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अपनी रीढ़ तक तुड़वाली भाजपा ने उत्तर प्रदेश में….

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संजय कनोजिया की कलम से

 वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा का कुल वोट प्रतिशत केवल 19% रह गया था..जिसे भाजपा का परम्परागत वोट जाना जाता है..परन्तु 2014 के लोकसभा चुनाव में, केवल नरेंद्र मोदी द्वारा उनके गुजरात मॉडल, करिश्माई व्यक्तित्व सहित लोकलुभावन-लच्छेदार भाषण, सुनहरे सपनो के अच्छे दिन, गज़ब मार्केटिंग और UPA सरकार के खिलाफ़ 2011 से विभिन्न मुद्दों को लेकर लगातार चलते आंदोलन की वजह से भाजपा का वोट प्रतिशत 32% हो गया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुमत से केंद्र में सरकार बना ली गई..2014 से 2017 तक पूरा देश मोदीमय हो रखा था..विपक्ष की भूमिका उस वक्त तक नगण्य बनी हुई थी..देश के अन्य राज्यों के चुनाव, मोदी के चेहरे पर ही होते रहे..”बिहार को छोड़कर”, मोदी का विजय अभियान जारी रहा..वर्ष 2017 में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में इस विजय अभियान ने पिछली सभी जीतों को पछाड़ते हुए, मोदी के चेहरे पर 60%से भी अधिक वोट सहित 311+13 अन्य सहयोगी के साथ 324 सीट जीत ली !                                         

  प्रधानमंत्री मोदी की अनुकम्पा पर,1998 से 2017 तक लगातार सांसद रहे व हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक और प्रखर राष्ट्रवादी नेता की छबी वाले “आदित्यनाथ योगी” (मूल नाम अजय सिंह विष्ट) को उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी गई..योगी ना तो आरएसएस (RSS) के सदस्य रहे और ना ही भाजपा के अनुशासित कार्येकर्ता रहे..सूबे को चलाने के अनुभव की कमी होने के कारण, योगी जल्दी ब्यूरोक्रेट (लालफीताशाही) पर ही निर्भर हो गए..ब्यूरोक्रेट के अनुसार चलने के कारण, योगी सूबे के अपनी ही पार्टी के सांसद, विधायक, अपने ही उप-मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों को कभी विशवास में नहीं लिया और ना ही कोई परवाह की, यहाँ तक की पार्टी के मंडल-जिला-प्रदेश स्तर के कार्येकर्ताओं से भी दूरी बनाकर एक तानाशाह की तरह राज करने लगे..बल्कि सूबे के चुनाव से पूर्व भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने अन्य क्षेत्रीय दलों से (पटेल-निषाद आदि) सत्ता में भागेदारी और दूसरे लाभ के पदों सहित उनकी जातियों के उत्थान के जो वायदे किये थे, योगी ने उन्हें सिरे से खारिज़ ही नहीं किये उनका तिरस्कार भी किया..चाटुकार मीडिया कर्मियों और सरकारी पैसों के विज्ञापनों द्वारा योगी ने अपने को कुशल और योग्य मुख्यमंत्री साबित करना शुरू कर दिया..यही कारण रहा कि ब्यूरोक्रेट्स, मीडिया के लोग और योगी की, जी-हुजूरी, वाह-वाही, करने वालों ने कहना शुरूकर दिया कि “मोदी के बाद योगी”..गेरुए वस्त्र धारण किये एक मठाधीश कि भांति केवल वह उन्हीं लोगों से  संपर्क साधते जो उनकी चरण वंदना करते और हाँ में हाँ मिलाते तथा उनको अगला प्रधानमंत्री घोषित करते..धीरे-धीरे भाजपा के भीतर ही योगी के प्रति असंतोष पनपने लगा और योगी अपनों में ही विवादित होने लगे, इन्हीं कारणों ने भाजपा में आंतरिक कलह कि राजनीति को जन्म दे लिया..विवाद इतना बढ़ गया कि, योगी को समाधान कि किताब लेकर दिल्ली दरबार में अपने आकाओं के पास हाज़िरी लगानी पड़ी..लेकिन विवाद आज भी नहीं सुलझा, इस विवाद का ऊंट किस ओर करवट लेगा ये आने वाला वक्त बतलायेगा ! 

