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देश की पहली बुलेट ट्रेन…गुजरात में 40% काम पूरा, महाराष्ट्र में सिर्फ बोर्ड लगे

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अहमदाबाद/मुंबई

तारीख: 24 अप्रैल,2023। गुजरात का आणंद शहर, यहां के उत्तरसंडा रेलवे स्टेशन से 600 मीटर दूर एक स्ट्रक्चर तैयार हो रहा है। दोपहर के करीब 12:30 बजे हैं और टेम्प्रेचर 42 डिग्री है। 100 से ज्यादा मजदूर और इंजीनियर काम में जुटे हैं।

यहां देश की पहली हाईस्पीड बुलेट ट्रेन का स्टेशन बन रहा है। गुजरात में साबरमती और अहमदाबाद के बाद ये तीसरा स्टेशन होगा। पहले इसका जिक्र इसलिए क्योंकि पूरे प्रोजेक्ट में यहीं सबसे ज्यादा यानी 55% काम हुआ है।

पहले बुलेट ट्रेन साल 2022 तक चलाए जाने का टारगेट था। फिर इसे बढ़ाकर 2023 किया गया और बीते मार्च में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अब 2026 तक इसके चालू होने की उम्मीद है। आखिर देश की पहली बुलेट कहां रह गई, ये जानने के लिए भास्कर की टीम ने अहमदाबाद से मुंबई तक का सफर किया।

508 किलोमीटर के रूट पर आने वाले 12 स्टेशनों और ट्रैक, टनल, ब्रिज का काम देखा। 5 पार्ट की इस सीरीज में हम आपको प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस से लेकर काम करने के तरीके और जमीन के विवाद तक सब बताएंगे, पहली रिपोर्ट में पढ़िए और देखिए कि प्रोजेक्ट के 12 स्टेशन कितने तैयार है।

खास बात ये है कि बुलेट ट्रेन के सभी स्टेशनों के लिए अलग-अलग थीम रखी गई है। जिस वजह से शहर की पहचान है, उसे ही स्टेशन की थीम बनाया गया है। जैसे अहमदाबाद का काइट फेस्टिवल दुनियाभर में मशहूर है, इसलिए इस स्टेशन की थीम पतंग रखी गई है।

हाईस्पीड रेल प्रोजेक्ट: मोदी का डायमंड चतुर्भुज का 9 साल पुराना वादा
साल 2014, तारीख थी 23 जनवरी, दिन सोमवार। तब भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, ’8-9 साल बाद भारत की आजादी के 75 साल होंगे और डायमंड जुबली का समय आएगा। क्या ये समय की मांग नहीं है कि हम अटलजी की सोच को नया रूप देकर बुलेट ट्रेन का डायमंड चतुर्भुज तैयार करें? जब हम डायमंड जुबली मना रहे हों, तो देश में चारों दिशाओं में चलने वाली बुलेट ट्रेन का काम खत्म कर दें। इसके बाद दुनिया नए सिरे से हिंदुस्तान को देखने लगेगी।’

इस स्पीच के 4 महीने बाद नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। 2015 में उन्होंने अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा की थी। 14 सितंंबर, 2017 को इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी गई।

1.08 लाख करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में भारत को जापान से मदद मिल रही है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, 2026 तक सूरत से बिलिमोरा के बीच पहली बुलेट ट्रेन चलाने का टारगेट रखा गया है। ऐसा होते ही भारत 15 देशों के एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा, जिनके पास हाईस्पीड ट्रेन नेटवर्क है।

अब प्रोजेक्ट के 12 स्टेशनों की वर्क प्रोग्रेस…

1. साबरमती: गांधीजी से जुड़ाव, इसलिए स्टेशन की थीम चरखा रखी

हमारी टीम का सफर 24 अप्रैल, 2023 को गुजरात के पहले बुलेट ट्रेन स्टेशन साबरमती से शुरू हुआ। यहां स्टेशन का काम महज 10-15% पूरा हुआ है। अभी बेस और पिलर्स का काम ही चल रहा है। हालांकि, स्टेशन के पास बन रहा मल्टी मॉडल हब लगभग 90% तैयार है।

जापान की तर्ज पर बन रहे मल्टी मॉडल हब में पैसेंजर्स के लिए फाइव स्टार होटल, स्विमिंग पूल, वर्ल्ड क्लास रेस्टोरेंट और रिटेल स्टोर्स होंगे। इसे जून, 2023 में ही ऑपरेशनल करने का प्लान है। साबरमती से महात्मा गांधी का जुड़ाव रहा है, इसलिए इस स्टेशन की थीम चरखा रखी गई है।

