अग्नि आलोक

बार-बार सर्दी-जुकाम-बुखार : कारण और निवारण 

Share

           डॉ. प्रिया 

कभी खांसी, कभी जुकाम तो कभी बुखार से ग्रस्त होने पर मन में यही सवाल उठता है कि कहीं ये लक्षण फ्लू के तो नहीं। दरअसल, बरसात के मौसम में सीजनल फ्लू आसानी से हर उम्र के लोगों का अपनी चपेट में ले लेता है। 

     इसके चलते सर्दी खांसी का सामना करना पड़ता है। फ्लू के कारण होने वाले बुखार और गले के संक्रमण के कारण थकान और कमज़ोरी बढ़ जाती है। हाइजीन की कमी के अलावा कई अन्य कारण बार बार फ्लू की चपेट में आने का कारण बन जाते है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल सीजनल फ्लू के लगभग एक अरब मामले पाए जाते हैं। इनमें से 50 लाख मामले गंभीर फ्लू के होते हैं। जिससे हर साल 6 लाख 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है। मौसमी इन्फ्लुएंजा को एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन कहा जाता है। बार- बार खांसने और छींकने से यह समस्या एक से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से फैल सकती है।

 बरसात के मौसम में पर्यावरण में बैक्टीरिया का प्रभाव बढ़ने लगता है। हवा में मौजूद टॉक्सिन्स खांसी, थकान और शरीर में दर्द की समस्या को बढ़ा देते हैं। इससे एयरवेज़ में इंफ्लामेशन बढ़ने लगती है। जिससे खांसी, म्यूकस का बढ़ना, नेज़ल कंजेशन और थ्रोट इंफेक्शन का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में कई दिनों तक हल्का बुखार रहना और सिरदर्द भी रह सकता है।

     बारिश के मौसम में वातावरण में संक्रमण का प्रभाव बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए हाइजीन का ख्याल रखना आवश्यक है। रेस्पीरेटरी हाइजीन को बनाए रखने के लिए मास्क लगाएं और भीड़भाड़ वाली जगह पर जानें से बचें।

   वे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है और जो किडनी डिज़ीज या डायबिटीज़ के शिकार हैं। उन लोगों में इस समस्या का जोखिम बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए आहार में विटामिन सी और डी की मात्रा को बढ़ाएं और भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इसके अलावा समय समय पर फ्लू वैक्सीन अवश्य लगवाएं।

जानिए क्यों कुछ लोगों को बार- बार होता है सर्दी-जुकाम और फ्लू :

*1. कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता :*

    मौसम में बदलाव आते ही शरीर पर संक्रमण का प्रभाव बढ़ने लगता है। इसके चलते शरीर में फ्लू के गंभीर लक्षण नज़र आने लगते है। अधिकतर लोगों को निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और साइनस और कान में संक्रमण का सामना करना पड़ता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से शरीर बार बार इन समस्याओं से घिर जाता है।

*2. एलर्जी का जोखिम :*

सीज़नल एलर्जी के चलते आंखों में खुजली, नाक से पानी बहना और छींके आना पूरी तरह से सामान्य है। दरअसल, कभी खुशबू, इनडेर बैक्टीरिया और फूड से एलर्जी बढ़ने लगती है, जो फ्लू का जोखिम बढ़ा देती है। मौसम में बदलाव आने से इस समस्या का खतरा बढ़ने लगता है।

*3. किडनी डिजीज :*

वे लोग जो पहले से क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ यानि सीकेडी से ग्रस्त हैं। उनमें फ़्लू के लक्षण बहुत जल्द नज़र आने लगते है। दरअसल, ऐसी स्थिति में शरीर फ़्लू जैसे संक्रमण का सामना करने में समर्थ नहीं होता है। ऐसे में संक्रमण आसानी से ब्लड में प्रेवश करके इस समस्या के खतरे को बढ़ा देते हैं।

*4. डायबिटीज़ का खतरा :*

शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ना फ्लू के लक्षणों का कारण बनने लगता है। दरअसल, ब्लड शुगर लेवल बढ़ने से प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित होने लगती है, जो फ्लू के संक्रमण को बढ़ा सकता है। ऐसे रोगियों को गंभीर इन्फ्लूएंजा से जुड़ी कॉम्प्लीकेशंस का ज्यादा खतरा रहता है।

सर्दी- जुकाम और फ्लू से बचने के लिए इन हमारे इन टिप्स को फॉलो करें :

*1. विटामिन सी और डी की की मात्रा बढ़ाएं :*

     नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार शरीर में बढ़ने वाली विटामिन सी और डी की कमी के चलते फ्लू और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफे्क्शन का खतरा बढ़ने लगता है। विटामिन डी की कमी के चलते शरीर का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने लगता है। इसके लिए आहार में अंडा, फैटी फिश और मशरूम को शामिल करें। इसके अलावा विटामिन डी सप्लीमेंटस का सेवन करें। वहीं विटामिन सी शरीर में इम्यून सेल्स की फंक्शनिंग को बूस्ट करता है। इसके लिए आहार में खट्टे फलों को बढ़ाएं। विटामिन सी और डी के सेवन से संकमण का प्रभाव कम होने लगता है।

*2. हाइजीन का रखें ख्याल :*

दूषित खानपान और संक्रमित लोगों के संपर्क में रहने से इस समस्या को जोखिम तेज़ी से बढ़ने लगता है। पब्लिक एरिया जैसे स्कूल, कॉलेज और ऑफिस में रहने से कोल्ड की संभावना बढ़ जाती है। हाइजीन की कमी के चलते तेज़ बुखार, गला खराब और कमज़ोरी का सामना करना पड़ता है। संक्रमित लोगों से दूरी बनाकर रखें और बाहर से लौटने पर हाथों की स्वच्छता को बनाए रखें।

*3. वैक्सीन लगवाएं :*

बार बार फ्लू के लक्षणों के पाए जाने से शरीर में कमज़ोरी बढ़ने लगती है। ऐसे में इंफ्लूएंजा की वैक्सीन लें। 5 साल में 1 बार इस वैक्सीन को अवश्य लगवाना चाहिए। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार आने लगता है।

*4. शरीर को हाइड्रेट रखें :*

    भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इससे शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। इससे बार बार होने वाली थकान, उल्टी और बेचैनी से बचा जा सकता है। दरअसल, पानी का नियमित सेवन शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ा देता है।

Exit mobile version