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दुखी पतियों पर दिए अदालतों ने कई चर्चित फैसले

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शादी के एक हफ्ते बाद ही एक शख्स की पत्नी बिस्तर पर बेहोश पड़ी थी। सही से सांस नहीं ले पा रही थी। पति आनन-फानन में उसे अस्पताल लेकर पहुंचा जहां इलाज के बाद पत्नी ठीक तो हो गई लेकिन डॉक्टर ने जो बताया उसे सुनकर पति दंग रह गया। पता चला कि पत्नी को पान मसाला, गुटखा और शराब पीने के साथ नॉनवेज खाने की आदत है। नशे की वजह से ही वह बीमार हुई थी। शख्स ने पत्नी को बहुत समझाया पर वह नहीं मानी। आखिरकार उसने तलाक के लिए याचिका दी। फैमिली कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बाद शख्स छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने पत्नी के गुटखा खाकर को पति को तंग करने को क्रूरता बताते हुए तलाक की अर्जी स्वीकर कर ली। हक की बात (Haq Ki Baat) सीरीज के इस अंक में बात उन आधारों की जिसके बिना पर तलाक मिल सकता है। क्रूरता ऐसे ही आधारों में से एक है लिहाजा इसे लेकर कोर्ट के कुछ चर्चित फैसलों पर भी डालते हैं नजर।

गुटखा खाकर और शराब पीकर पति को तंग करना क्रूरता : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट
सबसे पहले बात छत्तीसगढ़ वाले ताजा मामले की। बांकीमोंगरा के रहने वाले उदय की शादी 19 मई 2015 को कटघोरा की रहने वाली एक लड़की से हुई थी। शादी के एक हफ्ते बाद ही 26 मई को उदय ने अपनी पत्नी को बिस्तर पर बेहोश पड़ा देखा। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। आनन-फानन में पति उसे लेकर अस्पताल पहुंचा। वहां पता चला कि पत्नी को नशे की लत है। वह पान मसाला और गुटखा खाने की आदी है। साथ ही उसे शराब पीने की लत है और नॉनवेज खाने की शौकीन है। इलाज के बाद पत्नी ठीक हो गई तो वह उसे घर लेकर आया और साथ में समझाया कि नशे की लत छोड़ दे। उसे उम्मीद थी कि कुछ दिन में पत्नी की लत छूट जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पति का आरोप है कि पत्नी गुटखा खाकर बेडरूम में इधर-उधर थूक दिया करती थी। मना करने पर झगड़े पर उतारू हो जाया करती थी। यहां तक कि दिसंबर 2015 में उसने एक बार खुद को आग लगाकर जान देने की भी कोशिश की। किसी तरह परिवारवालों ने आग बुझाकर उसकी जान बचाई। उसके बाद भी उसने कभी छत से कूदकर तो कभी कीटनाशक पीकर जान देने की कोशिश की। थक हारकर परेशान पति ने कोरबा फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की लेकिन उसकी याचिका खारिज हो गई। इसके बाद वह तलाक के लिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पहुंचा। जस्टिस गौतम भादुड़ी, जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की बेंच ने माना कि पत्नी का गुटखा खाकर पति को तंग करना क्रूरता है लिहाजा यह तलाक का आधार है। हाई कोर्ट ने कहा कि नशे में पत्नी का आत्महत्या की कोशिश कर ससुरालवालों को फंसाने की धमकी देना मानसिक क्रूरता है। इसलिए पीड़ित पति तलाक का हकदार है। हालांकि, फरवरी 2021 में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने ऐसे ही एक मामले में पत्नी के तंबाकू खाने को तलाक का आधार मानने से इनकार कर दिया था।