2. अहमदाबाद: अभी तक सिर्फ 20% काम ही पूरा हो पाया

साबरमती स्टेशन से सिर्फ 7 किमी दूर अहमदाबाद स्टेशन है। इसे शहर के मेन रेलवे स्टेशन कालूपुर के प्लेटफॉर्म 11 और 12 की जगह पर बनाया जा रहा है। कंस्ट्रक्शन का काम इरकॉन-DRA इंफ्राकॉन (JV ) के पास है। तेज गर्मी के बावजूद मजदूर स्टेशन के ग्राउंड फ्लोर का काम कर रहे हैं। यहां पार्किंग एरिया रहेगा। कुछ पिलर्स भी आधे से ज्यादा बन चुके हैं।

प्रोजेक्ट के एक अधिकारी ने बताया कि यहां 20 से 25% काम हो चुका है। हमने कंस्ट्रक्शन कंपनी के स्टाफ से बात करने की कोशिश की, पर वे तैयार नहीं हुए। स्टेशन की थीम पतंग रखी गई है। अहमदाबाद मेट्रो और रेलवे जंक्शन (कालूपुर स्टेशन) को फुटओवर ब्रिज के जरिए इससे जोड़ा जाएगा।

3. आणंद/नडियाद: स्टेशन की पहली मंजिल तैयार, सबसे तेज काम यहीं हो रहा

अहमदाबाद से मुंबई हाईवे पकड़कर हम सूरत की ओर बढ़े। कार से करीब एक घंटे का सफर कर 58 किमी दूर आणंद/नडियाद स्टेशन पहुंचे। अहमदाबाद से आते हुए रास्ते में हाईस्पीड ट्रेन के पिलर्स नजर आए। उन पर गर्डर रखने का काम अभी बाकी है। उत्तरसंडा रेलवे स्टेशन से 600 मीटर दूर बने आणंद स्टेशन पर साबरमती और अहमदाबाद स्टेशन से दोगुना काम हो चुका।

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) की AGM सुषमा गौर बताती हैं, ‘इस स्टेशन के 425 मीटर लंबे कॉनकोर्स यानी एंट्रेंस वाले फ्लोर का काम पूरा हो चुका है। ये 34 मीटर चौड़ा है। इसमें नौ स्लैब हैं। पहले स्लैब का काम 12 सितंबर, 2022 को शुरू हुआ था और 12 अप्रैल, 2023 को पूरा हुआ है।’

यहां मौजूद एक इंजीनियर ने बताया कि पूरे प्रोजेक्ट में इसी स्टेशन पर सबसे ज्यादा यानी करीब 55% काम हो चुका है। सेकेंड फ्लोर पर बने कॉनकोर्स पर टिकट मिलेगा। यहीं पैसेंजर्स के लिए वेटिंग रूम और हॉल होगा। शाम हो चुकी थी और हम पहले दिन में सिर्फ तीन स्टेशन ही देख पाए थे।

4. वडोदरा: रेलवे की जिद के चलते काम में हो रही देरी

25 अप्रैल को हम वडोदरा रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-7 पर पहुंचे। यहां बुलेट ट्रेन का चौथा स्टेशन बन रहा है। ये आणंद/नडियाद स्टेशन से करीब 63 किमी दूर है। यहां काम की रफ्तार थोड़ी धीमी लगी। बरगद के पेड़ की थीम पर बन रहे स्टेशन पर सिर्फ 10% काम हुआ है। स्टेशन के पास बड़ी-बड़ी मशीनों से ड्रिलिंग हो रही है। पिलर्स के लिए स्टील और लोहे के सरियों का जाल बनाया जा रहा था।

स्टेशन के अलावा यहां 8 किमी का एलिवेटेड ट्रैक लार्सन एंड टूब्रो (L&T) बना रही है। इसे बनाने में 11 हजार टन स्टील और 54 हजार क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट लगेगा। स्टेशन 22 मीटर ऊंचा और 419 मीटर लंबा होगा।

एक इंजीनियर ने नाम जाहिर न करते हुए बताया कि स्टेशन के काम के लिए रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म तोड़ा गया था, रेलवे चाहता है कि हम स्टेशन से पहले उनका प्लेटफॉर्म बनाकर दें, इसलिए काम में देरी हो रही है। यहां भी रेलवे स्टेशन को FOB से बुलेट ट्रेन स्टेशन से जोड़ा जाएगा। साथ ही यह जिस जगह बन रहा है वह भीड़ वाला इलाका है और यात्रियों के मूवमेंट में कारण ही यहां तब काम होता है जब भीड़ कम रहती है।

