विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन*
छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े लगभग 36 हजार करोड़ के नान घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 25 फ़रवरी को सुनवाई होनी हैं लेकिन उससे पहले भूपेश सरकार द्वारा ‘नान घोटाले‘ के प्रभावशील आरोपियों ने उन पत्रकारों को निशाना बनाया हैं, जो इस बड़े भ्रष्टाचार की सच्चाईयों को उजागर कर रहें थे। नाम ना छापने की शर्त में ये अफसर बता रहें हैं की नवा रायपुर में काबिज उन पत्रकारों को सबक सिखाया जायेगा, जो इस घोटाले की असलियत जाहिर कर रहें हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाये जाने का वादा किया था। लेकिन अब उनके ही राज में पत्रकारों को फर्जी मामलों में फ़ंसाने और प्रताड़ित किए जाने की घटनाएँ आम हो गई हैं। राज्य में गैरकानूनी दाव-पेचों के जरिए पत्रकारों पर दबाव बनाने के लिए सरकारी अफसरों और राजनेताओं का एक समूह जोर-शोर से जुटा हुआ है। यह गुट पत्रकारों को प्रताड़ित करने के मामलों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संरक्षण का भी दावा करता है। छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के साथ हो रहे अन्याय की सीमाएं हद पार करती जा रही हैं। राज्य के पत्रकारों को आर्थिक, सामाजिक और मानसिक रूप से इतना परेशान किया जा रहा है कि इन्हें अपनी रोजी-रोटी तक चलाना मुश्किल होता जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरपरस्ती में बदले की भावना से हो रहे कायर कारनामों से पूरा मीडिया जगत सकते में है। इसके साथ ही वर्तमान में छत्तीसगढ़ बेबाक, निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए मुसीबत का सबब बन चुकी है। हाल ही में प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव के रायपुर के वीआईपी रोड में 20 हजार वर्ग फुट में बने फार्म हाउस पर बुलडोजर चलवा दिया। यह कार्रवाई यह कहते हुए करवाई गई कि यह निर्माण अवैध था। फार्म हाउस पर बने निर्माण को तोड़े जाने को लेकर अब कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। इस मामले में पत्रकार सुनील नामदेव का दावा है कि करीब 04 महीने पहले मुझे NRDA ने नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि मेरा कंस्ट्रक्शन अवैध है। मैंने इस नोटिस को हाईकोर्ट में चैलेंज किया, वहां NRDA की नोटिस गलत साबित हुई, तब मुझसे माफी मांगकर इस नोटिस को वापस लिया गया, मगर अब उसी नोटिस के आधार पर फिर से कार्रवाई कर दी गई। सुनील नामदेव का कहना है कि जानबूझकर ये लोग संडे को कार्रवाई करने आए ताकि मैं कोर्ट न जा सकूं। सुनील नामदेव ने बताया कि मुझे घर से सामान खाली करने भी नहीं दिया गया। सुनील नामदेव का दावा है कि मैंने छत्तीसगढ़ के कुछ प्रसिद्ध राजनीतिक षड़यंत्रों को डंक मारा था। इसके अलावा कोयले से भ्रष्टाचार और अवैध रंगदारी का भी दंश था, जिसके चलते गुस्से में यह कार्रवाई की गई है। यह बुल्डोजर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इशारे पर चला है। सुनील का दोष केवल इतना है कि उन्होंने राज्य की भूपेश बघेल सरकार की तथाकथित गोदी पत्रकारों की सूची से खुद को बाहर रखा और सरकार की नाकामियों को सिलसिलेवार जनता के सामने लाने का कार्य किया है। जिसका खामियाजा उन्हें यह भुगतना पड़ा कि सरकार ने अवैधानिक ढंग से उनके घर पर बुल्डोजर चलवा दिया।