किन आधार पर मिल सकता है तलाक
अगर पति-पत्नी का रिश्ता इस हद तक बिगड़ जाए कि साथ रहना मुश्किल हो तो वे तलाक ले सकते हैं। अगर पति-पत्नी दोनों तलाक के लिए सहमत हों तो अदालत से आसानी से तलाक मिल जाता है। लेकिन अगर सिर्फ एक पक्ष ही तलाक के लिए सहमत है तो उसे कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है। शादी कोई ऐसा बंधन नहीं है जिसे जब चाहे तोड़ दिया जाए, इसलिए कानून में तलाक के लिए कुछ आधार तय किए गए हैं। असहमति के मामलों में संबंधित पक्ष को ये साबित करना पड़ता है कि उसके पास तलाक की बड़ी वजह मौजूद है। अलग-अलग पर्सनल लॉ में तलाक के आधार अलग-अलग हैं। हिंदू मैरिज ऐक्ट, 1955 के सेक्शन 13 में वे आधार बताए गए हैं जिनके बिना पर तलाक लिया जा सकता है।

तलाक केस में क्रूरता पर बड़े अदालती फैसले
अगर तलाक चाह रहा पक्ष अदालत में ये साबित कर दे कि उसका या उसकी पार्टनर उस पर क्रूरता कर रहा/रही है तो इस आधार पर तलाक मिल जाता है। अगर पार्टनर की हरकतों से किसी की जान को खतरा हो सकता हो, अंग भंग का खतरा हो, शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को खतरे में पड़ने की आशंका हो तो पार्टनर के ये व्यवहार क्रूरता की श्रेणी में आएंगे। तलाक के मामलों में क्रूरता को लेकर अदालतों ने समय-समय पर अहम फैसले सुनाए हैं। आइए, नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही फैसलों पर।

महज तंबाकू खाना तलाक का आधार नहीं : बॉम्बे हाई कोर्ट
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने तंबाकू खाकर पति को तंग करने को क्रूरता माना था। लेकिन ऐसे ही एक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने पत्नी के तंबाकू खाने को पति पर क्रूरता नहीं माना। छत्तीसगढ़ वाले मामले से उलट महाराष्ट्र के केस में फैमिली कोर्ट ने पत्नी के तंबाकू खाने के आधार पर पति को तलाक की अनुमति दे दी थी लेकिन हाई कोर्ट ने उसके फैसले को पलट दिया था। हाई कोर्ट ने कहा, ‘ये आरोप कुछ और नहीं बल्कि विवाहित जीवन में सामान्य खटपट का हिस्सा हैं। यह दंपती लगभग 9 वर्षों तक एक साथ रहा और पति ने मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक मांगा है लेकिन वह इसे साबित करने में सफल नहीं हुए।’ जाहिर है, इस वाले मामले में पत्नी ने नशे में बार-बार आत्महत्या करने की कोशिश और ससुराल वालों को केस में फंसाने की धमकी नहीं दी थी।

पार्टनर की प्रतिष्ठा और करियर को खराब करना मानसिक क्रूरता : सुप्रीम कोर्ट
फरवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि किसी उच्च शिक्षित व्यक्ति का अपने लाइफ पार्टनर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना, करियर को खराब करना मानसिक क्रूरता है। शीर्ष अदालत ने पत्नी के ऐसे व्यवहार को पति पर क्रूरता मानते हुए तलाक की इजाजत दे दी। इस केस में पति सेना में था और पत्नी ने उसके खिलाफ बड़े अधिकारियों से कई बार तरह-तरह की शिकायतें भेजी थी। यहां तक कि पति का कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी हुआ। पत्नी ने महिला आयोग समेत तमाम अथॉरिटीज में भी पति के खिलाफ शिकायतें कीं जिससे उसका करियर प्रभावित हुआ और मान-सम्मान को चोट पहुंची। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मानसिक क्रूरता को लेकर कोई एक समान मानक तय नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह केस दर केस और परिस्थितियों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है।

