो करना चाहते हैं, वह कर ही लेते हैं। कोविड की दवा बेचकर बाबा ने करोड़ों रुपए की कमाई की। एलोपैथी दवा को उन्होंने जानलेवा बता दिया। जिसके कारण एलोपैथी के डॉक्टर और अंग्रेजी दवाओं की कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से 17 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीन और एलोपैथी के खिलाफ दुष्प्रचार किया है। उन्होंने पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं से कोविड की बीमारी ठीक करने का झूठा प्रचार किया है। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट पहले भी पतंजलि कंपनी को झूठे दावे करने वाले विज्ञापनों को बंद करने के लिए आदेश जारी कर चुकी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी पतंजलि ने विज्ञापन बंद नहीं किये।
विज्ञापनों में जनता से झूठे दावे करते रहे। जब यह मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आया, तब न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की संयुक्त खंडपीठ ने कहा, पतंजलि भ्रामक दावे करके देश के नागरिकों को धोखा दे रही है। पतंजलि के दावों का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। पतंजलि की दवाओं से स्थाई रूप से कोई बीमारी ठीक हो रही है। ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट के अनुसार कोई भी दवा कंपनी इस तरह का विज्ञापन नहीं दे सकती हैं। इसके बाद भी बाबा की कंपनी पतंजलि के विज्ञापनों में दावा किया जा रहा है। योग गुरु बाबा की देश में पिछले कुछ वर्षों में कई तरह की छबियां बनी है। कभी वह ब्लैक मनी खत्म करने की बात कर अर्थशास्त्री बन जाते हैं। कभी पेट्रोल 35 रुपये लीटर देने के जुमले अपने भक्तों को दे देते हैं। कुछ वर्ष पहले उन्होंने योग से बीमारियों को ठीक करने का दावा किया था।
अब योग के साथ-साथ दवा के साथ बीमारी ठीक होने की बात कर रहे हैं। उन्होंने एलोपैथी चिकित्सा को नकारते हुए आयुर्वेदिक चिकित्सा से सही इलाज और सर्वोत्तम बता दिया। बाबा ने पतंजलि की दवाइयां बेचने के लिए झूठे विज्ञापन करके एलोपैथी के खिलाफ मुहिम छेड़ दी थी। जिससे नाराज डॉक्टर भी अब उनके पीछे पड़े हुए हैं। बाबा को सुप्रीम कोर्ट का भी डर नहीं लगता है। बाबा को अपनी आलोचनाओं का भी डर नहीं लगता है। बाबा को शर्म भी नहीं आती है। जो दावे उन्होंने किए थे, यदि वह पूरे नहीं हो रहे हैं। तो इसमें उन्हें कोई शर्म नहीं है। बाबा की दुकान में सब कुछ बिक रहा है। दवाओं के साथ-साथ खाद्य पदार्थ और कपड़े भी पतंजलि के स्टोर में बिक रहे हैं। योग के शिविर लगाकर बाबा करोड़ों रुपए की कमाई करते हैं। सही मायने में बाबा की लोकप्रियता ही उनकी सफलता की गारंटी है। केंद्र सरकार का उन्हें संरक्षण मिला हुआ है।
जिस तरह से अदानी समूह हर व्यापार में सक्रिय है। वही स्थिति बाबा रामदेव की है। भारत में बाबा रामदेव निश्चित है। भारत में कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। अब देखना यह है, सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का जो नोटिस बाबा रामदेव और प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को जारी किया है। उसके बाद बाबा किस तरीके से अपना बचाव करने के लिए आगे आते हैं। अब तो लोग यह भी कहने लगे हैं, अकेले रामदेव सब पर भारी पड़ रहे हैं। बाबा को नियंत्रित कर पाना किसी के वश की बात नहीं है। बाबा का भाग्य और सत्ता का संरक्षण जब तक उनके पास है। तब तक बाबा को कोई चुनौती नहीं है।