5. भरूच: नर्मदा नदी पर बन रहा 1.2 किमी लंबा पुल

वडोदरा से करीब 87.6 किमी का सफर तय कर हम 25 अप्रैल की शाम भरूच रेलवे स्टेशन पहुंचे। ये सफर 2 घंटे में पूरा हुआ। मनुबर गांव के पास 425 मीटर लंबा स्टेशन बन रहा है। इसे 150 साल पुरानी बांधनी कला की थीम दी गई है।

इंजीनियरों के मुताबिक, यहां 20 से 25% काम हो चुका है। 508 किलोमीटर में से 31.3 किमी ट्रैक भरूच जिले में ही है। इसके लिए 28 गांवों की 21.41 लाख स्क्वायर मीटर जमीन अधिगृहित की गई है। वडोदरा से भरूच के रास्ते में 783 पिलर बन रहे हैं।

हम यहां पहुंचे, तब पिलर्स पर हेवी क्रेन से गर्डर चढ़ाए जा रहे थे। भरूच में ही नर्मदा नदी पर प्रोजेक्ट का सबसे लंबा 1.2 किमी का ब्रिज बन रहा है। NHSRCL के मुताबिक, ये ब्रिज जून, 2024 तक तैयार होने की उम्मीद है। भरूच में ही हमें शाम हो गई थी और अगला स्टेशन सूरत यहां से काफी दूर है।

6. सूरत: कांच की छत वाला होगा डायमंड सिटी स्टेशन, पहली ट्रेन यहीं से चलेगी

डायमंड सिटी सूरत के अत्रोली में हाई स्पीड ट्रेन का स्टेशन बन रहा है। भरूच से सूरत करीब 75 किमी दूर है। 26 अप्रैल को जब हम यहां पहुंचे तो देखा कि इस स्टेशन के सभी फ्लोर दिखने लगे है। कॉनकोर्स का आकार समझ आने लगा है। ये स्टेशन डायमंड की थीम पर बनाया जा रहा है। इसकी छत कांच की होगी, जिससे यात्रियों को स्काई व्यू मिलेगा।

स्टेशन पर 200 मीटर लंबा रेल स्लैब और 60 मीटर लंबा कॉनकोर्स स्लैब तैयार हो चुका है। इसकी ऊंचाई 26 मीटर है। ये बस और मेट्रो से कनेक्टेड होगा। यहां से BRTS स्टेशन 330 मीटर और प्रस्तावित मेट्रो स्टेशन 280 मीटर, रेलवे स्टेशन 11 किमी और सिटी बस स्टैंड 10 किमी दूर है।

बुलेट ट्रेन दो तरह की होंगी, रैपिड और एक्सप्रेस। साबरमती से मुंबई तक रैपिड ट्रेन के सिर्फ 4 स्टॉपेज होंगे। सूरत में दोनों तरह की बुलेट ट्रेनें रुकेंगी। स्टेशन के टॉप फ्लोर पर चार ट्रैक होंगे। फर्स्ट फ्लोर पर कॉनकोर्स एरिया, वेटिंग एरिया, बिजनेस लाउंज, रेस्ट रूम, नर्सरी, शॉप्स, किओस्क, टिकट काउंटर और कस्टमर केयर सेंटर होगा। ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग, पिकअप-ड्रॉप बेस, पेडेस्ट्रियन प्लाजा और सिक्योरिटी चेक पॉइंट्स के साथ लिफ्ट और एस्क्लेटर्स का काम चल रहा हैं।

7. बिलिमोरा: 2026 तक यहां से ट्रेन चलने का दावा, अभी तक सिर्फ ग्राउंड फ्लोर ही बना

सबसे पहले सूरत से बिलिमोरा के बीच ही बुलेट ट्रेन शुरू की जाएगी। सूरत से बिलिमोरा की दूरी 63 किमी है। बिलिमोरा के केसाली गांव में हाई स्पीड ट्रेन स्टेशन बन रहा है। 27 अप्रैल को जब हम यहां पहुंचे तो देखा कि अभी यहां ग्राउंड फ्लोर का ही काम चल रहा है।

दावा है कि स्टेशन दिसंबर, 2024 तक तैयार हो जाएगा और 2026 तक इसे ऑपरेशनल किया जा सकता है। ये स्टेशन मुंबई से करीब 217 किमी दूर है। यहां दो एलिवेटेड प्लेटफॉर्म बनाए जा रहे हैं।

8. वापी: गुजरात का आखिरी और प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा स्टेशन

