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मुख्यमंत्री जी मध्यप्रदेश की कृषि शिक्षा को भगवान भरोसे करने पर आमदा

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स्वरूप नायक 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मध्य प्रदेश की कृषि शिक्षा को गुणवत्ता विहीन करने का ठान लिया है, जब वो प्रदेश के शिक्षा मंत्री थे तब हमारा *आग* का प्रतिनिधि मंडल उनसे मिला था और उनसे आग्रह किया था कि कृषि शिक्षा मध्य प्रदेश में तकनीकी शिक्षा है कृषि शिक्षा को सुचारू रूप से चलाने के लिए मध्य प्रदेश के दो कृषि विश्वविद्यालय जिम्मेदार हैं और शिक्षा की जिम्मेदारी भारत सरकार द्वारा गठित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से निर्देशित तत्वों के आधार पर कृषि विश्वविद्यालयो द्वारा अनुपालन के उपरांत  उससे संबंधित महाविद्यालय में दी जानी चाहिए लेकिन कुछ नया कर दिखाने के चक्कर में तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने परंपरागत विश्वविद्यालयों में कृषि संकाय की शिक्षा शुरू करवा दी थी और क्योंकि अब वो मुख्यमंत्री हैं इसलिए सर्वेसर्वा हैं और आज उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालय में कृषि संकाय खोला जाएगा और उसकी पढ़ाई की जाएगी।

 माननीय की नजर में लाना चाहता हूं कि कम से कम कृषि महाविद्यालय जो खुरई और गढ़ाकोटा में चल रहे हैं उनमें तो शिक्षण की व्यवस्था सुचारू रूप से चालू कर दें फिर अन्य विश्वविद्यालयों में कृषि संकाय को खोलें।

मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि कृषि शिक्षा को मध्यप्रदेश में गुणवत्तायुक्त रहने दें,अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करें।

स्वरूप नायक 

कृषि स्नातक,

कृषि महाविद्यालय जबलपुर

कृषि विश्व विद्यालय को सुनियोजित तरीके से बंद करने की कोशिश की जा रही हैं।

सर्व सुविधा युक्त कृषि विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए UG PG की सीट में वृद्धि करके भी कृषि शिक्षा का विस्तार किया जा सकता था लेकिन परंपरागत विश्व विद्यालय में कृषि संकाय खोल कर गुणवत्ताहीन शिक्षा दी जा रही हैं। परंपरागत विश्व विद्यालय में कृषि शिक्षा से संबंधित लैब एवं प्रक्षेत्र की सुविधा नहीं है एवं तकनीकी शिक्षक का भी अभाव हैं। 

एक तरफ कृषि विश्वविद्यालय में कई वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई हैं। वरिष्ठ प्रोफेसर एवं वैज्ञानिक धीरे धीरे सेवानिवृत हो रहे हैं। कृषि शिक्षा की गुणवत्ता को बचाएं रखना हैं तो कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्तियां करना अत्यंत आवश्यक हैं ।

परंपरागत विश्व विद्यालय में कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने से बेहतर है कि कृषि विश्वविद्यालयों में कृषि शिक्षा पर जोर दिया जाए एवं खस्ताहाल कृषि विश्वविद्यालय की स्तिथि में सुधार किया जाएं तो बेहतर परिणाम मिलेंगे।

सूर्यकांत नागरे

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