~ डॉ. प्रिया
आयुर्वेद शरीर के सभी 9 छिद्रों को लुब्रिकेट करने की सलाह देता है. ये नौ छिद्र : नाक (2), कान (2), आँख (2), नाभि (1), गुदा (1) और योनि/लिंग (1). सालों से आयुर्वेद के अनुसार लोग चिकित्सीय रूप से छिद्रों को लुब्रिकेट करते चले आ रहे हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह हमारे समग्र शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
बचपन में हम सभी ने कभी न कभी दादी, नानी और मम्मी को कान, नाक और इंटिमेट एरिया को तेल या घी से ल्युब्रिकेट करते हुए देखा होगा। आखिर इसके पीछे का क्या कारण हो सकता है? वास्तव में सालों से आयुर्वेद में लोग चिकित्सीय रूप से ऐसा करते चले आ रहे हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह हमारे समग्र शरीर के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। इसलिए कम उम्र के बच्चों के कान नाक और शरीर के अन्य छिद्रों में अक्सर तेल या घी डाला जाता है।
आयुर्वेद में नौ छिद्रों को नव-द्वार कहा गया है। इनके स्नेहन अर्थात चिकनाई और नमी बरकरार रखने के लिये गो-घृत (घी) या तिल तेल सर्वोत्तम माना गया है। नींद अच्छी आती है. इन छिद्रों में जमी गंदगी और मैल दूर होते हैं। त्वचा स्निग्ध और युवा रहती है। कुल मिलाकर इसके सेहत के लिए कई महत्वपूर्ण लाभ हैं. इसलिए आपको इस बारे में जानकारी रखनी चाहिए।
इसके साथ ही आप नारियल के तेल या तिल के तेल से भी आंखों को ल्युब्रिकेट कर सकती हैं। हालांकि, आंखों में ऐसा कुछ भी डालने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना अति आवश्यक है।
इतना ही नहीं यह आंख और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। आप बेली बटन को ल्युब्रिकेट करने के लिए सरसों के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
*सावधानी बरतना है जरूरी :*
छिद्रों को लुब्रिकेटेड कर रहे हैं तो हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. इस स्थिति में इन्फेक्शन का खतरा होता है।
अगर संबंधित बॉडी पार्ट में किसी भी तरह का रोग है तो ऑयलिंग न करें। बेहतर होगा की आंख, कान और योनि में बिना चिकित्सकीय परामर्श के कुछ न डालें।