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सांप्रदायिक ताकतें क्रांतिकारी विचारों से डरने लगी हैं

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मुनेश त्यागी

  अभी फिलहाल आर एस एस के प्रमुख मोहन भागवत में कहा है कि लेनिन एक हिंसक व्यक्ति थे। यहीं पर एक सिख साम्प्रदायिक नेता ने भगत सिंह को आतंकवादी और हिंसावादी बताया है। जैसे-जैसे वर्तमान जनविरोधी व्यवस्था आर्थिक संकट में फंसती जा रही है,भारत की जनता को, किसानों मजदूरों, नौजवानों और छात्रों को, रोटी कपड़ा मकान शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार की सुविधाएं देने में नाकाम होती जा रही है, वैसे वैसे ही भारत के लुटेरे पूंजीपतियों की मददगार सांप्रदायिक ताकतें, आपा खोने लगी हैं और क्रांतिकारी व्यक्तित्वों को और क्रांतिकारी विचारधारा को भला बुरा कहने लगी हैं, उन्हें गाली गलौज करने लगी हैं और उसके महान क्रांतिकारी नेताओं और कार्यकर्ताओं से डरने लगी हैं।
 इसी को लेकर पिछले दिनों मोहन भागवत आर एस एस के चीफ ने, रूस के महान क्रांतिकारी नेता महान लेनिन को, एक हिंसक व्यक्ति बताया है। हम यहां पर आर एस एस के मुखिया मोहन भागवत  को बताना चाहेंगे कि लेनिन कोई हिंसक या आतंकवादी व्यक्ति नहीं थे, बल्कि वे दुनिया के महान क्रांतिकारी थे। मोहन भागवत को जानना चाहिए कि लेनिन के नेतृत्व में दुनिया में सबसे पहले 1917 में रूस में क्रांति हुई जिसमें मजदूरों और किसानों के गठबंधन ने, क्रांतिकारियों ने, जन विरोधी और जनता पर जुल्मों सितम कर रहे जार के निजाम को पलट दिया और सरकार को अपने कब्जे में ले लिया।
  यह लेनिन ही थे जिन्होंने दुनिया में सबसे पहले सबको रोटी कपड़ा और मकान मोहिया कराए। यह रूसी क्रांति ही थी जिसने सबसे पहले सब को अनिवार्य और आधुनिक शिक्षा प्राप्त कराई, जिसने सबको मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई, सबको रोजगार दिया और यह महान लेनिन ही थे जिनके नेतृत्व में दुनिया के इतिहास में सबसे पहले किसानों मजदूरों को अपना भाग्य विधाता बनाया गया, उनकी सरकार और सत्ता कायम की गई और इसी सरकार और सत्ता ने वे महान कारनामे किए, जिनको अभी तक दुनिया ने सोचा भी नहीं था।
 महान क्रांतिकारी लेनिन के नेतृत्व में रूसी क्रांति ने सबसे पहले दुनिया में 8 घंटे का काम निश्चित किया, महिलाओं को मर्दों की बराबर तनख्वाह दी, सबको अनिवार्य काम दिलाया, सबको घर दिलाया, सब को मुफ्त शिक्षा और मुफ्त इलाज की व्यवस्था की गई। इससे पहले दुनिया के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ था या किसी ने ऐसा सोचा भी नहीं था कि दुनिया में कभी सब को मुफ्त शिक्षा दी जा सकती है और सब को मुफ्त इलाज की व्यवस्था की जा सकती है।

यह महान लेनिन ही थे जिन्होंने किसानों को जमीन का मालिक बनाया, मजदूरों को सत्ता में बिठाया और किसानों और मजदूरों की क्रांतिकारी सरकार कायम थी और बाद में लेनिन की रखी गई नींव पर सोवियत यूनियन दुनिया की महाशक्ति बना। इसका आधार लेनिन ने तैयार किया था। लेनिन एक महान क्रांतिकारी लेखक थे। उनकी महत्वपूर्ण किताबों को पढ़े बिना, कोई आदमी ना तो पूर्ण क्रांतिकारी बन सकता है और ना ही पूर्ण मानव। उनकी महत्वपूर्ण किताबों में से कुछ हैं, “क्या करें?”, राज्य” और क्रांति”, “साम्राज्यवाद पूंजीवाद की अंतिम अवस्था”, “वामपंथी कम्युनिज्म एक बचकाना मर्ज”, “जनता के मित्र कौन हैं और कैसे लडते हैं?” और उनके दूसरे हजारों लेख हैं। आर एस एस के चीफ लेनिन की बारे में यह सब नहीं बताएंगे, लेनिन के नेतृत्व में हुई इन महान उपलब्धियों का उल्लेख नहीं करेंगे। वे सिर्फ लेनिन को गाली दे सकते हैं, उनको भला बुला कह सकते हैं, उसको हिंसक और आतंकवादी बता सकते हैं।
