डॉ. प्रिया मानवी (पुडुचेरी)
_इम्युनिटी डेवलोपमेन्ट एक अनिवार्यता है. लेकिन इसके लिए नेचुरल चीजें लेने के बजाए केमिकल लिया जाये और वो भी मनमानी, बिना चिकित्सकीय सलाह के : खतरनाक कदम है._
कोविड-19 महामारी से लड़ाई में बेहतर ‘इम्युनिटी’ अहम फैक्टर साबित हुई है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की चिंता है है कि लोग ‘इम्युनिटी’ बढ़ाने के चक्कर में बेवजह विटामिन्स-मिनरल्स के सप्लीमेंट्स ले रहे हैं। न सिर्फ डॉक्टर्स के बीच मल्टीविटामिन्स प्रिस्क्राइब करने का ट्रेंड बढ़ा है, बल्कि लोग खुद से खरीद कर खा रहे हैं।
_ग्लोबल डाइटरी सप्लीमेंट मार्केट में सबसे ज्यादा बिक्री विटामिन्स की ही होती है। साल 2018 के आंकड़े बताते हैं कि इस सेगमेंट ने 37.64 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू दर्ज किया। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (IJMR) में प्रकाशित रिपोर्ट में विभिन्न स्टडीज के हवाले से कहा गया है कि भारत में डॉक्टर्स जितनी भी दवाएं लिखते हैं, उनमें से एक-चौथाई विटामिन्स होते हैं।_
दुनियाभर में विटामिन्स की खपत बढ़ रही है। सप्लीमेंट्स लेने का सबसे आम कारण हेल्थ मेंटेन रखना और डाइट में पोषण की कमी को पूरा करना बताए जाते हैं।
_बिना जरूरत विटामिन्स-मिनरल्स लेने से फायदे के बजाय तगड़ा नुकसान हो सकता है।_
भारत में गाइडलाइंस की जरूरत’
दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (MAMC) और राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल के फार्माकोलॉजिस्ट्स ने हमें अहम जानकरी दी है।
डॉ. प्रोतीश राणा और डॉ वंदना रॉय ने भारत में ऐसे सप्लीमेंट्स क के लिए एविडेंस-बेस्ड गाइडलाइंस की जरूरत बताई है। दोनों के मुताबिक, वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर खास लक्षणों पर ही विटामिन्स प्रिस्क्राइब करने चाहिए। उनका बेलगाम इस्तेमाल रुकना चाहिए।
*झट से गोली/कैप्सूल/पावडर गटक लेना सही नहीं*
एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारतीय लोगों की डाइटरी जरूरतों की ध्यान रखते हुए गाइडलाइंस तैयार की जानी चाहिए।
जो लोग रेगुलर डाइट ले रहे हैं, उनमें न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स की भूमिका भी साफ हो।
*संतुलित भोजन से बेहतर नहीं मल्टीविटामिन*
अगर आप अपने जीवन में स्वस्थ रहने और पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए पूरी तरह विटामिन्स मिनरल्स पर निर्भर हो तो यह एक बड़ी भूल होगी।
_आपको बता दें कि चाहे आप कितनी भी महंगी या अच्छी क्वालिटी की दवाएं क्यों ना खा लें। इनसे आप स्वस्थ नहीं होंगे। ध्यान रहे कि दवाएं आपको केवल तभी दी जाती हैं। जब या तो आप बीमार हों या फिर आपके भोजन से पोषक तत्वों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है।_
एक्सपर्ट्स लोगों के द्वारा खासतौर से ‘B विटामिन्स’ का जिक्र किया गया है, जिसका बेजा इस्तेमाल खूब होता है।’ B-विटामिन्स पानी में घुलने वाले विटामिन्स हैं, आमतौर पर डाइटरी सप्लीमेंट्स के रूप में इनका इस्तेमाल होता है। इनमें B1, B2, B3 से B9 (फॉलिक एसिड) लेकर B12 (सायनोकोबालेमिन) शामिल हैं। इस पूरे ग्रुप को ‘विटमिन बी कॉम्प्लेक्स’ कहते हैं।
AIIMS के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन में ऐडिशनल प्रफेसर, डॉ नीरज निश्चल के अनुसार गोलियां गटकने के बजाय लोगों को हेल्दी डाइट लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मेडिकल जरूरतों पर पूरी तरह विचार करने के बाद सप्लीमेंट्स प्रिस्क्राइब करने चाहिए, और किसी वजह से नहीं।’
*बेवजह विटामिन्स लेने से ज्यादा खतरा*
_IJMR में छपे रिसर्च में कहा गया है कि बी-विटामिन्स अक्सर उन स्थितियों में दे दिए जाते हैं जहां विटामिन बी की कमी तक नहीं होती. पेपर के अनुसार, ‘फॉलिक एसिड जैसे बी-विटामिन्स का इस्तेमाल उनके लिए नुकसानदायक है जिनके बेसलाइन होमोसिस्टीन लेवल्स हाई हैं।_
इसी तरह बीटा कैरोटीन वाले मल्टीविटामिन्स सप्लीमेंट्स फेफड़ों में कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। विटामिन ई की ज्यादा डोज लेने वालों में मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
*मल्टीविटामिन्स आपको हेल्दी नहीं बनाते*
अगर आप मल्टीविटामिन्स ले रहे हैं तो शायद आप अपनी हेल्थ से जुड़ी जरूरतें पूरी करना चाहते हैं। हालांकि, इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स का यह कॉकटेल सच में कारगर है या नहीं।
_हार्वर्ड हेल्थ यूनिवर्सिटी के अनुसार, ज्यादातर स्टडीज में दिमाग या दिल की रक्षा में मल्टीविटामिन्स से कोई फायदा होता नहीं दिखा।_
[चेतना विकास मिशन)