वापी के डुंगरा में हाई स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा स्टेशन बन रहा है। इसकी लागत 600 करोड़ रुपए है। यहां 1200 मीटर लंबा प्लेटफॉर्म होगा। ये गुजरात का आखिरी स्टेशन है और बिलिमोरा से इसकी दूरी 55 किमी है।

यहां से 18 किमी वलसाड जिले के जरोली गांव में 350 मीटर लंबी टनल बन रही है। यहां तक पहुंचने में रात हो चुकी थी। अंधेरा होने के बावजूद सुरंग की खुदाई का काम चल रहा था। टनल का 90 मीटर तक का काम हो चुका है।

पहले फेज में ट्रेन को साबरमती से वापी तक दौड़ाने की तैयारी है। इसलिए यह रूट का पहला और आखिरी स्टेशन भी होगा। यहां ट्रेन की क्लीनिंग भी होगी, उसके लिए स्पेस चाहिए होगा। यहां जगह की उपलब्धता भी बहुत ज्यादा है।

9. बोईसर: महाराष्ट्र में जहां पहला स्टेशन बनेगा, वहां जमीन खाली पड़ी

वलसाड के बाद हमने 28 अप्रैल को गुजरात बॉर्डर पार कर महाराष्ट्र में पालघर जिले में एंट्री की। यहां के मान गांव में बन रहे बोईसर स्टेशन पर पहुंचे। ये गुजरात के आखिरी स्टेशन वापी से 96 किमी दूर है। गुजरात के मुकाबले महाराष्ट्र में न के बराबर काम हुआ है। यहां सिर्फ जमीन की मार्किंग की गई है।

NHSRCL का लगाया प्रस्तावित बुलेट ट्रेन स्टेशन का बोर्ड लगा है। कुछ इंजीनियर और वर्कर्स जमीन नाप रहे रहे थे। स्टेशन के पास एक स्कूल है, जिसे शिफ्ट किया जाना है। यहां के किसान मुआवजे की कम रकम से नाराज हैं। वे सरकार से गुजरात में मिले मुआवजे के बराबर कीमत मांग रहे हैं।

10. विरार: काम के नाम पर सिर्फ जमीन की मार्किंग हुई और एक बोर्ड लगा

बोईसर से हम 70 किमी का सफर कर 28 अप्रैल की शाम को विरार स्टेशन पर पहुंचे। यहां भी काम के नाम पर मार्किंग और एक बोर्ड लगा है। साइट पर कोई नहीं है। न इंजीनियर, न किसान। इस स्टेशन के लिए टेंडर की प्रोसेस चल रही है। आसपास के लोगों से बात की। वे इस प्रोजेक्ट से खुश दिखे। कहने लगे कि हमने खुशी से अपनी जमीन बुलेट प्रोजेक्ट के लिए दे दी है। इसके बदले में अच्छा मुआवजा भी मिला है।

11. ठाणे: खाली मैदान में दो बोर्ड लगे, एक प्रस्तावित स्टेशन का, दूसरा विरोध का

विरार से 52 किमी दूर ठाणे में भी स्टेशन का काम शुरू नहीं हुआ है। 29 अप्रैल को जब हम यहां पहुंचे तो एक खाली मैदान में दो बोर्ड लगे नजर आए। इसी जगह स्टेशन बनना है। एक बोर्ड पर लिखा है कि म्हातार्डी गांव की पंचायत स्टेशन का नाम ठाणे रखने का विरोध करती है।

यहां के लोग चाहते हैं कि स्टेशन का नाम उनके गांव के नाम म्हातार्डी पर किया जाए। अभी आसपास लोग भी रह रहे हैं, इन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। उनके रहने के लिए घर NHSRCL बनाकर देगी।

12. मुंबई का BKC: काम शुरू होने में अभी और वक्त लगेगा, करीब 5 साल में बन पाएगा

ठाणे से 25 किमी दूर हम हाई स्पीड ट्रेन के आखिरी स्टेशन मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) स्टेशन पहुंचे। यहां भी सिर्फ बोर्ड लगा है। दो कंटेनरों में प्राइवेट ठेकेदारों के ऑफिस चल रहे हैं। प्रोजेक्ट से जुड़े एक इंजीनियर ने बताया कि स्टेशन की ऊंचाई 60 मीटर होगी, लेकिन ट्रैक अंडरग्राउंड होगा। ये स्टेशन हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी और मैसर्स MEIL मिलकर बनाएंगी। उन्होंने 3,681 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। इसे बनने में 4 साल 6 महीने लगेंगे।

