मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जितने सहज और सरल हैं, उतने ही संवेदनशील भी हैं। प्रदेश के मुखिया के पद पर बैठने के बाद भी वे जिस गंभीरता से छोटी छोटी बातों का और लोगों के सुख – दु:ख का ध्यान रखते हैं वो वाकई सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. यादव इंदौर की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी गेर में भाग लेने आए थे। हम लोग एयरपोर्ट पर उनका अभिनंदन करने गए तो अचानक उन्होंने मुझे कहा कि “सुमित, मुझे पता चला है कि यहां दुर्घटना में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है” भले ही गेर इंदौर का लोक उत्सव है, इंदौर की सांस्कृतिक पहचान है पर यदि किसी परिवार ने अपने सदस्य को खो दिया है तो ऐसे में मेरा उसमें शामिल होना ठीक नहीं है। क्योंकि मुझे उस परिवार की चिंता है जिसने अपने एक सदस्य को खो दिया है। मैं उनके दु:ख में शामिल नहीं हो सकता तो उत्सव भी नहीं मनाऊंगा।
मुख्यमंत्री ने एयरपोर्ट पर ही मृतक के परिजनों के लिए 4 लाख रूपए की सहायता राशि की घोषणा की और वे सीधे वही से वापस रवाना हो गए।
मुझे अपने प्रदेश मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता पर गर्व हुआ और उनकी विचारों की उत्कृष्टता पर भी। मुझे इस बात पर भी गर्व हुआ कि पीएम मोदी की तरह तरह हमारे मुख्यमंत्री भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को सिर्फ मानते नहीं हैं बल्कि उसे जीते हैं, उसे आचरण में उतारते है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की संवेदनशीलता को मै सलाम करता हूं।
( लेखक सुमित मिश्रा, बीजेपी इंदौर के नगर अध्यक्ष हैं।)