कांग्रेस सरकार के तीन साल के कार्यकाल में पत्रकारों पर अत्याचार के मामलों में तेजी आई हैं। खासतौर पर सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकारों और सरकारी अफसरों के कार्यप्रणाली पर खबरे प्रकाशित-प्रसारित करने वाले पत्रकारों को गिरफ्त में लेने के लिए सरेआम गैर-कानूनी हथकंडे अपनाये जा रहें हैं। गौरतलब है कि रायपुर में शासन और प्रशासन का पत्रकारों की स्वतंत्रता और भ्रष्टाचार के विरोध की आवाज को दबाने के लिए बुलडोजर चलाकर कार्यवाही जारी है। जिसके चलते रायपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार की कुटिया को उजाड़ने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य सरकार सारी मर्यादा ताक पर रख कर कार्यवाही की है।
एनडीआरडीए के अफसरों को दे रखी है छूट
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार की नाकामियों, भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने वाले पत्रकारों को परेशान करने के लिए मुख्यमंत्री ने एनडीआरडीए के अफसरों को हरी झंडी दे रखी है। वे ही सरकार के इशारों पर पत्रकारों को परेशान करने का कार्य करते हैं। यही नहीं बताया जा रहा है कि पत्रकारों को प्रताड़ित करने के लिए पूरी योजना सीएम हाउस में कई वरिष्ठ अधिकारी जो भूपेश बघेल के करीबी बताये जाते हैं उनके साथ मिलकर तैयार की गई है।
इससे पहले भी कर चुके हैं गिरफ्तारी
यह पहला अवसर पर नहीं है जब बघेल सरकार की नाकामियों का सच सामने लाने वाले पत्रकारों को इस तरह से परेशान किया गया हो। इससे पहले भी कई पत्रकारों को सरकार के खिलाफ खबर लिखने के विरोध में जेल तक जाना पड़ा है। यही नहीं उन्हें आर्थिक समस्या का भी सामना करना पड़ा। लेकिन कलम के सिपाही भूपेश बघेल सरकार की किसी भी भपकी से डरे नहीं और निश्चिंत होकर सरकार के भ्रष्टाचारों का पर्दाफाश कर रहे है।
पर्यावरण मंत्री भी सवालों के घेरे में
बताया जा रहा है कि प्रदेश के आवास और पर्यावरण मंत्री मो. अकबर के इशारे पर विभाग में करोड़ों रूपए का गबन हुआ है। उसी का परिणाम है कि आज एनआरडीए दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है। इस बात का पता जब मीडिया को चला तो उन्होंने एनआरडीए के विभिन्न बैंकों पर 2 हजार करोड़ रुपए बकाया से जुड़ी कई खबरें प्रकाशित की। खबरों के प्रकाशन से आक्रोशित हुए मंत्री मो. अकबर ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने अपनी सफाई दी और इस पूरे मसले का ठीकरा मीडिया के ऊपर फोड़ दिया कि यह रिपोर्ट्स गलत है, भ्रमित करने वाली है। बताया जाता हैं की तथ्यात्मक रिपोर्टिंग से नाराज आवास और पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर इतने बिखरे की उन्होंने पत्रकारों को सबक सिखाने का बीड़ा उठा लिया|
सच से क्यों घबराते हैं भूपेश बघेल?
पत्रकारों के साथ हो रही इस तरह की बर्बरता के बाद प्रदेश का मीडिया खासतौर से वो मीडिया जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गोदी मीडिया की सूची से बाहर हैं उनसे मुख्यमंत्री क्यों घबराते है। अक्सर सभाओं में जिस सुशासन की बात मुख्यमंत्री बघेल कहते है उसी सुशासन का पर्दाफाश करने का कार्य करने वाले पत्रकार मुख्यमंत्री की आंखों का कांटा बने हुए हैं। इससे पहले भी भूपेश बघेल सरकार ने अलग-अलग तरीके से इन पत्रकारों को सताने, परेशान करने, विज्ञापन रोक देने जैसे काम किये लेकिन पत्रकारों का इमान नहीं हिला पाये और अपनी ही सरकार की नाकामियों से जुड़ी खबर पढ़ते ही उनकी सिट्टी बिट्टी गुल हो जाती है।
पत्रकार हितैषी हैं शिवराज
छत्तीसगढ़ को अपने पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश से सीख लेना चाहिए कि प्रदेश की शिवराज सरकार कभी भी पत्रकारों को इस तरह से परेशान करने में विश्वास नहीं रखती। उनकी सरकार पत्रकार हितैषी सरकार है और उनकी आवश्यकताओं का भी बखूबी ध्यान रखना जानती है। इससे यह आशय बिल्कुल नहीं कि राज्य की मीडिया सरकार की नाकामियों को छुपाती है, बल्कि जरूरत पड़ने पर तथ्यों के साथ सरकार की कमियों का पर्दाफाश करने का भी कार्य करती है।