यहीं पर पिछले दिनों एक सिख सांप्रदायिक नेता ने भारत के महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह को आतंकवादी बताया है। हम इस जनविरोधी साम्प्रदायिक नेता को बताना चाहते हैं कि उन्हें भगत सिंह के बारे में पढ़ना चाहिए, शहीदेआजम भगत सिंह की विचारधारा के बारे में जानना चाहिए। यह भगत सिंह ही थे जिनकी पहल पर भारत के क्रांतिकारी आंदोलन में “समाजवादी” विचारधारा को स्थान और मान्यता दी गई और भारत के क्रांतिकारियों ने भारत में समाजवाद की स्थापना करना अपना मुख्य लक्ष्य समझा और कार्यक्रम बनाया और भगतसिंह अपनी सारी जिंदगी इसी क्रांतिकारी समाजवादी व्यवस्था को कायम करने के लिए लड़ते रहे, जनता को जगाते रहे, लिखते रहे और “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे को भारत के क्रांतिकारी आंदोलन में स्थाई जगह देते रहे।
भगत सिंह दुनिया के महान क्रांतिकारी शहीद लेखक हैं जिन्होंने अपने जीवन में 97 लेख लिखे हैं और क्रांति के बारे में, मजदूरों के बारे में, किसानों के बारे, में सांप्रदायिक सौहार्द के बारे में, धर्मांधता के बारे में, अंधविश्वासों के बारे में, जातिवाद की समस्या के बारे में, अछूत समस्या को दूर करने के बारे में, बहुत बड़े पैमाने पर लिखा है। भगत सिंह और उसके साथी एक ऐसा भारत और समाज बनाना चाहते थे जिसमें सबको शिक्षा मिले, सबको काम मिले, सब को रोजगार मिले, सबको न्याय मिले, जिसमें गरीबी ना हो, जिसमें अमीरी ना हो, जिसमें शोषण और अन्याय ना हो, जिसमें भेदभाव और गैरबराबरी ना हो।
वे एक ऐसा भारत बनाना चाहते थे कि जिसमें सब खुशी से रहते हों, सुख से रहते हों, जनता का राज हो, जनता का पंचायती राज हो और प्राकृतिक संसाधनों पर सारी जनता का मालिकाना हक हो और इनका इस्तेमाल जनता के विकास के लिए किया जाए। भगत सिंह क्रांति करने के बाद भारत में समाजवादी व्यवस्था कायम करना चाहते थे। मार्क्सवादी सिद्धांतों पर और साम्यवादी सिद्धांतों पर आधारित समाज की स्थापना करना चाहते थे, क्योंकि उनके साथी सौ फीसदी मुत्मइन थे कि भारत में समाजवादी सिद्धांतों पर आधारित समाज व्यवस्था कायम किए बिना, जनता की हजारों साल पुरानी गरीबी, भुखमरी, अन्याय, शोषण, जुल्म और भेदभाव का खात्मा नहीं हो सकता, इसलिए उन्होंने भारत में क्रांतिकारी समाजवादी व्यवस्था कायम करने की बात कही थी और कहा कि अगर मैं जिंदा रहा तो “मैं एक पार्टी बनाऊंगा, जिसका नाम कम्युनिस्ट पार्टी होगा।”
भगत सिंह और उनके साथी, भारत में हिंदू मुस्लिम एकता कायम करने के सबसे बड़े कायल थे। वे जानते थे कि हिंदू और मुस्लिम एकता के बिना हमें आजादी नहीं मिल सकती। हमारा देश आजाद नहीं हो सकता। भगत सिंह हमारे देश में वैचारिक क्रांति करके, वैज्ञानिक संस्कृति की स्थापना करना चाहते थे ताकि हमारे देश में हजारों साल से फैले अंधविश्वास, धर्मांधता और अज्ञानता का विनाश हो। भगत सिंह और उनके साथी भारत से सांप्रदायिकता का विनाश करके, भारत में एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कायम करना चाहते थे।
