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भारत रत्न नानाजी देशमुख: सेवा और सरलता की मिसाल

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रामबाबू अग्रवाल, इंदौर

नानाजी देशमुख भारत देश के महान व्यक्तियों में से एक थे । नानाजी को मुख्यरूप से एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है । नानाजी ने भारत देश में फैली कुप्रथाओं को ख़त्म करने के लिए अनेक कार्य किये है । नानाजी ने भारत के ग्रामीण क्षेत्र को करीब से देखा था। गाँव में सारी सुख सुविधा मिल सके, इसके लिए नानाजी हमेशा तत्पर रहे थे । नानाजी को देश विदेश में बहुत से सम्मान मिले है, लेकिन अब 2019 में भारत सरकार ने भारत देश का सबसे बड़ा पुरुस्कार भारत रत्न से नानाजी को सम्मानित किया है ।

नानाजी देशमुख का जन्म 11 अक्टूबर 1916 को महाराष्ट्र के छोटे से गाँव में हुआ था । नानाजी जब पैदा हुए तब उनका नाम चंडिकादास अमृतदास देशमुख था । नानाजी गरीब मराठी ब्राह्मण परिवार से थे । बचपन से उन्होंने गरीबी को देखा था । नानाजी का बचपन संघर्ष से भरा हुआ था । नानाजी देशमुख के माता-पिता उन्हें कम उम्र में ही छोड़ कर स्वर्गवासी हो गए थे। आगे नानाजी की देखरेख उनके मामा ने की थी। जिस वजह से वे खुद पैसे कमाने के लिए मेहनत करते थे। बचपन में उन्होंने सब्जी बेचने का भी काम किया था । नानाजी पैसे कमाने के लिए अपने घर से भी निकल जाया करते थे, फिर उन्हें जहाँ सहारा मिलता वही रह जाते थे। नानाजी ने तो कुछ समय मंदिर में भी रहकर गुजारा था।
नानाजी देशमुख का राजनैतिक सफ़र
• नानाजी अपना आदर्श लोकमान्य तिलक जी को मानते थे, 1940 के दौरान बहुत से युवा मुख्यरूप से महाराष्ट्र में नानाजी से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो रहे थेA
• 1950 के आते-आते आरएसएस से प्रतिबंध हट गया था, जिसके बाद संघ के लोगों ने भारतीय कांग्रेस के सामने खुद की पार्टी खड़ी करने का विचार किया। 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने संघ के साथ मिल कर भारतीय जन संघ की स्थापना की थी। यही fopkj/kkjk देश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी बनी gS vcA
• उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रचारक के लिए नानाजी को चुना गया था। वे वहां महासचिव के रूप में कार्यरत थे। 1957 तक नानाजी ने यूपी के हर जिले में जाकर पार्टी का प्रचार किया। लोगों को पार्टी से जुड़ने का आग्रह Hkh किया A
• उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्र भानु गुप्ता को प्रदेश के राजनैतिक युद्ध में देशमुख जी के नेतृत्व में से एक, दो नहीं बल्कि तीन बार बड़ी टक्कर दी थी। यह उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार था, जब कोई पार्टी कांग्रेस के सामने इतने बड़े रूप में खड़ी हो सकी थी। भारतीय जन संघ को यूपी में लोकप्रियता दिलाने का श्रेय अटल बिहारी बाजपेयी जी, दीनदयाल उपाध्याय जी एवं नानाजी को जाता है। तीनों की कड़ी मेहनत, दृष्टिकोण, कौशल से भारत की राजनीति में यह बड़ा फेरबदल हुआ था।
• नानाजी बहुत ही शांत और नम्र किस्म के इन्सान थे , फिर चाहे वो उनकी पार्टी का मेम्बर हो या विपक्ष का कोई इन्सान। यही वजह थी कि दूसरी पार्टी के लोग भी नानाजी के साथ बहुत ही आदर के साथ व्यवहार करते थे
• नानाजी देशमुख ने विनोबा भावे द्वारा शुरू किये गए भू दान आन्दोलन में भी बढचढ कर हिस्सा लिया था।
• इंदिरा गाँधी जी की के समय जब देश में आपातकाल चल रहा था, तब देश की राजनीति में भी बहुत उठक पटक हुई थी। देशमुख जी ने इस दौरान अपनी समझ और हिम्मत का vyx gh परिचय दिया था, जिसकी तारीफ़ बाद में turk ikVhZ के प्रधानमंत्री बने मुरारजी देसाई ने भी की थी।
• 1977 में नानाजी यूपी के बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से turk ikVhZ की तरफ से चुनाव में उतरे थे, जहाँ एक बड़े मार्जिन के साथ उनको जीत हासिल हुई थी।
• 1980 में नानाजी ने राजनीति dks छोड़ gks x,A कर सामाजिक और रचनात्मक कार्यों को करने का फैसला किया। इससे उनके चाहने वालों को बहुत दुःख हुआ था, लेकिन सभी ने उनके फैसले का सम्मान किया था।
• जब जनता पार्टी का गठन हुआ था, देशमुख इसके मुख्य वास्तुकारों में से एक थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ उन्होंने पार्टी के लिए रुपरेखा बनाई थी। tks vUUk vkanksyu ,oa dkaxzsl ds f[kykQ ekgksy cuus ls vc Hkktik us pkSrjQk mUurh dh gSA lnL;rk esa ikVhZ ds cSad csysal esa vkfn ds lkFk vkt Hkkjr ds lcls ?kukn~; jktuSfrd ny ds :Ik esa LFkku cu x;k gSA