विरार से आगे शीलफाटा से मुंबई तक 21 किमी तक अंडरग्राउंड ट्रैक रहेगा। इसमें से 7 किमी ट्रैक समुद्र के अंदर होगा। स्टेशन की थीम अरब सागर की लहरों पर रखी गई है। इसमें तीन फ्लोर होंगे, जिसमें प्लेटफॉर्म, स्टेशन परिसर और सर्विस फ्लोर शामिल है। 24 से 29 अप्रैल के बीच हमने करीब 652 किमी का सफर किया और सभी 12 स्टेशन तक पहुंचे। हालांकि इन स्टेशन के बीच रेलवे ट्रैक की लंबाई 508 किमी है।

अब बुलेट ट्रेन की टेक्नोनॉजी की बात…
जापान की तरह सिग्नल सिस्टम, गैस से भरे केबल्‍स इस्तेमाल होंगे

हाईस्पीड ट्रेन के सिग्नल कंट्रोल का काम गैस से भरे केबल्स से होगा। यही टेक्नोलॉजी जापान की बुलेट ट्रेनों में भी इस्तेमाल होती है। भारत की ट्रेनों में इसका इस्तेमाल पहली बार होगा। इन केबल्‍स की देखरेख गैस प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम से की जाएगी। इसका फायदा ये है कि केबल्स में दरार आने या उनके टूटने का पता तुरंत चल जाता है। इन केबल्स पर नमी का भी असर नहीं होता।

सभी स्टेशनों का कंट्रोल साबरमती से
हाईस्पीड ट्रेन के टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम में ऑप्टिकल फाइबर केबल्‍स का इस्तेमाल होगा। इसका कंट्रोल रूम साबरमती में होगा। यहीं से आगे के सभी स्टेशनों के डिस्पले बोर्ड कंट्रोल होंगे। पैसेंजर्स को सभी इनफॉर्मेशन कंट्रोल रूम से ही अपडेट होंगी।

गुजरात में कितना काम हुआ
NHSRCL के मुताबिक, 14 मई 2023 तक 352 किलोमीटर के रूट पर बनने वाले एलिवेटेड ट्रैक, ब्रिज, स्टेशन और ट्रैक के लिए सिविल वर्क का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया गया है। ये हिस्सा गुजरात के 8 जिलों के अलावा केंद्र-शासित दादरा और नगर हवेली में आता है। पहला सिविल कॉन्ट्रैक्ट 28 अक्टूबर 2020 को सी-4 पैकेज यानी वलसाड के लिए दिया गया था।

अब तक सूरत में 250 मीटर, आणंद में 150 मीटर और बिलिमोरा स्टेशनों पर 50 मीटर का रेल लेवल स्लैब डाला गया है। अहमदाबाद में 120 मीटर और सूरत स्टेशन पर 400 मीटर का कॉनकोर्स लेवल स्लैब डाला गया। आणंद/नडियाद स्टेशन कॉरिडोर पर 425 मीटर लंबा कॉनकोर्स लेवल तैयार है, ऐसा करने वाला ये पहला स्टेशन है। यहां 56 किलोमीटर का एलिवेटेड ट्रैक पूरा हो गया है।

महाराष्ट्र में कितना काम हुआ
मुंबई स्टेशन के कॉन्ट्रैक्ट पर 20 मार्च 2023 को साइन किए गए थे। मुंबई के BKC और शीलफाटा के बीच अंडर सी ट्रैक समेत 21 किमी टनल बनाने के लिए वर्कऑर्डर 13 मई 2023 को जारी किया गया।

महाराष्ट्र में 3 स्टेशन ठाणे, विरार और बोईसर सहित 135 किमी ट्रैक के लिए टेक्निकल बिड 12 अप्रैल 2023 को खोली गई। हालांकि, महाराष्ट्र के चारों स्टेशनों पर अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। बोईसर, विरार और ठाणे स्टेशन का अभी टेंडर भी नहीं हुआ है।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी सरकारी 2019 में सत्ता में आई। इसके बाद तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी थी। 2022 में शिंदे सरकार के सत्ता में आने के बावजूद सियासी उलझनों में फंसी बीजेपी-शिंदे की सरकार इस मुद्दे पर कोई खास निर्णय नहीं ले सकी। हालांकि, प्रोजेक्ट पर लगी रोक अब हटा ली गई है और काम में फिर से गति देखने को मिल रही है।

उद्धव ठाकरे की सरकार में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए लिए जरूरी 75% जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया था। शिंदे सरकार ने बची हुई जमीन में से 24% के अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया है। अब सिर्फ छोटी-मोटी जगहों पर विवाद बचे हैं।

प्रोजेक्ट में आ रही चुनौतियां

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