बीजिंग: चीन ने अपने रक्षा बजट में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी करके दुनिया को डरा दिया है। चीन ने साल 2024 के रक्षा बजट में 7.2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का ऐलान किया है। इस वृद्धि के साथ चीन का आधिकारिक रक्षा बजट 231.36 अरब डॉलर पहुंच गया है। कई विश्लेषकों का कहना है कि यह घोषित संख्या से कहीं ज्यादा है। अमेरिका के बाद चीन दूसरा ऐसा देश है जो रक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च करता है। इससे पहले भी चीन ने 7.2 प्रतिशत की वृद्धि की थी। चीन ने यह बढ़ोत्तरी ऐसे समय पर की है जब ताइवान को लेकर अमेरिका और लद्दाख को लेकर भारत के साथ तनाव चरम पर है। चीन के साथ इसी तनाव के बीच भारत भी अपने रक्षा बजट को बढ़ाना जारी रखा हुआ है। भारत का साल 2024 के लिए रक्षा बजट 75 अरब डॉलर या 6.21 लाख करोड़ पहुंच गया है। आइए समझते हैं कि चीन की मंशा क्या है और क्यों वह रक्षा बजट को तेजी से बढ़ा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर रहीस सिंह बातचीत में कहते हैं कि चीन दो मोर्चों पर काम कर रहा है। एक सॉफ्ट वार है जिसमें वह कर्ज देकर दुनिया के देशों को फंसा रहा है। कर्ज के जरिए चीन दुनिया के विभिन्न देशों के अर्थव्यवस्था पर कंट्रोल कर रहा है। इसमें भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल शामिल हैं। चीन जिस भी देश में प्रवेश कर रहा है, वहां के प्राकृतिक संपत्ति और भौतिक संपत्ति को कंट्रोल करने लग रहा है। उसका जब इकॉनमी पर कंट्रोल हो जाता है तो उसके बाद चीन सरकारों को नियंत्रित करता है। फिर इन दोनों को अपने अनुरुप करता है। डॉक्टर सिंह ने कहा कि यह हमें बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका और पाकिस्तान में यह देखने को मिल रहा है। मालदीव की वर्तमान सरकार का रवैया इसका उदाहरण है। नेपाल में एक बार फिर से प्रचंड चीन समर्थक केपी ओली से जा मिले हैं।
चीन की दुनिया को लेकर क्या है मंशा?
डॉक्टर रहीस सिंह ने कहा, ‘चीन की दूसरी कोशिश रक्षा युद्ध की है। चीन रक्षा पर खर्च करके ज्यादा से ज्यादा हथियार बनाकर उसे निर्यात करना चाहता है। चीन दुनिया के डिफेंस सप्लाई चेन को नियंत्रित करना चाहता है। इस सप्लाई चेन को पहले अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों ने बनाया है। यह तब संभव है जब आप बड़े पैमाने पर हथियार बनाकर उसमें कूदें। चीन का प्लान है कि वह आने वाले समय में एशिया प्रशांत इलाके को कंट्रोल करे।’ उन्होंने कहा कि चीन अभी एशिया प्रशांत क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहा है। चीन के इस प्लान में सबसे बड़ी बाधा भारत है। चीन के साथ पाकिस्तान, मालदीव, नेपाल जैसे देश आ रहे हैं लेकिन भारत इससे दूर है।
रहीस सिंह कहते हैं कि चीन किसी सिद्धांत पर काम नहीं करता है, वह ताकत के बल पर सब करना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत को छोड़कर दुनिया के ज्यादातर बड़े देश मंदी का शिकार हो रहे हैं, फिर चाहे वह जापान हो या अमेरिका। यही हाल अभी चीन का भी है। इस अस्थिर दुनिया में हथियार ही एक ऐसी चीज है जिसे हर देश खरीदना चाहता है। चीन अपने आर्थिक संकट को दूर करने के लिए हथियार को बेचने पर जोर दे रहा है। हथियार बेचकर चीन जमकर कमाई करना चाहता है और आने वाले दौर में तनाव बना रहेगा जिससे चीन को फायदा होने की उम्मीद है।
ताइवान पर हमले की प्लानिंग में है चीन
बता दें कि चीन ने रक्षा खर्च में यह बढ़ोत्तरी ऐसे समय पर की है जब राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बार-बार अपनी सेना को जंग के लिए तैयार रहने को कहा है। माना जा रहा है कि चीन साल 2027 तक ताइवान पर हमला कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो चीन की सीधी भिड़ंत सुपरपावर अमेरिका से हो सकती है जो ताइवान की रक्षा के लिए कानून से प्रतिबद्ध है। चीन का दावा है कि ताइवान उसका है लेकिन ताइपे की सरकार इसे खारिज करती है। ताइवान खुद भी अरबों डॉलर के हथियार अमेरिका से ले रहा है। इससे दोनों ही देशों में तनाव बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है।