पत्नी सिंदूर नहीं लगाती थी, चूड़ी नहीं पहनती थी तो पति को मिल गया तलाक
पत्नी अगर चूड़ी नहीं पहनती हो, सिंदूर नहीं लगाती हो तो ये भी तलाक का आधार हो सकता है। जून 2020 में गुवाहाटी हाई कोर्ट ने तलाक के एक मामले में कहा था, ‘पत्नी का शाखा (कौड़ियों से बनी चूड़ियां) पहनने और सिंदूर लगाने से मना करना उसे या तो कुंवारी दिखाता है या फिर इसका मतलब है कि उसे शादी मंजूर नहीं है। पत्नी का ऐसा रुख यह साफ करता है कि वो अपना विवाह जारी नहीं रखना चाहती।’ कोर्ट ने इस आधार पर तलाक के लिए याचिका डालने वाले शख्स को तलाक की मंजूरी दे दी।

लंबे समय तक अलग रहने का मतलब बेमानी हो चुकी है शादी : हाई कोर्ट
इसी साल जून में पंजाब ऐंड हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि अगर पति और पत्नी लंबे समय से अलग रह रहे हों और उनमें से कोई एक तलाक चाहता है तो इस आधार पर उसे तलाक मिल सकता है। कोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक पति-पत्नी का अलग-अलग रहने को मान लेना चाहिए कि शादी टूट चुकी है। इस मामले में पति-पत्नी 18 साल से ज्यादा वक्त से अलग-अलग रह रहे थे। पत्नी तलाक नहीं चाहती थी। जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अशोक कुमार वर्मा की बेंच ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद कर दिया जिसमें पति की तलाक की अर्जी खारिज कर दिया गया था।

नवंबर 2022 में ऐसे ही एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी तलाक को मंजूरी दी थी। कोर्ट ने कहा कि अगर पति-पत्नी लंबे समय से अलग रह रहे हों और उनके रिश्ते सुधरने की कोई गुंजाइश न बची हो तो तलाक ही बेहतर है।

लाइफ पार्टनर को लंबे समय तक सेक्स से इनकार भी तलाक का आधार
पति या पत्नी अगर बिना किसी वाजिब कारण के सेक्स से इनकार कर रहा हो, काफी समय से ऐसा कर रहा हो तो यह मानसिक क्रूरता है। इस तरह यह तलाक का आधार है। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट से लेकर अलग-अलग हाई कोर्ट ने समय-समय पर कई फैसले सुनाए हैं। मसलन, सितंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के एक मामले में मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुआ कहा, ‘जीवनसाथी को पर्याप्त कारणों के बिना लंबे समय तक सेक्स नहीं करने देना मानसिक क्रूरता जैसा है।’ दरअसल, उस मामले में पति ने दावा किया था कि पत्नी लंबे समय से अपने साथ सेक्स नहीं करने दे रही है। पत्नी ने दलील दी कि वह संतान नहीं चाहती है इसलिए सेक्स से इनकार करती है। कोर्ट ने इस दलील को यह कहकर खारिज कर दिया कि पति-पत्नी दोनों ही शिक्षित हैं और ऐसे कई गर्भनिरोधक उपाय हैं जिनके इस्तेमाल से पत्नी प्रेग्नेंसी से बच सकती है। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी 2016 में इसी आधार पर 9 साल पुराने रिश्ते को खत्म करने की इजाजत दी थी।

नपुंसकता का झूठा आरोप तलाक का आधार : सुप्रीम कोर्ट
अगस्‍त 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक से जुड़े अपने एक अहम फैसले में कहा कि जीवनसाथी की नपुंसकता के बारे में बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाना क्रूरता के समान है। शीर्ष अदालत ने उस आधार पर तलाक की इजाजत देने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। इस मामले में कपल की शादी 2012 में हुई थी। पत्नी ने पति पर आरोप लगाया कि वह नपुंसक है लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में ये आरोप झूठे पाए गए।

