– विज्ञान मोदी
चारमीनार के विश्वविख्यात शहर हैदराबाद की ‘पांचवीं मीनार’ के तौर पर अपने विशिष्ट व्यक्तित्व से ओतप्रोत श्री बद्री विशाल पित्ती के उल्लेख के बिना हिन्दोस्तां के समाजवादी आन्दोलन का अध्ययन अधूरा ही माना जायेगा.कार्ल मार्क्स और मार्क्सवाद के संदर्भ में जो महत्व फ्रेडरिक एंगेल्स का है, डाॅ. राममनोहर लोहिया और समाजवाद के लिए वही महत्व बद्री विशाल पित्ती का है.दूसरे शब्दों में कहें तो वे देश की उन कुछ खुशकिस्मत बड़ी शख्सियतों में से एक थे, जिन्हें उनके जीते जी ही भरपूर ख्याति और प्रासंगिकता हासिल हुई
लगभग 200 वर्षों से हैदराबाद में बसे मारवाड़ी परिवार के राजबहादुर सर बंशीलाल पित्ती के पुत्र उद्योगपति श्री पन्नालाल के यहां 28 मार्च, 1928 को जन्मे श्री बद्री विशाल पित्ती युवावस्था में ही निज़ाम और अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ़ आज़ादी के आंदोलनों में सक्रिय रहे.
उन्हें समाज, राजनीति, भाषा, शिक्षा, साहित्य, पत्रकारिता, संगीत व अन्य कलाओं से गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव वाला समाजवादी बौद्धिक कहकर उनके साथ पूरा न्याय किया जा सकता है, न समाजवादी चिंतक डाॅ. राममनोहर लोहिया का अभिन्न, विश्वप्रसिद्ध चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन का प्रथम पुरस्कर्ता, गंभीर ज्ञान-गरिमा व परिष्कृत रुचियों से सम्पन्न हैदराबाद का प्रथम नागरिक या साहित्य, कला व संगीत की त्रिवेणी बहाकर नई जनवादी नैतिकताओं व जीवन मूल्यों की स्थापना का अभिलाषी उत्सवधर्मी अतिरथी.
1955 में केरल में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की अपनी ही सरकार द्वरा निहत्थे आंदोलनकारियों पर गोली चलाये जाने के विरोध में मुख्यमंत्री थानुपिल्लै से पार्टी के नेता डॉ. राममनोहर लोहिया द्वारा त्यागपत्र की मांग पर प्रसोपा के विघटन के बाद 1956 के प्रारंभ में हैदराबाद में समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया ने ‘सोशलिस्ट पार्टी’ के गठन की ऐतिहासिक घोषणा की, उस सम्मेलन के आयोजन व व्यवस्था में 28 वर्षीय बद्री विशाल की प्रमुख भूमिका रही.
डॉ. राममनोहर लोहिया के जीवनपर्यन्त सहयोगी व सखा रहे बद्री विशाल 1951, 55, 56 में विभिन्न आंदोलनों में जेल गये. सोशलिस्ट पार्टी के संगठन, कार्यक्रम व आन्दोलनों में उनका विशिष्ट योगदान रहा. हैदराबाद स्थित उनके निज भवन का एक कक्ष समाजवादी गतिविधियों के प्रमुख स्थल के तौर पर डॉ. लोहिया, राजनारायण, जनेश्वर मिश्र, कृष्णनाथ, अध्यात्म त्रिपाठी आदि समाजवादी नेताओं की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है.
श्री बद्री विशाल पित्ती के संरक्षण में डॉ. लोहिया के विचार, संस्मरण, भाषणों का सघन प्रकाशन व व्यापक प्रसारण सम्भव हुआ. जिनमें ‘लोकसभा में लोहिया’ के कुल 23 खण्ड भारतीय संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में प्रमुख ऐतिहासिक दस्तावेज है.
वे हैदराबाद से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर 1967 में निर्वाचित हो 1972 तक आन्ध्रप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे. 1969 में तेलंगाना आंदोलन का नेतृत्व करते हुए पी.डी. एक्ट के तहत गिरफ्तार हो जेल गये.
उन्होंने राज्यपाल के पद के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा कि राजभवन में रहते समाजवादी आचरण का निर्वहन सम्भव नहीं है.
पारिवारिक औद्योगिक परिवेश के बावजूद उन्होंने अपने जीवनकाल में मज़दूरों के हित में लगभग 25-30 मज़दूर संगठनों का नेतृत्व किया.
देश की प्रमुख साहित्यिक पत्रिका ‘कल्पना’ के प्रकाशन व संपादन के साथ-साथ सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन ‘अज्ञेय’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गजानंद माधव ‘मुक्तिबोध’, अकबर पदमसी, पंडित जसराज, स्वप्ना सुंदरी, शिवकुमार शर्मा आदि साहित्यकारों को उनका भरपूर सहयोग व प्रोत्साहन मिलता रहा.
सुविख्यात चित्रकार मक़बूल फ़िदा हुसैन की कलासृजन में, विशेषकर रामायण से सम्बंधित चित्रांकन पर उनका सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान व सानिध्य रहा है.
बहुआयामी व्यक्तित्व से परिपूर्ण समाजवादी नेता श्री बद्री विशाल पित्ती का 6 दिसम्बर, 2003 में 75 वर्ष की आयु में निधन हुआ.