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प्राण प्रतिष्ठा बनाम, धर्म- अघर्म की लड़ाई?

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सनत जैन

अयोध्या में मुख्य राम मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो गया है।22 जनवरी को यहां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। सरयू तट पर 14 जनवरी से धार्मिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे।नेपाल के 21000 पुजारी 14 जनवरी से अनुष्ठान शुरू कर देंगे। भगवान राम की ससुराल से 21000 पुजारी अयोध्या पहुंचने वाले हैं। उनके लिए 100 एकड़ में एक टेंट सिटी बसाई गई है। जहां लगातार 12 दिन तक नेपाल से आए पुजारी महायज्ञ का अनुष्ठान करेंगे। इसी बीच सनातन धर्म के सबसे बड़े धर्म गुरु चारों शंकराचार्याओं ने अधूरे बने मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को शास्त्रों के अनुसार नहीं बताते हुए, प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में नहीं जाने का निर्णय लिया है।

चारों शंकराचार्यों का कहना है कि वह धर्म की स्थापना के लिए काम करते हैं। सनातन धर्म के प्रचार प्रचार के लिए काम करते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार जब मंदिर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में वह रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का ना तो समर्थन कर सकते हैं। ना प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। पहली बार भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर चारों शंकराचार्यों ने जिस तरह धर्म और अधर्म की बात की है। उससे राम भक्तों के बीच में अनिश्चय की स्थिति बनती जा रही है। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट द्वारा सभी धर्माचार्यों, राजनेताओं और गड़मान्य नागरिकों को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उपस्थित होने के लिए आमंत्रण पत्र भेजे हैं।

आमंत्रण को लेकर पिछले कई दिनों से राजनीति हो रही है। कांग्रेस नेताओं ने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में जाने से इनकार कर दिया है। गैर भाजपाई राजनेताओं ने भी कार्यक्रम में नहीं जाने की बात कही है। शंकराचार्यों द्वारा किए गए विरोध के बाद कांग्रेस के नेताओं ने भी यह कहना शुरू कर दिया है, कि भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम धर्मानुकूल नहीं है। ऐसी स्थिति में जब भगवान राम का आदेश होगा, तब वह अयोध्या जाकर भगवान राम के दर्शन करेंगे। 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश भर में बड़े व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मंदिरों में लाइटिंग, दीपोत्सव और भजन अर्चन के कार्यक्रम रखे गए हैं। अयोध्या में 14 जनवरी से लेकर 25 जनवरी तक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। 20 जनवरी के बाद केवल आमंत्रित अतिथि ही अयोध्या में प्रवेश करेंगे।

आम जनमानस का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। पिछले एक माह से अयोध्या में नवनिर्मित भगवान राम के मंदिर और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लेकर, जिस तरह टीवी चैनल समाचार पत्रों में बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार हो रहा है। उसके कारण लाखों भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं। देश और विदेश से बड़ी संख्या में हवाई जहाज, रेल मार्ग और बसों द्वारा भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं। अयोध्या तक का हवाई सफर 400 फीसदी तक महंगा हो गया है। 22 जनवरी को 100 से ज्यादा चार्टर प्लेन विशिष्ट आमंत्रित अतिथियों को लेकर अयोध्या पहुंचेंगे। अयोध्या में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा का समारोह देश भर के सभी मंदिरों में दिखाए जाने के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई है। उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में 22 जनवरी को स्कूल और कॉलेज में छुट्टी घोषित कर दी गई है। भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता घर-घर जाकर अयोध्या में रामलला के दर्शन करने का का आमंत्रण दे रहे हैं। बड़े स्तर पर जब यह कार्यक्रम हो रहा है। इसी अवसर पर चारों शंकराचार्यों द्वारा यह कहना की धर्म के अनुसार रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम नहीं किया जा रहा है। मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होने कलश और ध्वज की स्थापना के बाद ही, रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम किया जाना था।

भारत में हिंदू समाज के बीच में शंकराचार्य का विशेष धार्मिक महत्व है। सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में आदि शंकराचार्य से लेकर अभी तक के शंकराचार्य ही सनातन की धार्मिक मामलों में अग्रणी रहे हैं। शंकराचार्यों द्वाराप्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का सतत विरोध किया जा रहा है। ज्योतिषियों द्वारा अधूरे मंदिर और शुभ मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होने से डर और भय भी दिखाया जा रहा है। जिसके कारण हिंदू समाज के बीच राम मंदिर मे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी हैं। राजनीतिक दल प्राण प्रतिष्ठा के इस कार्यक्रम को भारतीय जनता पार्टी और संघ का कार्यक्रम बताकर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं। आमंत्रण को लेकर जो राजनीति शुरू हुई थी, शंकराचार्यों के विरोध के बाद अब यह मामला अब तूल पकड़ने लगा है। भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। धार्मिक कार्यक्रम में इस तरह की राजनीति के कारण प्राण प्रतिष्ठा का यह कार्यक्रम विवादों में घिर गया है।

समय रहते पक्ष और विपक्ष सभी को यह कोशिश करनी चाहिए, कि भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे।भगवान राम के आचरण और उनके रामराज की परिकल्पना को साकार करने के लिए सभी लोगों के बीच में समन्वय बनाया जाना चाहिए। अभी लगभग 10 दिन का समय है। जो विसंगतियां सामने आई हैं। उनका निराकरण करने के लिए धर्माचार्यों को आगे आना चाहिए। प्राण प्रतिष्ठा का यह कार्यक्रम बड़े हर्षो उल्लास के साथ संपन्न हो। इसकी कामना सभी कर रहे हैं। राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देश भर में सभी पक्षों में सहमति बनी थी। मंदिर निर्माण की कमेटी है। मंदिर निर्माण कमेटी की जिम्मेदारी है, कि वह सभी पक्षों को साथ लेकर जिस तरह की आशंकाएं रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर व्यक्त की जा रही हैं। उनका निराकरण समय रहते कर ले।सभी पक्षों के बीच में सहमति बने। तभी रामराज की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है।

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