अग्नि आलोक

बागेश्वर धाम बाबा वर्सिस पिछड़ा वर्ग

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सुसंस्कृति परिहार

इन दिनों बागेश्वर धाम वाले बाबा जिन्हें कहा जाता है हनुमान भक्ति में सिद्धि मिली हुई है इस समय बुंदेलखंड के बाहर अपनी अच्छी खासी हैसियत बनाए हुए हैं।इसकी वजह उनकी मोहक छवि, बुंदेली  में ठक्काढाई बात और कथित सनातनी संस्कृति है। उनके पास आने वाले परेशान व्यक्ति उनके प्रति श्रद्धाभाव और समर्पण से आते हैं किन्तु उनकी तेजतर्रार बातों से खौफ खा जाते हैं और जोर-शोर से इस दरबार का जयकारा लगाते हैं ठीक वैसे ही जैसे बद्री केदारनाथ धाम में पहाड़ी डरावनी घाटी आते ही भक्तों का सन्नाटा खिंच जाता है और जैसे बस उस क्षेत्र को पार कर लेती है तो जयकारा बद्री विशाल का लगता है। यह आश्चर्यजनक है कि कि इस अद्भुत दरबार में मंत्री ,विधायक, अधिकारी, उद्योगपति,व्यापारी और बड़ी तादाद में पीड़ित परेशान आमजन पहुंचते हैं। वहां से आने वाला हर व्यक्ति इस लावण्यम् छवि वाले बाबा के खौफ से बाबा की जय-जयकार करता है।यह भी उसी तरह का मामला है कि मोदी के खिलाफ बोलने वाले को हर वक्त अपने ऊपर ई डी, सी बी आई,आई टी का डर बना रहता है। इसलिए जयकारा ही लगता रहता है।उनका क्षेत्र असीमित है अब तो विदेश में भी उनकी पहुंच शुरु हो गई।

बहरहाल इस दरबार के बाबा में इसके विरोध में बोलने वाले को पहचान भी लिया जाता है और उसकी जिस तरह सार्वजनिक फजीहत होती है उससे भी दहशत का माहौल क्रियेट होता है ।यह बाबा की श्रद्धा का सबसे बड़ा राज है।कहा जाता है वहां अर्जी लगती है भीड़ इतनी अधिक होती है कि लोगों का नंबर महीने दो महीनों में आ पाता है।सूत्र बताते हैं कि इस अवधि में बाबा की टीम सम्बंधित की जानकारी प्राप्त कर लेती है और जब सम्बंधित की पेशी होती है तो वह बाबा के दिव्यज्ञान से चौंक जाता है। सत्यसांई बाबा का एरियल जो काम करता था ठीक वैसा ही काम यहां भी होता है। इससे बाबा के प्रति अटूट आस्था का फैलाव हो रहा है।

बहरहाल बाबा की बदजुबानी के किस्से आजकल आम हैं पत्रकार को साक्षात्कार देते हुए भी धड़ल्ले से जो राम जी का जयकारा ना लगाएं उसकी ठठरी बरे का श्राप देता है। इससे पहले छुआछूत वाली बात सामने आई जब बाबा ने अछूत के साथ घृणात्मक व्यवहार करते हुए अपने पैर हटा लिए थे हालांकि उन्होंने सफाई में ये कहा था मैंने अपने आपको अछूत कहा था।जबकि वे अन्य लोगों को चरणस्पर्श का मौका देते हैं।बात आई गई हो गई मामला दलित का था।इसी तरह रामनवमी जुलूस पर पत्थरबाजी करने वालों के खिलाफ हिंदुओं से हथियार उठाने का आव्हान भी किया जा चुका है।इतना ही उन्होंने ऐसे लोगों पर बुलडोजर चलाने हेतु लोगों को उकसाया तथा ये भी कहा कि मेरे पास पैसा हो जाएगा तो मैं भी बुलडोजर खरीदकर संतों का अपमान करने वालों पर बुलडोजर चलाऊंगा। सरकार पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा -वह कहां तक बुलडोजर चलवाएगी।हम सबको सहयोग करना होगा।वे महाराष्ट्र में पीट पीट कर मारे गए संतों का उदाहरण देते हैं।इन दोनों घटनाओं को संविधान विरोधी आवाज़ उठाई गई किंतु बाबाजी के कान में जूं भी नहीं रेंगी। मामले ठंडे बस्ते में चले गए।

ताज़ा घटना शिवपुरी में अवंतीबाई समारोह की है उल्लेखनीय है जिसमें भाजपा नेता प्रीतम लोधी ने ब्राह्मण समाज को लेकर आपत्तिजनक और अमर्यादित टिप्पणियां की थी। इसके प्रसारित हुए वीडियो में ब्राह्मणों को रुपये ऐंठने वाला और कथा वाचकों को महिलाओं पर गंदी नजर रखने वाला कहते हुए वे सुनाई दे रहे थे। वीडियाे वायरल हाेने के बाद कई जिलाें में विरोध प्रदर्शनों के बाद उन पर आधा दर्जन से ज्यादा एफआइआर दर्ज हुई थीं। मामले के तूल पकड़ने के बाद भाजपा से भी छै साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। प्रीतम लोधी के बयान को लेकर अभी भी इंटरनेट मीडिया पर लगातार पोस्ट हो रही हैं। भाजपा के नेता प्रीतम लोधी के वक्तव्य को लेकर जो बात सामने आई है  उसमें उन्होंनेे कथा वाचकों और प्रवचनकारों  के लिए कहा है कि ये लोगों के छै से सात घंटे बर्बाद करते है। इस पर ब्राह्मणों की ओर से तिलमिला कर बागेश्वर धाम के प्रवचनकार युवा बाबा एक बार फिर इनकी गठरी बरे नककटा जैसे शब्दों का गैर ज़रूरी इस्तेमाल करते हुए प्रवचन का महात्म्य समझाते हैं  जो तूल पकड़ लिया है। लोगों का कहना है चोर की दाढ़ी में तिनका इसलिए बाबा क्रोधित हुए हैं और बहुत कुछ ग़लत कह गए।विदित हो बाबा की प्रवचन सभा में बड़ी तादाद में पिछड़े वर्ग के ही लोग पहुंचते हैं।

इसलिए अब यह सारा मामला ब्राह्मण समुदाय की अवमानना और तथाकथित सनातनी बाबा के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है।एक तरफ प्रीतम लोधी अपने को टाईगर अभी ज़िंदा के दंभ और पिछड़े वर्ग की दम पर इसके लिए ज़ोरदार संघर्ष की पहल शुरू कर दिए हैं तो बाबा को अपनी हनुमान भक्ति की सिद्धि का गुमान है।वे कहते भी हैं कि जिसका गुरु हनुमान उसका चेला पहलवान।

यहां यह बात विचार करने की है कि बाबा अकेले हनुमान सिद्धि पर डिपेंड नहीं उसके दरबारियों में सरकार की हाजरी बराबर बनी है जिसका संरक्षण प्राप्त है। वैसे भी आस्था जैसा मसला आज बेशकीमती है अदालत की नज़रों में। जहां तक आडंबरों के दुकान की बात है इसमें सबसे ज्यादा उपस्थिति पिछड़े वर्ग की ही होती है उन्हीं की अगाध श्रद्धा से ब्राह्मण समाज का रुतबा कायम है।यह तिलस्म पेरियार, अम्बेडकर जैसे लोग ख़त्म नहीं कर पाए।यदि यह काम प्रीतम लोधी और उनका पिछड़ा वर्ग शिद्दत से करता है तो बहुत सी सामाजिक विसंगतियां दूर हो सकती हैं। वहीं बाबा जी से अनुरोध है वे अपनी सिद्धियों से हज़ारों भक्तों को यदि मरहम लगाने का उपक्रम कर रहे हैं तो अपनी ज़बान पर नियंत्रण रखें और सम्पूर्ण मानवता का ख्याल रखें।राजनीति से दूर रहने की कोशिश करें तभी सच्ची सनातनी संस्कृति के आप वाहक बनेंगे। तथास्तु।

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