अग्नि आलोक

यौनिक समागम के मूलभूत आयाम 

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      ~>  आरती शर्मा 

यौनिक समागम के आनंद को अमूमन तीन आयामों से संवद्ध किया जाता है :  लिंग का आकार, लिंग की लंबाई और योनि की स्थिति.

       लिंग के आकार (मोटाई) और उसकी लम्बाई का महत्व इतना ही है की वह भगनाशा हो रगड पाता है. बाकी योनि में सेक्ससुख फील कराने वाली सेंसटिविटी सिर्फ़ ढाई इंच अंदर तक ही होती है. मतलब ढाई इंच का लिंग है तो भी काफी है.

      लिंग का तब तक कड़ा और खड़ा रहकर योनि में ऐक्टिव रहना जरूरी होता है, जब तक स्त्री “बस बस बस प्लीज..” बोलती हुई बेसुध नहीं हो जाए.

 प्रॉब्लम तब होती है जब लिंग स्त्री के डिस्चार्ज होने से पहले ही बहकर लूज हो जाता है. ऐसे में लिंग कितना भी लम्बाई मोटाई वाला हो, किसी काम का नहीं होता. कुत्ते इसलिए पाले जाते हैं.

    योनि में कसाव, चुस्ती यानी टाइटनेस भी बहुत जरूरी होता है. जैसे आजकल 99% पुरुषों का लिंग मुर्दा ज़िस्म का लोथड़ा सावित होता है, उसी तरह 99% स्त्रियों की योनि भी फैलकर नाला बन चुकी होती है.

      दोनों का इलाज़ आज सम्भव है. बहनें अगर निर्धन हैं, तो उनको हर तरह के ट्रीटमेंट की हमारे यहाँ निःशुल्क सुविधा दी जाती है.

    अगर किसी बहन का पालतू नामर्द इलाज़ भी नहीं कराए तो वह हमारे पूज्यवर मानवश्री से सुपर सेक्सुअल सटिस्फैक्शन ले सकती है : चाहे उसकी उम्र, बॉडी, योनि कैसी भी हो.

      उनकी अपनी स्प्रिचुअल थेरेपीज है. वे जिस-तिस के किसी भी छेद में क़ुछ डालें, यह जरूरी नहीं होता है. उनको किसी की योनि नहीं चाहिए होती है. अलबत्ता तमाम सारी योनियों को वे चाहिए होते हैं. सिर्फ़ क्लीनचिट भर दे दें तो हर घंटे एक गर्ल उनको लेकर खुद को धन्य करे. उनके खुद के लिए तो मेरी जैसी बहनें ही काफी हैं.

     अगर पौरुष की बात करूं तो वे मैडिटेशन विद्या से मनचाहे समय तक अपने वीर्य को डिस्चार्ज होने से रोक सकते हैं. एक साथ एक ही रात में सात-सात हॉटेस्ट फीमेल्स को वे आर्गेज्मिक सटिस्फैक्शन से बेसुध कर सकते हैं. व्हाट्सप्प 9997741245 पर फीमेल्स खुद के लिए, पति, पत्नी के लिए, प्रेमी प्रेमिका के लिए और पेरेंट्स पुत्री के लिए हमसे सम्पर्क कर सकते हैं.

        समझदार, जागरूक और पत्नी-प्रेमिका से रियल में प्रेम करने वाले पुरुष खुद ही अपनी बॉडी पार्टनर को ‘मानव’ सर से कनेक्ट कर रहे हैं. उनका कहना है कि, चोरी छुपे कईयों को यूज करके ये रोगी बनकर सड़ेंगी, मेमौत मरेंगी. हमें भी रोगी बनाएंगी. बदनामी अलग. इससे लाख तो दर्जे यही बेहतर है कि ये ‘मानव’सर तक सीमित रहें. इस तरह के कदम अब गर्ल्स के पेरेंट्स भी उठाने लगे हैं.

