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झूलते पुल का मेंटेनेंस और मैनेजमेंट कर रही थी औरेवा ? वही बांट रही थी टिकट?

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गुजरात के मोरबी में पुल गिर जाने से कई परिवार तबाह हो गए। चीख-पुकार का ऐसा आलम है कि विजुअल्‍स देखे नहीं जा रहे। झूलते पुल पर जिंदगी और मौत के बीच लटके लोगों की गुहार आंखें नम कर जा रही है। आखिर, मोरबी में झूलता पुल गिरने से हुईं 130 से ज्‍यादा मौतों का जिम्‍मेदार कौन है? गुजरात पुलिस ने जो FIR दर्ज की है, वह पुल का मेंटेनेंस और मैनेजमेंट कर रही एजेंसियों के खिलाफ है। इंडियन पीनल कोड की धारा 304, 308 और 114 लगाई गई हैं। पुलिस के अनुसार, मैनेजमेंट एजेंसी ने ठीक से काम नहीं किया। बिना क्‍वालिटी चेक के ही 26 अक्‍टूबर को पुल को लोगों के लिए खोल दिया गया। जबकि यह पुल सात महीने से बंद था ताकि रिपेयरिंग हो सके। रिपेयरिंग और मैनेजमेंट का जिम्‍मा मोरबी के ही ओरेवा ग्रुप को दिया गया था। यह फर्म Ajanta Manufacturing Pvt Ltd का हिस्‍सा है जो अपनी घड़‍ियों के लिए मशहूर है। हादसे के बाद स्‍थानीय निकाय और प्राइवेट फर्म के बीच आरोप-प्रत्‍यारोप का दौर शुरू हो गया है। कई सवाल उठ रहे हैं जिनके जवाब मिलने पर ही साफ होगा कि इतने बड़े हादसे के जिम्‍मेदार कौन-कौन हैं।

मोरबी झूलता पुल हादसा: मार्च में दिया गया था ठेका
ओरेवा ग्रुप को इसी साल मार्च में मोरबी के सस्‍पेंशन ब्रिज को मेंटेन और मैनेज करने का ठेका दिया गया। तभी से यह पुल आम जनता के लिए बंद था। स्‍थानीय मीडिया के अनुसार, गुजराती नववर्ष के मौके पर 26 अक्‍टूबर को पर्यटकों और जनता के लिए पुल खोला गया। रिपेार्ट्स के अनुसार, मोरबी म्‍युनिसिपैलिटी से फिटनेस सर्टिफिकेट मिले बिना ही पुल खोला गया। म्‍युनिसिपैलिटी के चीफ ऑफिसर संदीपसिंह जाला ने द इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘यह पुल मोरबी म्‍युनिसिपैलिटी की संपत्ति है लेकिन हमने कुछ महीने पहले मेंटेनेंस और ऑपरेशंस के लिए इसे ओरेवा ग्रुप को 15 साल के लिए दिया था। हालांकि, प्राइवेट फर्म ने हमें बताए बिना ही पुल खोल दिया। इस वजह से हम पुल का सेफ्टी ऑडिट नहीं करा पाए।’

ओरेवा ग्रुप की वेबसाइट पर ब्रिज मैनेजमेंट/कंस्‍ट्रक्‍शन वर्क का जिक्र नहीं
जाला ने कहा कि ‘रेनोवेशन वर्क पूरा होने के बाद पुल खोला गया था लेकिन लोकल म्‍युनिसिपैलिटी ने कोई फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया था।’ ओरेवा ग्रुप के प्रवक्‍ता ने एक्‍सप्रेस से कहा, ‘हम और जानकारी का इंतजार कर रहे हैं। प्रथमदृष्‍टया ऐसा लगता है कि पुल के बीच में कई लोग मौजूद थे जो उसे इधर-उधर झुलाने की कोशिश कर रहे थे, इस वजह से पुल गिरा।’

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मोरबी झूलता पुल हादसा: कौन देगा इन सवालों के जवाब?

  1. अगर पुल की रिपेयरिंग का काम पूरा नहीं हुआ था तो उसे क्‍यों खोला गया?
  2. बिना सेफ्टी ऑडिट के पुल को खोलने का फैसला क्‍यों हुआ?
  3. यह पुल पर्यटकों के बीच मशहूर है और काफी पुराना भी, ऐसे में भीड़ को कंट्रोल क्‍यों नहीं किया गया?
  4. पुल पर जाने के लिए टिकट लगता है जो ओरेवा ग्रुप ही जारी करता है। भीड़ सीमा से ज्‍यादा होने पर कंपनी ने टिकटों की बिक्री क्‍यों नहीं रोकी?
  5. पुल पर ऐसे किसी हादसे की स्थिति में बचाव के पर्याप्‍त उपाय क्‍यों नहीं थे?

घड़‍ियां, CFL, ई-बाइक्स बनाती है कंपनी
ओरेवा ग्रुप की वेबसाइट के अनुसार, वह CFL उत्‍पाद बनाने में ‘पायनियर’ है। कंपनी कई तरह के LED उत्‍पाद भी बनाती हैं। घड़‍ियों के मामले में Ajanta का नाम घर-घर पहचाना जाता है। ओरेवा ग्रुप ही ई-बाइक टेक्‍नोलॉजी में भी इनवेस्‍ट कर रखा है।

झूलता पुल के लिए ओरेवा ग्रुप की ओर से जारी पास
क्‍या-क्‍या बनाता है ओरेवा ग्रुप?

झूलते पुल को 19वीं सदी में मच्‍छु नदी पर बनवाया गया था। गुजरात टूरिज्‍म की वेबसाइट पर इसे ‘इंजिनियरिंग मार्वल’ बताया गया है। 1.25 मीटर चौड़े पुल की लंबाई 233 मीटर थी। यह दरबारगढ़ पैलेस को लखधीरजी इंजिनियरिंग कॉलेज स जोड़ता था।

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