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*शौच के साथ खून : कारण और  उपचार*

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       डॉ. प्रिया

  बवासीर, फिसर, भगन्दर, कैंसर आदि रोग गुदा मेँ होते हैं. ये स्त्रियों और गे पुरुषो मेँ अधिक होते है. मूलभूत कारण है एनल सेक्स यानी पीछे के सुराग/गुदा मे पेनिस डालना.  शर्म के कारण इलाज़ नहीं कराया जाता और मौतें होती हैं.

      मल के साथ रक्त का आना किसी भी व्यक्ति की चिंता को बढ़ा सकता है। ज़रा सोचिए क्लीनिंग के दौरान टॉयलेट पेपर पर खून की असामान्य लकीरें देखना किसी को भी चौंका सकता है। इससे व्यक्ति की सरल जीवनशैली पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है।

    हांलाकि स्टूल पास करने के साथ आने वाले ब्लड के कई कारण हो सकते हैं, जो किसी भी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। 

    गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल यानि जीआई पथ में होने वाली ब्लीडिंग के कारण भी मल में रक्त आने की संभावना बढ़ जाती है। 

   *1. बवासीर यानि पाइल्स*

बवासीर एक ऐसी स्थिति है जब गुदा में नसें सूज जाती हैं और स्टूल पास करने के दौरान खून आने लगता है।

      आमतौर पर ये रेक्टम और गुदा के बाहरी हिस्से यानि एनस को प्रभावित करता है। में भी होता है। इस स्थिति में खुजली और दर्द की संभावना बनी रहती है।

   *2. एनस में दरारें आना*

फिशर को एनस में टियर के तौर पर जाना जाता हैं। जब कोई व्यक्ति कब्ज के कारण मल को त्यागने की भरपूर कोशिश करता है, तो उस वक्त स्टूल के साथ ब्लड भी पास होने लगता है।

      ये समस्या डायरिया, बड़े स्टूल, एनस सेक्स और बच्चे के जन्म दौरान हो सकता है। स्टूल पास करते समय गंभीर दर्द होता है और ऐंठन होने लगती है।

   *3. गुदा और कोलोनिक कैंसर :*

      ऐसी स्थिती में स्टूल पास करते वक्त गहरे लाल रंग का खून नज़र आता है, जो रेक्टम और कोलन में होने वाली ब्लीडिंग का संकेत देता है।

    मन के साथ होने वाला रक्त स्त्राव गहरी चिंता का कारण साबित होता है।

   *4. अन्य संक्रमण और कंडीशंस :*

    पॉलीप्स के अलावा कोलाइटिस, क्रोहन डिज़ीज़, अल्सरेटिव कोलाइटिस और आंत में टयूबरक्यूलोसिस जैसे संक्रमण स्टूल पास करने के दौरान ब्लीडिंग का कारण साबित होते हैं।

    स्टूल पास करने के बाद क्लीनिंग के लिए जब टॉयलेट पेपर का प्रयोग किया जाता है, तो उस वक्त पेपर पर दिखने वाले रक्त को देखकर इस बात की जानकारी नहीं मिल पाती कि ये किस हिस्से से आ रहा है।

     यह स्थिति तब गहरी होती है जब कब्ज के कारण एनस में कट होता है, जिससे एनस में दरार आ जाती है या पानी के इस्तेमाल के लिए फोर्स पूर्वक जेट का प्रयोग करने के कारण परेशानी बढ़ती है।

   *उपचार की बात :*

घरेलू उपायों की जगह इस तरह की समस्या से निपटने के लिए डॉक्टरी सलाह लें और उस उपचार को फॉलो करें। अन्यथा समस्या गंभीर रूप धारण कर सकती है.

    प्रोक्टोस्कोप की मदद से समस्या को एग्ज़ामिन कर सकता है। कोलन की जांच के लिए वो कोलोनोस्कोपी करवाने की सलाह भी दे सकते हैं। प्रारंभिक उपचार में बवासीर, फिशर और संक्रमण जैसी स्थितियों के लिए दवाएं भी दी जाती हैं।

ये हैं कुछ त्रिप्स, जो स्टूल के साथ होने वाली ब्लीडिंग को रोकने मे सहायक बनते है :

   *1. हेल्दी लाइफस्टाइल :*

मल में रक्त को रोकने के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली को फॉलो करना ज़रूरी है। इसके लिए रूटीन में हेल्दी डाइट लें, वर्कआउट करें और समय पर सोएं।

    इससे जीवनशैली में संतुलन बढ़ने लगता है, जो शरीर को स्वस्ि रखने में मदद करता है।

  *2. कब्ज से बचें :*

खूनी मल को रोकने के लिए कब्ज की समस्या से बचें।

    इसके लिए शरीर को हाइड्रेटेड रखें और वॉटर इनटेक को बढ़ाएं। इसके अलावा फाइबर से भरपूर फल और सब्जियों को आहार में शामिल करे।

   *3. मल त्याग के दौरान प्रेसर से बचें :*

    स्टूल पास करते समय शरीर पर किसी प्रकार का दबाव न डालें। इससे ब्लीडिंग की संभावना बढ़ने लगती है। देर तक टॉयलेट सीट पर बैठने से बचें। इससे कई अन्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ने लगता है।

   *4. डॉक्टर से संपर्क :*

इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। इससे गंभीर समस्याओं को बए़ने से रोका जा सकता है। शुरूआती जांच के साथ उपचार भी अवश्य लें।

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