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टकराव हर विवाद का श्रेष्ठतम जवाब है

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कैलाश रावत

राजनीत अनंत जिजीविषा का नाम है वह कभी बुढाती नहीं है अनंत अनंत यौवना है उसका समापन श्मशान घाट पर ही होता है
जब कोई राजनेता शासक समस्याओं का निदान करने में असफल होता है तो उसके सामने सबसे सरल विकल्प होता है जनता के एक वर्ग को जाति के आधार पर भड़का कर गोल बंद करना

जिन्हें बुद्धिजीवी और विद्वान समझा जाता है उन लोगों के प्रति आम लोगों के मन में सम्मान घटताजा रहा है इतिहास बार-बार मौका नहीं देता व्यक्ति की मुसीबत इस समय आप अपने नेतृत्व में कार्यकर्ताओं को सड़क पर उतारकर जनसेवा करें दमनकारी नीतियों का विरोध भी चुनाव उपचुनाव में भाग लेने से आपको अपनी हैसियत आपके द्वारा किए गए जन कल्याण कार्य का मूल्यांकन होता है
अब जनता खाली प्रवचन और उपदेश नहीं मानती

   वही रोना रोते रहते हो

            कितना बासापन तुम्हारी बातों में

किसी सूचना का विश्लेषण व्यक्ति अपने अनुसार करता है विचार भाव सोच समझकर अपनाते हैं नब्ज पकड़ने का प्रयास कीजिए जनमानस आखिर चाहता क्या है
राजनीतिक संगठन सामाजिक संगठनों का प्रभाव सीमित होना नए समाज के स्वरूप का उदाहरण है क्या यह भी दिखाई नहीं दे रहा है अन्यथा ना लें क्या आपने सोचा
काबली बाबा बांसुरी बजा रहा है सारे बच्चों उसके पीछे भाग रहे हैं मां बाप बड़े बूडे सयाने बच्चों को रोक नहीं पा रहे हैं
एक जुटता सामूहिकता केंद्रों में कार्य कर रही भावनाओं का पड़ताल कीजिए और पड़ोसियों से बात करें देखिए कितनी मतभिन्नता है विपरीत परिस्थितियों में जो अकेले खड़े होने का साहस करते हैं इतिहास का वही निर्माण करते हैं
आदेश आदेशात्मक नहीं सुझाभआत्मक निर्णय प्रस्तावित करें भारत की जनता का अपना मिजाज है कार्यशैली में बदलाव नहीं किया तो पुनः विसंगतियां सामने आएंगी पराधीन भारत गुलामी के दौर में अंग्रेज और उनकी कृपा पात्रों ने जनता को रौंदा स्वतंत्र भारत में सरकारों ने भी न्याय नहीं किया
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ समाचार पत्र मीडिया पर कॉरपोरेट्स घरानों का कब्जा होता जा रहा है पेपर में वही छपता है जैसा सेठ जी बोलते हैं पत्रकारों की भूमिका विज्ञापन तक सीमित हो गई है
राष्ट्रवाद के नाम पर झूठी फसल बोई और काटी जा रही है ऐसा इतिहास गढा जा रहा है जिसकी कभी भूमिका ही नहीं थी
वर्तमान राजनीतिक परिवेश में संघर्ष त्याग इमानदारी सुचिता की भूमिका समाप्त हो गई है राजनीतिक दल सत्ता में आते ही चौसर का खेल खेल रहे हैं
भारत की स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 2 लाख से अधिक शहीद हुएलाखों स्वतंत्र संग्राम सेनानियों ने आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व निछावर कर दिया उन स्वतंत्रता सेनानियों का सपना भी अधूरा रह गया सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटती जा रही है स्वास्थ शिक्षा और रोजगार देना तो दूर की बात हर जगह निजी करण का प्रयास हो रहा है
दरअसल में 200 साल की गुलामी सबसे बड़ी वजह थी डर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी डॉक्टर राम मनोहर लोहिया डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने हमारा डर खत्म कर हमें बेखौफ बनाया फिर से देश में डर का वातावरण बनाया जा रहा है डर का खेल शुरू हो गया लोगों में डर पैदा किया जा रहा है कारण डर से लोगों ने बोलना बंद कर दिया है यदि कोई बोलने की हिम्मत करता है तो उसे सुनना बंद कर दिया है सत्ता और व्यवस्था दोनों के निशाने पर जनता होती है

बेहद शातिर आना अंदाज में नकेल कसने की कोशिश जारी है

जो विधि द्वारा निर्धारित किया गया है वही होकर रहेगा ना भगवान राम के जीवन काल में बदला जा सका ना भगवान कृष्ण के जीवन काल में और ना ही शिव सती की मृत्यु को टाल सके जबकि मृत्युंजय मंत्र उन्हीं का आव्हान करता है
परमपिता परमात्मा से ज्यादा शुभचिंतक भला कौन हो सकता है
हमारी परीक्षा संसार की
प्रतीक्षा परमात्मा की
और समीक्षा स्वयं की करनी चाहिए
हम करते हैं
परीक्षा परमात्मा की
प्रतीक्षा सुख की
और समीक्षा दूसरों की
धर्म दीर्घकालीनराजनीति
राजनीति दीर्घकालीन धर्म

विपन सुर संत हित
लेन मनुष्य अवतार
निज इच्छा निर्मित
तनु माया गोपाल

होते राजाराम भी
ना बनते भगवान
तुलसी गुन न गाऊते
सब रहेते अनजान

अधिकांश बुद्धिजीवी हमारे मार्गदर्शक कई विभिन्न प्रसंगों पर यह कहते हुए पाए जाते हैं आपकी बात तो सही है लेकिन इस पर अमल कठिन है लेकिन और कठिन शब्दों का उच्चारण इस तरह करते हैं कठिनअसंभव का पर्यायवाची है
कैलाश रावत
7999606143
9826665847
मडिया जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश 472338

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