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पत्रकार नहीं बिके तो NDTV हथियाने का षड्यंत्र

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प्रखर अरोड़ा

    _मोदी के कृपापात्र/चहते अडानी ने NDTV को पिछले दरवाज़े से ख़रीदने का दांव खेला है. इसे कॉरपोरेट की भाषा मे “Hostile Takeover” या “ज़बरदस्ती अधिग्रहण” कहते है._

 _NDTV ने जो बयान जारी किया है उसे सहज भाषा मे बताता हूँ :_

– 2000, NDTV ने “X लिमिटेड” से लोन लिया.

   – शर्त ये थी कि लोन नहीं चुकाने की सूरत में NDTV का लोन NDTV के शेयर में बदल जाएगा..पर लोन को शेयर में बदलने के लिए NDTV की इजाज़त ज़रूरी है..(बिना इजाज़त सम्भव नहीं है).

   – बहुत सामान्य सा एग्रीमेंट है जो कॉरपोरेट लोन में आम बात है..बैंक भी कॉरपोरेट को लोन देते वक़्त ऐसी शर्त रखते हैं ताकि लोन डिफ़ॉल्ट हो तो कंपनी का मालिकाना मिल जाए.

 अडानी ने “X लिमिटेड” को ख़रीद लिया और NDTV को नोटिस जारी कर लोन को शेयर में बदल कर 29.18% का मालिक बन गया.(NDTV को तो पता भी नहीं चला)

   _अडानी ने NDTV से कोई इजाज़त नही ली या लोन चुकाने का कोई मौक़ा नही दिया..ऐसा NDTV ने बोला है._

      NDTV का मुआमला कॉरपोरेट में एक बेंचमार्क होगा..एक बार मरहूम “जूट किंग” अरुण बाजोरिया ने टाटा को टेकओवर करने की कोशिस की थी..सरकार ने रोक दिया था.

       _इस वक़्त पूरा सिस्टम अडानी के साथ है..NDTV को कुचलने की कवायत जारी है..अडानी के लिए सबकुछ सहज होगा पर बिना लड़ाई प्रणय रॉय साहब हार नही मानने वाले..हम सब NDTV के साथ है._

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