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सिंधिया को पूरी तरह उखाड़ने की तैयारी में कांग्रेस

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भोपाल। मप्र में कांग्रेस ने 150 सीटें जीतकर सरकार बनाने की रणनीति बनाई है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि अगर ग्वालियर-चंबल को कांग्रेस ने जीत लिया तो सरकार बनाने से कोई रोक नहीं सकता है। ऐसे में कांग्रेस की जीत की राह में सबसे बड़ी बाधा हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया । वैसे सिंधिया 2020 से ही कांग्रेस के निशाने पर बने हुए हैं, जब उन्होंने अपने समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थामकर कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसी कारण से कांग्रेस के टारगेट पर सिंधिया हैं। पार्टी सिंधिया को पूरी तरह उखाड़ने की तैयारी में है। इसके लिए उनके साथ भाजपा में गए नेताओं के साथ ही ग्वालियर-चंबल के असंतुष्ट भाजपाईयों को कांग्रेस में लाने का अभियान शुरू कर दिया है।  कांग्रेस जहां भाजपा के दिग्गजों को उनके गढ़ में ही घेरे रखने की रणनीति पर काम कर रही है, वहीं असंतुष्ट भाजपाईयों पर भी डोरे डाल रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि सिंधिया के कारण भाजपा पहले से ही दो खेमों में बंटी हुई है। ऐसे में अगर पार्टी के दिग्गज नेताओं को उनके गढ़ में घेर लिया गया तो जीत की राह आसान हो जाएगी। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ग्वालियर चंबल अंचल में सबसे ज्यादा सीटें हासिल हुई थीं। यहां कांग्रेस के खाते में 26 सीटें गई थीं। अब कांग्रेस 2018 के नतीजों को दोहराने की कोशिश में है। लेकिन इस बार माहौल बदला है। ज्योतिरादित्य सिंधिया जो 2018 में कांग्रेस का चेहरा थे, अब वह भाजपा का बड़ा चेहरा हैं। ऐसे में कांग्रेस का नया प्लान ग्वालियर चंबल में कितना असरदार होता है यह देखना दिलचस्प होगा।
सिंधिया के प्रभाव वाले क्षेत्रों में सेंधमारी
कांग्रेस ने जैसा को तैसा की तर्ज पर भाजपा और सिंधिया को जवाब देना शुरू कर दिया है। इसके लिए सिंधिया के प्रभाव वाले क्षेत्रों में सेंधमारी शुरू कर दी है। गौरतलब है कि गुना सांसद केपी यादव के भाई अजय पाल सिंह यादव भी कांग्रेस में आ चुके हैं। इन सभी के माध्यम से कांग्रेस का प्रयास है कि ग्वालियर अंचल के पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को साधा जाए। जल्द ही ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के कुछ और भाजपा व उसके सहयोगी संगठनों से जुड़े नेता कांग्रेस की सदस्यता लेंगे। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का कहना है कि कई नेता हमारे संपर्क हैं। पार्टी ने निर्धारित किया है, कि जिनके नाम पर जिला इकाई और स्थानीय नेता सहमति देंगे, उन्हें ही सदस्यता दिलाई जाएगी। पिछले चुनाव में गुना के तीन विधानसभा क्षेत्र मुंगावली, बमोरी और अशोकनगर में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के कारण तीनों विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता ले ली थी। उपचुनाव में भाजपा ने तीनों को प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत भी हासिल की। बता दें पार्टी ने सिंधिया को घेरने के लिए उनके साथ पार्टी छोडक़र जाने वाले विधायकों के क्षेत्र में चुनावी जमावट शुरू कर दी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। भाजपा यहां कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में शिकस्त देने के लिए तैयारी में जुटी है। कांग्रेस भी सिंधिया को घेरने में कोई कसर नहीं रखना चाहती है, इसलिए ऐसे चेहरों को अपने साथ लेने के प्रयास चल रहे हैं, जो राजनीतिक या सामाजिक क्षेत्र में प्रभाव रखते हैं। इसी कड़ी में भाजपा से जुड़े नेता यादवेंद्र यादव को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई गई। यादव परिवार का अशोकनगर, गुना और शिवपुरी क्षेत्र में सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र में प्रभाव है। उनके परिवार से जिला पंचायत में तीन सदस्य हैं। मां बाई साहब यादव अशोकनगर जिला पंचायत अध्यक्ष की रह चुकी हैं। पत्नी और एक भाई जिला पंचायत सदस्य हैं। यादवेंद्र के भाई अजय यादव को सरकार ने पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का उपाध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया है।
श्रीमंत सबसे बड़ी चुनौती
 पार्टी का मानना है कि 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए ग्वालियर-चंबल में श्रीमंत  बड़ी चुनौती बने हुए हैं, क्योंकि कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए श्रीमंत कांग्रेस की हर कमजोर नस को अच्छी तरह से जानते है। साल 2018 के चुनावों में चंबल इलाके का मतदाता उनके साथ रहा ऐसे में कांग्रेस ने चुनावों से पहले श्रीमंत  की घेराबंदी करने के लिए अपनी फौज उतारना शुरू कर दी है। कांग्रेस के लिए ग्वालियर-चंबल का गढ़ सबसे महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस इलाके पर श्रीमंत का दबदबा रहा है। इसलिए कांग्रेस ने अभी से श्रीमंत की घेराबंदी करना शुरू कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने हाल ही में ग्वालियर का दौरा कर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र भी दिया। कमलनाथ ने ग्वालियर-चंबल में डॉक्टर गोविंद सिंह, जयवर्धन सिंह, रामनिवास रावत, लाखन सिंह यादव, फूल सिंह बरैया, के पी सिंह समेत कई नेताओं के साथ श्रीमंत को घेरने का प्लान बनाया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि ग्वालियर में कांग्रेस का हर कार्यकर्ता पार्टी को मजबूत करने में जुट गया है। 2023 के विधानसभा चुनावों में हमारी पार्टी को हर हाल में जीत हासिल होगी।
हिसाब-किताब बराबर करने की तैयारी  
विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की घेराबंदी में जुटी है। पिछले विधानसभा चुनाव में सिंधिया कांग्रेस के साथ थे और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था। इसे दोहराने के लिए अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को कमजोर करने की कार्ययोजना पर काम किया जा रहा है। इसके अंतर्गत पहले अशोक नगर जिले के यादवेंद्र सिंह यादव को पार्टी में शामिल किया गया और अब शिवपुरी के बैजनाथ सिंह यादव की घर वापसी करवाई गई है। बैजनाथ सिंह सिंधिया के साथ कांग्रेस छोडक़र भाजपा में गए थे। पार्टी बैजनाथ सिंह के माध्यम से गुना, शिवपुरी और अशोक नगर क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को साधने का प्रयास करेगी। वहीं, कुछ और नेता भी संपर्क में हैं, जिन्हें जिला इकाई और स्थानीय नेताओं की सहमति से प्राथमिक सदस्यता दिलाई जाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अब किसी एक नेता को आगे बढ़ाने के स्थान पर जिलेवार स्थिति मजबूत की जाएगी। बीते आम चुनाव में दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुसार ही क्षेत्र में अधिकतर प्रत्याशी निर्धारित किए गए थे। जब वरिष्ठ नेताओं से अनबन के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ी तो समर्थक विधायक भी चले गए। इसका परिणाम यह हुआ कि 15 साल बाद प्रदेश में बनी कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा। अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उनसे हिसाब-किताब बराबर करने की तैयारी में जुटी है। प्रयास यही है कि सिंधिया की क्षेत्र में ही घेराबंदी कर दी जाए। इसके अनुसार ही पार्टी में नेताओं का प्रवेश कराया जा रहा है।

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