                                  ऐसा नहीं कि योगी से भाजपाई ही दुखी हैं.

.राम-राज्य की स्थापना करने वालों से पूरे उत्तर प्रदेश के हर वर्ग के समुदाय चाहे वो दलित-पिछड़े, ब्राह्मण-ठाकुर-वैश्य-कायस्थ या अन्य अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-युवा-महिला-बुजुर्ग-मजदूर-किसान-मंझोले उद्योग-लघु उद्योग-कुटीर उद्योग-मत्स्य उद्योग-उच्च मध्यम वर्ग-निम्न मध्यम वर्ग-अत्यंत गरीब..विरोध करने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी, छोटे-बड़े सभी पत्रकार, बुद्धिजीबी वर्ग आदि..ऐसा कोई भी वर्ग नहीं जो योगी के महाजंगलराज में त्राहिमाम ना करता पाया जा रहा हो, भय-दहशत-घुटन के माहौल ने जनता में सरकार के प्रति नफरत पैदाकर दी है..अपराधी ही नहीं पुलिस-प्रशासन तक निर्मम बना हुआ है…अपहरण-ठगी-चोरी-डकैती-हत्याओं ने पूरे सूबे में तांडव मचा रखा है..रेप, गैंग-रेप करने वालों से ना घर सुरक्षित है ना अस्पताल ना सड़क, सूबे की महिलायें कहीं भी सुरक्षित नहीं..सत्ता के खिलाफ़ बोलने, सवाल पूछने या किसी घटना की तस्वीर सार्वजनिक करने पर उन पत्रकारों पर राष्ट्रद्रोही ओर आतंकी गतिविधि में लिप्त पाए जाने का झूठा आरोप मढ दिया जाता है ओर गैर-जमानती धाराएं लगाकर जेल में डाल दिया जाता है..सूबे का दलित वर्ग आज तलक भी हाथरस काण्ड को नहीं भूला, जहाँ एक नाबालिक लड़की का गैंग-रेप किया  गया, ठीक से जांच  करने के बजाये, प्रशासन-पुलिस-अस्पताल ओर पाखंडी समाज के ताने-बानो ने निर्ममता की सारी हदें पारकर आधी रात को चुपचाप लड़की का दाहसंस्कार कर डाला ओर योगी सरकार चुप्पी साधे रही..इसी तरह की मिलती-जुलती घटनाएं सूबे के कई जिलों से आती रही..सत्य दिखाने वाले पत्रकारों ने 6 जून 2020 को अमरोहा, 8 जून को बिजनौर सहित दलितों के घर जलाने व मारने-पीटने, रेप- गैंग-रेप की, पिछले साढ़े चार वर्षों के योगी राज की सैकड़ों घटनाएं सामने लाएं हैं..अनगिनित घटनाओं के राज तो राज बनकर ही रह जाते हैं, क्योकिं चाटुकार मीडिया इन ख़बरों को सरकारी इशारे पर दबाता रहता है..ठीक इसी तरह अति-पिछड़ी जातियां भी ऐसे अत्याचारों की शिकार होतीं आ रही हैं..बल्कि अन्य पिछड़े वर्ग की 17 जातियां के साथ तो खुद योगी ने बड़ा धोखा दिया है..अन्य पिछड़ी जातियां जिनकी आबादी उ० प्र० में 13.38% है ओर पिछले कई दशकों से अनुसूचित वर्ग में शामिल होना चाहा रहीं है..योगी सरकार ने इन्हें अनुसूचित जाति की सूची में लाने का शगूफा फेंक इनको महत्वहीन अनुसूचित जाति के प्रमाण-पत्र बांटने लगे..जो कानूनी असंवैधानिक नहीं बल्कि केंद्र सरकार ने भी      इसका विरोध किया..केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने 2019 में राज्यसभा में कहा था कि योगी सरकार का ये कदम उचित नहीं है और असंवैधानिक है तथा  योगी सरकार को निर्देश दिया गया कि वह 17 अन्य पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों का प्रमाण-पत्र जारी करना बंद करे..कुल मिलाकर पूरे उ०प्र० में इन  जातियों का मजाक बनकर रह गया !

