जनता के बीच लोकप्रिय हर उस मुद्दे को बदनाम होने की सीमा तक बीजेपी इस्तेमाल करती है. राम मंदिर से लेकर पाकिस्तान तक की बात करते हुए 56 ईंची सीना का राग अलापते बीजेपी जब से सत्ता में वापस आई है, अपने हर कुकर्मों के लिए कोई न कोई नया शिगूफा तैयार कर लेती है. काला धन और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर जब अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना के अगुवाई में देशव्यापी आंदोलन का सूत्रपात किया था, तब किसे पता था कि इसी मुद्दे की लोकप्रियता का लाभ उठा कर बीजेपी सत्ता में आ जायेगी और मुद्दों की एैसी-तैसी की जायेगी.
सत्ता में आने के साथ ही अंबानी-अदानी जैसों की पूंजी बढ़वाने के लिए पूरी दुनिया का चक्कर लगा डाला पर विदेशी पूंजी निवेश की जगह पर कम ही हो गया. उसके बाद एक के बाद एक कदमों को बढ़ाते हुए दलाल पूंजी के हितों की रक्षा में जनविरोधी फैसले लेता चला गया. गुजरात माॅडल, गाय, गोबर, गो-मुत्र, सेना आदि के नाम पर हर जनविरोधी फैसलों के खिलाफ उठे जनता के स्वरों को दबाने का काम करता चला गया. इसके तमाम जनविरोधी गतिविधियों के खिलाफ बोलने के लिए कोई संगठित ताकत ही नजर नहीं आ रहा था. तब बीजेपी के जनविरोधी गतिविधियों के खिलाफ खुलकर बोलने का साहस अरविन्द केजरीवाल और उसकी नवर्निमित पार्टी आम आदमी पार्टी ने किया.
अरविन्द केजरीवाल से भयभीत केन्द्र की मोदी सरकार ने उस पर ताबड़तोड़ अनैतिक हमले करने शुरू कर दिये. रोज उनके खिलाफ पुलिस, आई.बी., आयकर विभाग, सी.बी.आई., राॅ जैसी ऐजेंसियों के बावजूद एल.जी. और ए.सी.बी. जैसी एजेंसियां का भी नाजायज इस्तेमाल शुरू कर दिया. इसके बावजूद अडिग केजरीवाल सरकार अपने एजेंडें पर न केवल कायम रही बल्कि बीजेपी के खिलाफ खुद को विकसित भी करती रही.
सेना के नाम पर हर सही-गलत को जायज ठहराने के कोशिश को पलीता तब लग गया जब सेना के जवानों ने अपने खिलाफ हो रही अपमान और भूखे हाल का बयान अपने एक अकाट्य विडियों में सार्वजनिक कर दिया. फिर तो देश के सामने यह सच नंगा हो गया कि सेना के नाम पर राजनीति कर रहे बीजेपी दरअसल अपने पूर्ववर्ती तमाम सरकारों के तुलना में न केवल ज्यादा भ्रष्ट और नंगा है बल्कि उससे ज्यादा क्रूर भी है. फिर तो सेना के जवानों ने अपने विभिन्न अनेक विडियों सार्वजनिक कर सेना के अन्दर के व्याप्त भ्रष्टाचार और सेना से नौकरों जैसे कार्य व अमानवीय व्यवहारों की पूरी पोल ही खुल गई. अब बीजेपी अनुशासन के नाम पर सेना के जवानों के खिलाफ कठोर कदम उठा रही है.
कहना न होगा कि देश की वर्तमान वर्ग व्यवस्था के कारण सेना में भी वर्ग व्यवस्था पूरी निर्ममता से लागू है. देश के अन्दर देश के मजदूर, किसान, व्यापारी जहां मौत को गले लगा रहे हैं उसी प्रकार सेना के अन्दर भी मजदूर-किसान-छोटे व्यापारी के नौजवान बेटे बदतर व अमानवीय व्यवहार के कारण मौत के घाट उतारे जा रहे हैं. ऐसे में जरूरत इस बात की बलबती होती जा रही है कि देश के तमाम मजदूर-किसान-नौजवान सहित सेना के जवान अपने हक-अधिकारों के लिए सर्वाधिक भ्रष्ट वर्तमान मौजूदा सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें.