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सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है भोपाल

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अरूण शर्मा

भोपाल जिसे झीलों का शहर भी कहा जाता है, मध्यप्रदेश की राजधानी है और अपने प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर, आइए भोपाल जिले एवं इसके आस-पास के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों पर एक नजर डालें, जो न केवल स्थानीय, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं।


बड़ा तालाब (ऊपरी झील)
भोपाल का बड़ा तालाब देश के सबसे पुराने मानव निर्मित झीलों में से एक है, जिसे राजा भोज के द्वारा निर्मित कराया गया था। यह शहर का प्रमुख आकर्षण है और यहाँ पर्यटक बोटिंग, वाटर स्पोर्ट्स का आनंद ले सकते हैं। झील के किनारे स्थित वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भी देखने लायक है। यह झील शाम के समय सूर्यास्त के अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती है, जिससे यह जगह और भी मनमोहक लगती है।
भीमबेटका शैलाश्रय
भोपाल के पास स्थित भीमबेटका शैलाश्रय एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो प्राचीन मानव सभ्यता के इतिहास को दर्शाता है। यहाँ की शैलचित्र विश्व की सबसे प्राचीन चित्रकला में गिने जाते हैं और यह पर्यटकों के लिए एक अद्भुत स्थल है, जो उन्हें पाषाण युग में ले जाता है। ये गुफाएँ मानव सभ्यता के प्रारंभिक दौर की कहानी कहती हैं और इसमें मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं का चित्रण है।
सांची का स्तूप
हालांकि सांची भोपाल से थोड़ी दूरी पर स्थित है, लेकिन इसे भोपाल पर्यटन के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। सांची के स्तूप बौद्ध स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण हैं और यह गौतम बुद्ध के जीवन से संबंधित प्रमुख घटनाओं को चित्रित करता है। यहाँ पर स्थित स्तूप और अन्य संरचनाएँ बौद्ध धर्म के अनुयायियों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
भारत भवन
भोपाल के सांस्कृतिक और कला प्रेमियों के लिए भारत भवन एक प्रमुख स्थल है। यहाँ पर विभिन्न कला प्रदर्शनियाँ, थिएटर, संगीत कार्यक्रम और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। यह स्थान विशेष रूप से कलाकारों और कला प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थल है, जहाँ भारतीय कला और संस्कृति के विविध रंग देखने को मिलते हैं।
भोजपुर
भोजपुर भोपाल से 28 किमी दूर बेतवा नदी पर स्थित है। भोजपुर अधूरे भोजेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर भारत के सबसे बड़े लिंगा में से एक है।
शौर्य स्मारक
शौर्य स्मारक (The War Memorial) जो भोपाल शहर के केंद्र में अरेरा पहाड़ी पर स्थित है, भारत के अमर शहीदों की युद्ध तथा शौर्य गाथाओं की आम जनता को अनुभूति कराने हेतु भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 14 अक्टूबर 2016 को देश को समर्पित किया गया। पर्यटन की दृष्टि से अब यह भोपाल का ही नहीं बल्कि भारत का एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया है।
भोपाल स्थित शौर्य स्मारक के सौन्दर्य, स्वच्छता तथा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छोटे से प्रवेश शुल्क का प्रावधान किया गया है जो मिलने वाले आनंद की तुलना में कुछ भी नहीं है। हालांकि सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों तथा उनके परिवार वालों सम्मान देते हुए यहाँ निःशुल्क प्रवेश दिया जाता है। शौर्य स्मारक का रख-रखाव भोपाल स्थित भारतीय सेना व मध्य प्रदेश प्रशासन द्वारा किया जाता है ।
ताज-उल-मस्जिद
भोपाल की इस भव्य मस्जिद का निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था और यह भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। ताज-उल-मस्जिद अपनी भव्यता, सुंदर वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। इस मस्जिद के गुंबद और मीनारें दर्शनीय हैं और यह पर्यटकों के बीच लोकप्रिय धार्मिक स्थल भी है।
बिरला मंदिरः
बिड़ला मंदिर भोपाल के उच्चतम बिंदु पर स्थित है, जो एक शीर्ष क्षेत्र है जो देवी लक्ष्मी को समर्पित है।
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान एक अर्ध-खुला जंगल है, जो भोपाल के बड़ा तालाब के किनारे स्थित है। यहाँ पर्यटक बाघ, तेंदुए, भालू और विभिन्न प्रकार के पक्षियों का अवलोकन कर सकते हैं। इस पार्क का उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण है, और यहाँ की सैर पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाती है। यह उद्यान प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव फोटोग्राफरों के लिए आदर्श स्थल है।
शौकत महल और सदर मंजिल
भोपाल के शाही इतिहास का गवाह, शौकत महल यूरोपीय और मुग़ल स्थापत्य शैली का अनूठा मेल है। इसके पास स्थित सदर मंजिल भी एक प्रभावशाली संरचना है, जो भोपाल की रियासत के शाही गौरव को दर्शाती है। इन ऐतिहासिक इमारतों की खूबसूरती और वास्तुकला पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
गौहर महल
गौहर महल भोपाल की पहली महिला शासक, कुदसिया बेगम द्वारा बनवाया गया था। यह महल अपने मुगल और हिन्दू स्थापत्य शैली के मिश्रण के लिए प्रसिद्ध है। महल के चारों ओर लगे छोटे-छोटे बाजार इसे और भी खास बनाते हैं, जहाँ से पर्यटक स्थानीय हस्तकला और अन्य वस्त्र खरीद सकते हैं।
इस्लामनगर
भोपाल-बेरसिया रोड पर 11 किमी दूर अफगान शासक दोस्त मोहम्मद खान द्वारा विकसित हिंदू और इस्लामी सजावटी कला का संश्लेषण है।
समसगढ़
यह भोपाल से 22 किलोमीटर दूर स्थित है। इस जगह की खोज 70 साल पहले एक जैन मुनि ने की थी।
भोपाल जिले में पर्यटन स्थलों की भरमार है, जो इतिहास, संस्कृति और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श गंतव्य है। चाहे आप इतिहास के दीवाने हों, या फिर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच शांति तलाश रहे हों, भोपाल का हर कोना आपको अपने आप में बांध लेगा। विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर, इन अद्वितीय स्थलों की यात्रा आपके मन को प्रसन्नता और संतोष प्रदान करेगी।

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