                                       कहते हैं कि भीड़ कि कोई शक्ल नहीं होती उनका कोई दीन-धर्म नहीं होता और इसी बात का फायदा हमेशा मॉब-लिंचिंग करने वाली भीड़ उठाती है..सवाल है कि इस भीड़ को इकठ्ठा करता कौन है ?..जो केवल कमजोर वर्गों को ही निशाना बनाती है..वर्ष 2017 से तो गौ-रक्षा के नाम पर गुंडई करने वाले इतने बेकाबू हो गए कि 37 ऐसे मामले हुए जिनमे 11 लोगों कि मौत हुई जबकि 152 लोग जख्मी हुए..वर्ष 2014 से 2019 तक गौ-रक्षा के नाम पर 120 मामलों में 50 फीसदी शिकार मुसलमान हुए जबकि 20% शिकार हुए लोगों की धर्म-जाति मालूम ही नहीं चल पाई और 11 फीसदी दलितों को शिकार होना पड़ा..उ० प्र० का 7% क्षत्रिय समाज दो भागों में बंटा हुआ है, उदार विचार क्षत्रिय राजनाथ सिंह खेमे में और उग्र हिंदुत्व क्षत्रिय योगी खेमे में..3.50% वैश्य और कायस्थों में अपने-अपने छोटे उद्योग और रोजगार को लेकर प्रश्न-चिन्ह लगा हुआ है..14% ब्राह्मण समाज भी असमंजस की स्थिति में चिंतन-मनन कर रहा है कि कब तलक वो वोट बैंक बनकर इस्तेमाल होता रहेगा और क्यों वह सियासत के केंद्र से गायब हो गया..वर्ष 1989 के बाद इन 32 वर्षों में अबतक कोई भी ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं बना..चूँकि उ०प्र० में कांग्रेस हाशिये पर है और ब्रह्मण समाज का डीएनए कांग्रेस में ही है..गोबिंदवल्लभ पंत, सुचेता कृपलानी, कमलापति त्रिपाठी, हेमवतीनंदन बहुगुणा, नारायणदत्त तिवारी आदि ये सभी कांग्रेस कि ही देन है..सूबे की तीसरे नंबर की आबादी का हनन जो योगी सरकार में हुआ है, उससे ब्राह्मण समाज बेहद आक्रोशित हो रखा है..ब्राह्मणो की हत्या-एन्काउंटर, बेक़सूर महिलाओं को जबरन जेल, सत्ता की भागेदारी से दूर रखना..अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के अनुसार 300 ब्राह्मणो की हत्या हो चुकी है..ब्राह्मणो को अहसास हो गया है कि इस समाज को सर्वश्रेष्ठ और विश्व गुरु होने के गुमान का चोला उतारकर, फ़र्ज़ी हिंदुत्व और छद्यं राष्ट्रवाद कि जय-जयकार से बाहर निकल किसी निर्णय पर पहुँचाना होगा..नेतृत्व भले ना मिले परन्तु अपनी संख्या अनुसार सत्ता कि भागेदारी में उचित सम्मान अवश्य मिले !

