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विचार और विकार का संघर्ष

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मंजुल भारद्वाज
जिन्होंने दुनिया को बताया
वर्ग संघर्ष है
धर्म संघर्ष है
जाति संघर्ष है
अमीर-गरीब का संघर्ष है
उन्होंने ग़लत बताया
सही आकलन नहीं किया
अपने विश्लेष्ण से दुनिया को भ्रमित किया
दुनिया में
विचार और विकार में संघर्ष है
आत्मबल और आत्महीनता में संघर्ष है
विवेक और वर्चस्ववाद में संघर्ष है
अहिंसा और हिंसा में संघर्ष है
ज्ञान और अज्ञान में संघर्ष है
न्याय और अन्याय में संघर्ष है
प्रकृति और विकृति में संघर्ष है
विज्ञान और तकनीक में संघर्ष है!
झूठ है यह की दुनिया में अल्पसंख्यक ख़तरे में होते हैं
अगर दुनिया में अल्पसंख्यक ख़तरे में होते तो
दुनिया में कोई अमीर नहीं बचता
कोई सत्ताधीश नहीं बचता
कोई धर्मगुरु नहीं बचता
क्योंकि इनकी संख्या कुल आबादी के बरक्स
सिर्फ़ दो से चार फ़ीसदी है
आदिकाल से अब तक
और यह कभी ख़तरे में नहीं थे !

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