नानाजी देशमुख द्वारा किये गए सामाजिक कार्य –
• राजनीति से सन्यास लेने के बाद नानाजी ने igys ls LFkkfir 1969 में दीनदयाल esa le; fn;k शोध संस्थान की स्थापना की थी, उनका उद्देश्य था कि यह संस्थान भारत को मजबूत बनाने के लिए कार्यरत रहे। राजनीति के बाद नानाजी ने अपना समय इसके निर्माण कार्य में ही लगा दिया था।
• गाँव में कुटीर उद्योग को बढ़ाने के लिए, वे ग्रामवासी को हमेशा सही शिक्षा दिया करते थेA
• पहली बार जब नानाजी fp=dwV गए, तो उन्हें वो बेहद अच्छी लगी, जिसके बाद उन्होंने अपने आगे के जीवन को यही बिताने का फैसला लिया थाA 1969 में नानाजी ने रामभूमि चित्रकूट के विकास कार्य को करने का दृढ संकल्प ले लिया। उस समय चित्र्कूफ़ की हालात अच्छे नहीं थे, विकास के नाम पर राम की कर्मभूमि पर कुछ भी नहीं हुआ था] vc ml ij fo’ks”k /;ku fn;k tk jgk gS ;g ukukth ns’keq[k dh बदौलतA
• भगवान राम जब अपने वनवास काल में थे, तो उन्होंने 14 में से 12 साल इसी जगह में व्यतीत किये थे, उसी समय से उन्होंने दलितों के विकास के लिए काम शुरू किया था । नानाजी ने भी इस कार्य को आगे बढ़ाने का सोचा और चित्रकूट को अपने सामाजिक कार्यों का केंद्र बना दिया था ।

योगदान
• भारत देश के प्रथम ग्रामीण विश्वविद्यालय की स्थापना चित्रकूट में नानाजी के द्वारा हुई थी। वे इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी थे।
• नानाजी देशमुख ने मंथन नाम की पत्रिका का प्रकाशन भी शुरू किया था।
• उन्होंने 1950 में उत्तरप्रदेश देश का पहले स्वरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय की स्थापना की थी ।
नानाजी देशमुख द्वारा देहदान
सन 2010 में 93 साल की उम्र में नानाजी का निधन चित्रकूट के उन्ही के द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में हुआ था। नानाजी लम्बे समय से बीमार थे, लेकिन वे इलाज के लिए चित्रकूट छोड़कर नहीं जाना चाहते थे। नानाजी ने मरने से पहले ही निर्णय ले लिया था, कि वो अपना देह दान करेंगें। उन्होंने दधीचि देहदान संस्थान को अपना शरीर दान दे दिया था। मरने के बाद उनके शरीर को अनुसन्धान के लिए वहीँ पहुंचा दिया गया।
अवार्ड्स एवं उपलब्धियां –
नानाजी को 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था । इसके 20 साल बाद 2019 में भा. ज. पा. की सरकार बनने पर नानाजी को भारत रत्न देने का फैसला लिया गया। ऐसे महान हस्ती को देश हमेशा याद रखेगा।

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