                                                                              सूबे में बेरोजगारी और महंगाई सुरसा कि तरह मुहं फाड़े खड़ी है, शिक्षित बेरोजगार सहित जिनके पास रोजगार था वह भी बड़ी संख्या में बेरोजगार हुए है..शायद जनता उक्त लिखित में कुछ बातें भूल भी जाए लेकिन मौत को नहीं भूल सकती..कोरोना महामारी के दूसरे संकट ने तो उ०प्र० की चरमराई व्यवस्था की पोल ही खोल कर रख दी, और प्रशासन की लापरवाही की तस्वीर सार्वजनिक हो गई..उसपर इस संक्रमणकाल में योगी का पंचायत चुनाव कराना जिसमे सरकारी कर्मचारी व शिक्षकों की बड़ी संख्या में कोरोना से मौत होना, कुम्भ मेले में सूबे के साधू-संतों और अन्य भक्तों का बढ़चढ़कर हिस्सा लेना, कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुईं..बिगड़ी हुई स्वास्थ्य व्यवस्था, अस्पतालों की लापरवाही, दवाओं की कमी उसपर उसकी कालाबाज़ारी, ऑक्ससीजन, वेंटिलेटर, वैक्सीन का आभाव, ने लोगों की बड़ी संख्या में जान ले ली..गंगा में अनगिनित लाशों का तैरना, तैरती लाशों को कुत्तों का ग्रास बनना..लाशों का बदलजाना, शमशान में जगह के आभाव में हिन्दुओं की लाशों की कब्र बन जाना..और उसपर सरकार का आंकड़ें छुपाना, आंकड़ों की गलत जानकारी देना..योगी द्वारा स्थिति को सामान्य होने की घोषणा कर जनता को बरगलाना, अपनी तारीफ़ में विज्ञापन निकलवाना..इन सब कृत्यों को जनता भूल नहीं सकती..कुल मिलाकर योगी का राज एक क्रूर तानाशाह की तरह रहा है और अब जल्द योगी का ड्रीम-प्रोजेक्ट, एक नई पुलिस के गठन की स्थापना होने जा रही है..UPSSF (उ०प्र० स्पेशल सेक्योरिटी फोर्स) इस फोर्स के एक्शन पर सरकार कोई रोक नहीं लगा सकती, अदालत बीच में आ नहीं सकती, इसके अधिकार कानून से ऊपर होंगे, इस फोर्स के पास बिना वारंट के तलाशी व गिरफ्तार करने के अधिकार होंगे, ये फोर्स स्वतंत्र होकर काम करेगी, पैसा देकर कोई भी पूंजीपति इस फोर्स का इस्तेमाल कर सकेगा..ये किडनेप का एक नया तरीका होगा, जुल्म सितम की खौफनाक कहानी की शुरुआत होगी, मुसलमान-दलित-पिछड़े इसके निशाने पर होंगे ! 
                                                           ऐसा नहीं की उ०प्र० में योगी की ही छबि धूमिल हुई है.
.आगामी विधानसभा 2022 के चुनाव में, जनता प्रधानमंत्री मोदी से भी सवाल करेगी, 2014-2017 वाला मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व अब नहीं रहा और ना ही वह लोकलुभावन-लच्छेदार भाषण का जादू, अब मोदी वाणी हो या उनके मन की बात, जनता निडरता से उसे जुमला कहती है..भले ही इस चुनाव में चीन प्रकरण या राफेल घोटाला मुद्दा ना बने लेकिन किसान के लिए बनाये तीन काले कानून एवं किसान का अपमान, उनकी मौतें, उनपर किये दमन, और बदनामी को लेकर किसान मुखर होगा..महंगाई, बेरोजगारी, विदेशों में भेजी वैक्सीन और ऑक्ससीजन, काले-धन की वापसी, GST तथा गिरती GDP, नोट-बंदी के नकरात्मक प्रभाव आदि-आदि और भी गंभीर सवालों पर मोदी निशाने पर रहेंगे..हिंदुत्व और श्री राम के नाम का सहारा भी नाकाम होने से   भी भाजपा की नींद उड़ चुकी है..अभी ताज़ा प्रकरण श्री राम जन्म भूमि ट्रस्ट का जमीन को लेकर उठे विवाद ने भाजपा की नीव ही हिला दी, सभी इसकी जांच की पारदर्शिक जांच की मांग कर रहे हैं, जांच पारदर्शी हुई और दोषियों की पहचान हो गई तो भाजपा के पाँव की जमीन ही खिसक जायेगी और योगी-मोदी के गले में फांस फस जायेगी..भाजपा का आंतरिक कल्ह आग में  घी डालने का काम कर रही है..लखनऊ और दिल्ली विवाद बढ़ता ही जा रहा है, संगठन की मजबूती को लेकर जहाँ गृह-मंत्री अमित शाह ने कमर कस ली है, वहीं दूसरी ओर अपनी हिंदुत्व की छबि को और उग्र करते योगी आरएसएस के समर्थन सहित, नेपथ्य में गई अपनी हिन्दू युवा वाहिनी को संगठित कर सक्रिय कर रहे है..भाजपा का आंतरिक विवाद यूँ ही बना रहा तो 2020 के उ०प्र० चुनाव में अन्य दल चुनाव लड़ रहे होंगे और भाजपा अपनों में आपस में लड़ रही होगी..बस कुछ यूँ सी हो चुकी है रीढ़विहीन भाजपा..!!              लेखक सक्रिय राजनैतिक कार्येकर्ता है

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