पति या पत्नी से जबरन सेक्स (मैरिटल रेप) तलाक का आधार
मैरिटल रेप आपराधिक है या नहीं, भले ही इसे लेकर अभी देश में बहस चल रही हो लेकिन यह तलाक का आधार जरूर है। अगस्‍त 2021 में केरल हाई कोर्ट ने तलाक के एक मामले में कहा कि पत्नी के शरीर को पति का अपनी सम्पत्ति समझना और उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना मैरिटल रेप है। अदालत ने तलाक की मंजूरी देने के फैसले को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की दो अपीलें खारिज करते हुए यह टिप्पणी की थी। पीठ ने कहा, ‘दंडात्मक कानून के तहत मैरिटल रेप को कानून मान्यता नहीं देता, केवल यह कारण अदालत को तलाक देने के आधार के तौर पर इसे क्रूरता मानने से नहीं रोकता है। इसलिए, हमारा विचार है कि मैरिटल रेप तलाक का दावा करने का ठोस आधार है।’

पराए पुरुष या पराई स्त्री से यौन संबंध तलाक का आधार
अगर कोई शादीशुदा शख्स पति या पत्नी के अलावा किसी से यौन संबंध बनाता है तो भले ही यह गैरकानूनी न हो लेकिन तलाक का ठोस आधार जरूर है। दरअसल, दो बालिगों का आपसी सहमति से सेक्स कानूनन गलत नहीं है, भले ही दोनों शादीशुदा हों या अविवाहित हों या कोई एक विवाहित और दूसरा अविवाहित हो। मई 2022 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पत्नी की अडल्टरी को पति पर क्रूरता मानते हुए तलाक की इजाजत दे दी। आम तौर पर अडल्टरी के आधार पर तलाक लेना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इसमें यह साबित करना होता है कि पति/पत्नी का किसी और के साथ शारीरिक संबंध है। लेकिन इस मामले में यह बहुत आसान थ। दरअसल, रिश्तों में बिगाड़ के बाद दंपती अलग-अलग रह रहा था। बाद में दोनों में किसी तरह समझौता हुआ और दोनों साथ रहने लगे। वे बमुश्किल 24 दिनों तक साथ रहे थे लेकिन पत्नी 40 दिनों से ज्यादा वक्त से प्रेग्नेंट पाई गई। 24 दिनों तक साथ रहने से पहले पति पैर में फ्रैक्चर की वजह से बिस्तर पर था। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय अग्रवाल की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि कथित विवाद के बाद भी पत्नी के किसी और से जिस्मानी रिश्ते रहे, जिससे वह गर्भवती हुई। यह पति पर क्रूरता है।

नवंबर 2016 में भी सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर को तलाक का आधार माना। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर और उसकी पत्नी का संदेश हमेशा ऐसी मानसिक क्रूरता नहीं होती जिसे आत्महत्या के लिए उकसावा मान लिया जाए लेकिन यह तलाक का आधार हो सकता है।

मां-बाप से अलग रहने को मजबूर करना क्रूरता
पति को उसके मां-बाप से अलग रहने के लिए मजबूर करना क्रूरता है और यह तलाक का आधार हो सकता है। अक्टूबर 2016 में एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी की तरफ से खुदकुशी की धमकी देने को भी अत्याचार मानते हुए उसे भी तलाक का आधार करार दिया था।

पति और ससुराल वालों पर झूठे आरोप भी तलाक का आधार
सितंबर 2022 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने तलाक के एक मामले में फैसला सुनाया कि पति और ससुरालवालों के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराना भी क्रूरता है जिससे परिजन प्रताड़ित होते हैं। इस मामले में पत्नी ने पति और ससुराल वालों को फर्जी केस में फंसाया था। उसने दहेज उत्पीड़न समेत कई एफआईआर दर्ज कराए थे। तलाक का मामला हाई कोर्ट में पहुंचने के बाद अदालत ने उसे 36 बार समन भेजा लेकिन वह एक बार भी पेश नहीं हुई थी।

ऐसे ही एक मामले में अक्टूबर 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि पति और परिवार पर झूठे आरोप लगाना तलाक का आधार बन सकता है। महिला के ‘हनीमून खराब करने’, पति और उसके परिवार पर झूठे आरोप लगाकर मानसिक क्रूरता करने को संज्ञान में लेकर अदालत ने 12 साल पुराने शादी को तोड़ने की इजाजत दी थी।

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