महान लेनिन और शहीद ए आजम भगत सिंह के ये विचार आज भी दुनिया के अरबों किसानों, मजदूरों, छात्रों और नौजवानों को अपनी ओर खींच रहे हैं और उन्हें बता रहे हैं कि क्रांतिकारी समाजवादी व्यवस्था और विचारधारा के बिना उनकी हजारों साल पुरानी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता, दुनिया को लूट रही साम्राज्यवादी व्यवस्था का खात्मा नहीं किया जा सकता,देश और दुनिया के पूंजीपतियों के हित साध रही सांप्रदायिकता का विनाश नहीं किया जा सकता और इसके बिना हिंदू मुस्लिम एकता कायम नहीं की जा सकती।
इसीलिए हमारी देश की सांप्रदायिकता ताकतें महान लेनिन और शहीद ए आजम भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों से डरने लगी हैं भयभीत हो गई हैं, उन्होंने अपना आपा खो दिया है, क्योंकि वे जानते हैं कि उनके पास ही देश की समस्याओं का समाधान नहीं है। केवल भगत सिंह और लेनिन के विचारों पर चलकर ही इस देश और दुनिया की तमाम समस्याओं का हल किया और समाधान ढूंढा जा सकता है और अब अधिकांश जनता, किसान, मजदूर, छात्र, नौजवान लेनिन और शहीदे आजम भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों और क्रांतिकारी विचारधारा की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
यहीं पर यह जानना भी जरूरी है कि इन सांप्रदायिक ताकतों का भारत, समाज और मानव के विकास में कोई योगदान नहीं है। इन ताकतों का आजादी का कोई इतिहास नहीं है। ये भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल नहीं थीं। बल्कि यह साम्राज्यवादी लुटेरे अंग्रेजों के साथ थीं, उनकी बगल गीर थीं और 1906 के बाद से यह ताकतें भारत की हिंदू मुस्लिम एकता तोड़ रही हैं, भारत की जनता में हिंदू मुसलमान का जहर फैला रही है, इसकी राजनीति कर रही हैं। किसानों मजदूरों के हक अधिकारों के लिए इन्होंने कोई लड़ाई नहीं लड़ी है।
और आज हकीकत या है कि भारत के किसान और मजदूरों ने आजादी के बाद जो हक और अधिकार, अनेक बलिदानों के बाद प्राप्त किए थे, इन जन विरोधी ताकतों ने उनको छीन लिया है और मजदूरों को आधुनिक गुलाम बना दिया है। इनके पास कोई नेता नहीं है, जिसने जनता की, किसानों की, मजदूरों की, नौजवानों छात्रों महिलाओं के कल्याण की या देश की कल्याण की बात की हो। ये कल भी लुटेरे अंग्रेज साम्राज्यवादियों के साथ थी और आज भी ये देसी विदेशी लुटेरे पूंजीपतियों के साथ हैं, उनकी तिजोरिया भर रही है और उनके पैसे के साम्राज्य को बढ़ा रही हैं।
इसीलिए ये सांप्रदायिक ताकतें, महान लेनिन और शहीदे आजम भगत सिंह के विचारों से डरने लगी हैं और उन्हें भला बुरा, हिंसक और आतंकवादी बताने और कहने पर उतर आई हैं। मगर भारत की जनता इन जनविरोधी सांप्रदायिक ताकतों की बातों पर गौर नहीं करेंगे और इनके कहने में नहीं आएगी और उनकी इस मुहिम का मजबूती के साथ मुकाबला करेगी और अंततः उन्हें परास्त करके रहेगी।
हम यहां पर लेनिन, भगत सिंह और समस्त क्रांतिकारियों के बारे में यही कहेंगे,,,,,
स्याह रात में रोशन किताब छोड़ गए
वे चले गए मगर अपने ख्वाब छोड़ गए,
हजार जब्र हों लेकिन यह फैसला है अटल
वो जहन जहन में इंकलाब छोड़ गए।

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