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मधुलिमए के प्रति अटल बिहारी वाजपेई की श्रद्धांजली

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श्री अटल बिहारी वाजपेई ने 13 फरवरी 1995 को लोकसभा में श्रद्धांजली देते हुए कहां

 *श्री मधुलिमए के साथ मुझे इस सदन मै, सदन के बाहर राजनैतिक क्षेत्र में काम करने का बहुत मौका मिला था।* *वह दोनों साम्राज्यवादो से लड़े। अंग्रेजी साम्राज्यवाद से भी और पुर्तगाली साम्राज्यवाद से भी।जेल की लंबी यातना सही।* *उसी में उन्होंने अध्ययन करने का और विश्लेषण करने का गुण अर्जित किया। कुछ आदर्शों के प्रति उनकी आस्था थी।* *कुछ विचारों के लिए वह प्रतिबद्ध थे। प्रखर चिंतक थे। कठोर स्पष्टवादी थे।** *ऐसे स्पष्टवादी, कि कभी-कभी उनकी स्पष्टवादिता विवादों को खड़ा कर देती थी। मगर जो बात वे कहना चाहते थे, वह कह देते थे।* *अध्यक्ष महोदय, मुझे याद है कि संसद में कोई संविधान की पेचीदा समस्या हो, कोई नियमों से उलझा हुआ* *सवाल हो, मधुलिमए जब उधर से प्रवेश करते थे  तो अपने साथ संदर्भ- ग्रंथों का एक पूरा पहाड़ लेकर आते थे,* *जिस पहाड़ को देखने मात्र से लगता था कि आज दो -दो हाथ होने वाले हैं और सदन को तो कठिनाई होती ही थी,* *कभी-कभी अध्यक्ष महोदय भी अपने लिए मुश्किल पाते थे। लेकिन वह अध्ययन करके आते थे। अपने पक्ष को तर्कसंगत ढंग से प्रस्तुत करते थे।* *अब तो इस तरह का अध्ययन दुर्लभ हो गया है। लेकिन उन्होंने चिंतन और आचरण दोनों का मेल करके दिखाया।* 

 *प्रस्तुति राजकुमार जैन*

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