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कंप्यूटर विजन सिंड्रोम : लक्षण और बचाव के उपाय 

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       डॉ. श्रेया पाण्डेय 

गैजेट्स और डिजिटल दुनिया हमारी डेली लाइफ का हिस्सा बन गए हैं। ऑफिस वर्क से लेकर शॉपिंग, चैटिंग और हैंगआउट तक सब मोबाइल या लैपटॉप पर ही हो रहा है। इस बड़े हुए डिजिटल टाइम का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है हमारी आंखों को।

     वे लोग जो 9 से 5 की जॉब में लोग लगातार 9 घंटे लैपटॉप के सामने बैठे होते हैं, उन्हें कई तरह की आंखों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं में से एक है “कंप्यूटर विजन सिंड्रोम” को डिजिटल आई स्ट्रेन भी कहा जाता है।

      बहुत से लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है, जिसकी वजह से व्यक्ति इस समस्या के शुरुआती लक्षण को नहीं पहचान पाता और बाद में परेशानी बढ़ जाती है। इसलिए सभी को “कंप्यूटर विजन सिंड्रोम” के बारे में मालूम होना चाहिए।

      कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कंप्यूटर के कारण होने वाली आंखों से जुड़ी समस्या है। ऐसा तब होता है, जब हम लंबे समय तक लगातार कंप्यूटर स्क्रीन को देखते रहते हैं। आमतौर पर ऐसा माना जाता है, कि स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों को नुकसान पहुंचाती है, हालांकि, ये पूरी तरह से गलत है। स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट से आंखों को कोई नुकसान नहीं होता, क्योंकि ये ब्लू लाइट बहुत कम होती हैं

     असल में आंखों के नुकसान का कारण है, लगातार लंबे समय तक स्क्रीन को देखते रहना। जितनी छोटी स्क्रीन होगी, उतना ही ज्यादा नुकसान। जब हम कंप्यूटर की स्क्रीन की तरफ देखते हैं, तो हमारी पलकें नहीं झपकती हैं, जिसके कारण हमारी आंखों में बहुत ड्राइनेस हो जाती है। जिन लोगों को पहले से आई ड्राइनेस की शिकायत है, उनमें से यह समस्या बहुत बढ़ जाती है।

      यह प्रॉब्लम छोटी उम्र के 8 से 9 साल के बच्चों से लेकर, किसी भी उम्र के लोगों को ही सकती है। कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का प्रभाव काम करने के तरीके और स्क्रीन साइज के इस्तेमाल पर निर्भर करता है। जितना छोटा स्क्रीन नुकसान उतना अधिक होते है, इसलिए फोन चलाने से इसका खतरा अधिक बढ़ जाता है। वहीं इसका प्रभाव डेस्कटॉप पर सबसे कम होता है।

*लक्षण :*

कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम लंबे समय तक कंप्यूटर के इस्तेमाल से होने वाली आंखों की समस्या को कहा जाता है, जिसमें शामिल हैं:

~आंखों में जलन (ड्राई आई, आई इचिंग,आई रेडनेस)

~धुंधला नज़र आना

~सिरदर्द

~पीठ दर्द

~गर्दन में दर्द

~मांसपेशियों में थकान होना

      हालांकि, सीवीएस से आंखों को कोई स्थायी नुकसान नहीं होता है, लेकिन इसके दर्दनाक लक्षण काम और घर पर आपके परफॉर्मेंस को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, इस समस्या से बचाव के कई तरीके हैं, जिन्हे फॉलो करना बहुत जरुरी है।

अब जानें इससे बचाव के क्या तरीके हैं :

*1. अपने कंप्यूटर को एडजस्ट करें :*

     अपनी कंप्यूटर स्क्रीन को अपनी आंखों से 20 से 28 इंच की दूरी पर रखें। डिजिटल स्क्रीन के बहुत करीब बैठने से आपकी आंखों पर तनाव का खतरा बढ़ सकता है। स्क्रीन को आंखों के स्तर से थोड़ा नीचे, लगभग 4 से 5 इंच की दूरी पर रखें। स्क्रीन के ऊपरी हिस्से को लगभग 10 से 20 डिग्री पीछे की ओर झुकाएं। सुनिश्चित करें कि आप स्क्रीन देखने के लिए अपनी गर्दन को ऊपर या नीचे की ओर न झुकाएं।

*2. बार-बार पलकें झपकाएं :*

पलकें झपकाना आपकी आंखों में नमी को सूखने से रोकता है। अगर आप पलकें नहीं झपकती हैं, तो इससे आपकी आंखें सूखी और चिड़चिड़ी हो सकती हैं। कंप्यूटर या डिजिटल स्क्रीन को देखते हुए आप नॉर्मली जितनी बार पलकें झपकाती हैं, उतनी बार पलकें नहीं झपका पाती। कंप्यूटर पर काम करते समय आप 66 प्रतिशत कम पलकें झपकाती हैं।

*3. सही चश्मे का इस्तेमाल करें :*

अगर आप चश्मा पहनती हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपका प्रिस्क्रिप्शन सही है। गलत प्रिस्क्रिप्शन पहनने से आपकी आंखों के लिए सही तरीके से फ़ोकस करना मुश्किल हो सकता है। इससे आपकी आंखों पर तनाव और सिरदर्द का खतरा बढ़ सकता है। यदि आपका चश्मा दूरी, पढ़ने या दोनों के लिए है, तो आपको डिजिटल स्क्रीन देखने के लिए भी नए चश्मे की आवश्यकता हो सकती है।

*4. 20, 20, 20 रूल फॉलो करें :*

   हर 20 मिनट में 20 फुट की दूरी पर 20 सेकंड तक देखें। यदि आपको इसे दोहराने का याद नहीं रहता है, तो जब आपको काम के बीच में कुछ भी याद करना होता है, या सोचना होता है तो स्क्रीन से अपनी आंखें हटाकर उसे बंद करें, और फिर इस बारे में सोचें।

*5. काम करने के लिए बड़ी स्क्रीन चुनें :*

एक्सपर्ट के अनुसार जितनी बड़ी स्क्रीन होगी, आपकी आंखों को उतना कम नुकसान पहुंचेगा। इसलिए बड़ी स्क्रीन वाले डेस्कटॉप पर काम करें। वहीं मोबाइल फोन के इस्तेमाल को जितना हो सके उतना सीमित रखें, और इससे आंखों को अधिक थकान होता है।

*6. आंखों को ड्राई न होने दें :*

यदि आपको आई ड्राइनेस की समस्या है, तो डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब आई ड्रॉप का नियमित इस्तेमाल करें। साथ ही साथ कंप्यूटर स्क्रीन इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर द्वारा सुझाया चश्मा लगाए।

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