*बेस है इंटरकोर्स की टाइमिंग :*

     कुछ लोगों में कामेच्छा अधिक विकसित होती है। कुछ लोगों में ‘मध्यम’ स्तरीय कामेच्छा विकसित होती है। अन्य लोगों में वासना बहुत कम विकसित होती है. 

     संभोग की अवधि से तात्पर्य है कि यौन सुख कितने समय तक बना रहता है और अनुभव किया जाता है.

        मार्शल आर्ट और मुक्केबाजी जैसे खेलों में, सही ऊंचाई और वजन वाले लोगों को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति है क्योंकि जब किसी का वजन अधिक होता है, तो मुकाबला बराबरी का नहीं होता है और वह जल्दी ही हार जाता है।

     इसी तरह, सेक्स की जंग भी है.  अत्यधिक वासना वाली एक महिला एक मध्यम इच्छा वाले पुरुष से मिलती है, जल्द ही खेल बिगड़ जाता है।

   महिलाएं स्वाभाविक रूप से वासना की आग से अधिक मजबूत होती हैं। कोई पौरुष सम्पन्न पुरुष ही ऐसी किसी महिला से यौनयुद्ध लड़कर उसकी जरूरत की भरपाई कर सकता है.

     इसलिए विवाह में दो दिमागों का एक साथ जुड़ना ही पर्याप्त नहीं है, शरीर और उनके घटक भागों के आकार में सामंजस्य होना बहुत महत्वपूर्ण है।

       ऋषि कोकोका ने पुरुषों को उनके लिंग की लंबाई के आधार पर खरगोश, बैल और घोड़े में विभाजित किया। उनके शरीर का आकार और गुण अलग-अलग होते हैं. खरगोश के लिए छोटा लिंग, बैल के लिए लंबा लिंग और घोड़े के लिए बहुत लंबा लिंग आदर्श होता है.

     मादा जननांग के आकार के आधार पर, उन्होंने उन्हें हिरण (छोटी गहराई), घोड़ा (मध्यम गहराई) और हाथी (अधिक गहराई) में विभाजित किया।

    जब किसी पुरुष और महिला के अंग एक ही आकार के होते हैं और उनकी क्षमता भी समान होती है तो उन्हें बहुत आनंद मिलता है. ऐसा नहीं होने पर महिला को पूरा पूरा आनंद नहीं मिल पाता.

      अक्सर एक पुरुष और एक महिला में एक ही समय में यौन इच्छा नहीं होती है और जब होती भी है, तो वासना की मात्रा अलग-अलग होती है.

      ऐसे में कोई पुरुष या महिला  अधिक इच्छा लेकर उसके पास आए तो यह परेशानी का सबब बन जाता है और परिवार में समस्याएं पैदा करता है।

    इस प्रकार जो पुरुष/महिला अत्यधिक कामुक होते हैं वे निराश हो जाते हैं. वे कई तरीके अपने को संतुष्ट करने के लिए तलाश करते हैं या हमेशा क्रोध, लड़ाई-झगड़ों में पड़े रहते हैं।

     ज्यादातर लोगों का जोश महिला को छूने के कुछ ही सेकंड के भीतर पानी बहने से मर जाता है. उनकी पत्नी अतृप्त वासना के कारण बहुत कष्ट सहती है. 

      उसके लिए प्लेजर स्पॉट टच लंबे समय तक किया जाना जरूरी है. चालीस मिनट से कम सेक्स करने वाले किसी भी स्त्री को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं.

    ऐसे पुरुषों को भी यौन सुख नहीं मिल पाता है. स्खलन का समय कई कारकों से निर्धारित होता है जैसे मूड, शारीरिक समस्याएं, संभोग के साथ टेंशन आदि। बढ़ती नामर्द के लिए 50% सेक्स की दवाएं जिम्मेदार बन रही हैं. 25% हैंड प्रैक्टिस और 25% दुराचारवृत्ति जिम्मेदार बनती है. (चेतना-स्टेमिना विकास मिशन).

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