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सीएए विरोधी आंदोलन के नेता अखिल गोगोई को जेल में ही रखना चाहती है भाजपा सरकार

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असम में पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले किसान नेता अखिल गोगोई एक साल से जेल में बंद हैं। असम की भाजपा सरकार गोगोई से डरती है और विधानसभा चुनाव से पहले उनकी रिहाई संभव न हो सके, इसके लिए उनके खिलाफ उल्टे-सीधे आरोप लगाकर भाजपा सरकार ने उसी दमनकारी नीति का परिचय दिया है, जिसके जरिए वह देश भर में अपने विरोधियों को निपटाती रही है।

गौहाटी उच्च न्यायालय ने गुरुवार को सीएए विरोधी आंदोलन के नेता अखिल गोगोई की जमानत याचिका खारिज कर दी, जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपने आरोप पत्रों में आरोप लगाया कि गोगोई ने कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के कई सदस्यों को 2009 में सीपीआई (माओवादी) द्वारा चलाए जा रहे शिविरों में हथियारों और विस्फोटकों का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भेजा था।

अखिल जेल में 12 दिसंबर 2019 से बंद हैं। गुवाहाटी और असम के कुछ अन्य हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन के बाद उनको गिरफ्तार किया गया था। बाद में मामला एनआईए को सौंप दिया गया था। एजेंसी ने आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया। आंदोलन में पुलिस की गोलीबारी में पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि वाहनों में आग लगा दी गई और गुस्साए आंदोलनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। आंदोलन के चलते राज्य में एक सप्ताह से अधिक समय तक जनजीवन ठप रहा।

अखिल के वकील कमल गोगोई ने गुवाहाटी में संवाददाताओं से कहा कि न्यायमूर्ति कल्याण राय सुराणा और न्यायमूर्ति अजीत बोरठाकुर ने सुनवाई के बाद और एनआईए के आरोप पत्र सहित दोनों पक्षों द्वारा दायर कई दस्तावेजों से गुजरने के बाद अखिल की जमानत अर्जी खारिज कर दी।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “जांच के दौरान दर्ज किए गए गवाहों के बयान सहित एकत्रित सामग्री से पता चलता है कि याचिकाकर्ता (गोगोई) ने सीपीआई  (माओवादी) द्वारा चलाए जा रहे शिविरों में केएमएसएस के लगभग 15 सदस्यों को पांच बैचों में प्रशिक्षण के लिए भेजा था, जहां उन्हें हथियार, विस्फोटक इत्यादि के साथ देश द्रोही गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बड़े पैमाने पर लामबंदी की रणनीति का प्रशिक्षण दिया गया।”

अदालत ने कहा कि एनआईए द्वारा प्रस्तुत सामग्रियों से पता चलता है कि अखिल ने न केवल विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था, बल्कि लोगों को उसके साथ जुड़ने के लिए उकसाया था और अखिल द्वारा जारी किए गए निर्देशों के अनुसार राज्य के समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति राज्य में बाधित हो गई।

एनआईए की चार्जशीट में गवाहों के बयान, वीडियो फुटेज के साथ-साथ सार्वजनिक भाषणों और ट्रांससेप्टेड फोन कॉल्स के ट्रांसक्रिप्शन का भी हवाला दिया गया है कि गोगोई और अन्य ने समूहों के बीच शत्रुता, सार्वजनिक शांति में बाधा और व्यापक विघटन की साजिश रची थी और विरोध प्रदर्शन की आड़ में देश द्रोही गतिविधियों को अंजाम देने, सरकारी तंत्र को पंगु बनाकर लोगों के एक वर्ग में आतंक फैलाने की सक्रिय भूमिका निभाई थी।

अखिल के वकील ने कहा कि वे जल्द ही जमानत की अर्जी लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। केएमएसएस ने एनआईए द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया और इसे विधानसभा चुनाव से पहले अखिल को सलाखों के पीछे रखने के लिए भाजपा नीत सरकार की एक साजिश बताया।

अखिल केंद्र और असम की भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं। उन्होंने सीए-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करते हुए कहा था कि सीएए 1971 के बाद के दो करोड़ बंगलादेशी हिंदू प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देगा और इस तरह से असम के मूल नागरिक अल्पसंख्यक बन जाएंगे।

असम में उग्रवादी संगठन उल्फा की लोकप्रियता खत्म होने के बाद राज्य का हाल के दिनों का इतिहास अखिल गोगोई और उनके संगठन के चर्चा के बगैर अधूरा है। अखिल एक ऐसे कार्यकर्ता हैं, जिसे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां पसंद नहीं करती हैं। कभी पुराने तो कभी नए आरोप में अखिल को समय-समय पर जेल भेजा जाता रहा है। अखिल की राजनीति से सरोकार न रखने वाले मिडिल क्लास ने भी वर्ष 2010 में बांध विरोधी आंदोलन के दौरान अखिल के साथ मिलकर कई विशाल रैलियों में भागीदारी की थी।

वर्ष 2005 में किसान के 29 वर्षीय बेटे अखिल ने कृषक मुक्ति संग्राम समिति की स्थापना की थी। इससे पहले अखिल ने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करते हुए कॉटन कॉलेज स्टडी सर्किल की स्थापना की थी। अखिल ने उस साल सभी दोस्तों को एकजुट कर कहा कि हमारी राजनीतिक सोच कार्य में तब्दील होनी चाहिए, और इस तरह कॉटन कॉलेज स्टडी सर्किल का जन्म हुआ।

अखिल गोगोई की पत्नी गीताश्री और पूर्व सहयोगी बताते हैं कि किसान नेता के रुप में अखिल का उभरना एकाएक हुआ। अखिल हमेशा छात्र नेता बनना चाहते थे। उन्होंने गुवाहाटी स्थित जजेज फील्ड में एक विशाल सम्मेलन के आयोजन का सपना देखा था, जहां से एक नए क्रांतिकारी छात्र संघ का जन्म होता। मगर वह सम्मेलन कभी नहीं हुआ। अखिल ने सांस्कृतिक मार्ग चुना और ज्योति प्रसाद अगरवाला की जन्म शताब्दी मनाने का फैसला किया।

इस आयोजन के बाद अखिल अब लोकप्रिय चेहरा बन चुके थे। इस कार्यक्रम का आयोजन कॉटन कॉलेज के सुदमर्शन हॉल में किया गया था, जिसमें कोई और नहीं बल्कि भूपेन हजारिका शामिल हुए थे। केएमएसएस के सदस्यों की सही जानकारी तो पता नही, पर संगठन के नेता अशरफुल इस्लाम के अनुसार लगभग 12 लाख सदस्य इस संगठन में हैं।

हाल के कुछ वर्षों में संगठन ने कई आंदोलन किए हैं। बस किराए में बढ़ोत्तरी से लेकर बड़े बांध या टॉलगेट का विरोध, सबमें संगठन ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। वर्ष 2015 में संगठन ने काजीरंगा एंड ऑर्किड एंड बायोडाईवर्सिटी पार्क की स्थापना की।

अखिल को एक नई क्षेत्रीय पार्टी राइजर दल के नेता के रूप में पेश किया जा रहा है, जिसका नेतृत्व ज्यादातर केएमएसएस के नेता कर रहे है। पार्टी अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, ताकि भाजपा विरोधी वोटों को अपने पक्ष में कर सके।

दिनकर कुमार ‘द सेंटिनेल’ के पूर्व संपादक हैं।

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