राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक की 16 राज्यसभा सीटों के नतीजे आ चुके हैं। इन नतीजों ने कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना, NCP सहित तमाम पार्टियों के इलेक्शन मैनेजमेंट की पोल खोल कर रख दी। राजस्थान में भाजपा का दांव फेल हो गया और CM अशोक गहलोत एक बार फिर मैन ऑफ द मैच बन गए हैं।
राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन को हरियाणा से जिताने की कमान छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल और पूर्व CM भूपिंदर सिंह हुड्डा को दी गई थी, लेकिन भाजपा की रणनीति के सामने ये दोनों दिग्गज फेल हो गए। महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे राज्यसभा में अपने दूसरे प्रत्याशी को जीत दिला पाने में नाकाम रहे। यहां नए सियासी जादूगर के तौर पर देवेंद्र फडणवीस उभरे हैं। कर्नाटक में भी कांग्रेस को केवल एक सीट से ही संतोष करना पड़ा है।
भाजपा के गले की फांस बन जाते हैं गहलोत
राजस्थान के CM अशोक गहलोत की सियासी रणनीति का तोड़ भाजपा के पास नहीं है। वे भाजपा को कई बार पटखनी दे चुके हैं। 2017 में गहलोत गुजरात कांग्रेस के प्रभारी थे। राज्यसभा का चुनाव चल रहा था। कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अहमद पटेल थे। पटेल को हराने के लिए भाजपा ने पूरी रणनीति तैयार की थी, लेकिन सामने अशोक गहलोत थे। पटेल के लिए गहलोत ने भारत निर्वाचन आयोग तक लड़ाई लड़ी, जिसके बाद अहमद पटेल की जीत हुई।
इसके बाद जून 2020 में राजस्थान में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए चुनाव हुआ था। संख्या बल के मुताबिक कांग्रेस के खाते में दो और भाजपा को एक सीट मिल सकती थी, लेकिन भाजपा ने दो प्रत्याशी मैदान में उतार दिए। भाजपा के दूसरे प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत की बुरी तरह हार हुई।
जुलाई 2020 में सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी। प्रदेश में सियासी संकट खड़ा हो गया। तब गहलोत ने आरोप लगाया था कि भाजपा मेरी सरकार को गिराने की साजिश कर रही है। एक महीने से अधिक चले सियासी संकट के बाद गहलोत अपनी सरकार बचाने में सफल रहे।
इस बार मीडिया के मुगल कहे जाने वाले सुभाष चंद्रा के मैदान में आने के बाद से कई तरह की चर्चाएं हो रही थीं, लेकिन गहलोत ने न केवल अपने विधायकों को पाले में बनाए रखा। बल्कि भाजपा के एक विधायक से क्रॉस वोटिंग करा दी, जिससे भाजपा की राजस्थान में किरकिरी हो रही है। लेकिन, दूसरे राज्यों में भाजपा के सामने विपक्ष की रणनीति फेल रही।
हरियाणा में हारे माकन, बघेल और हुड्डा की रणनीति पर सवाल
हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव हुआ। एक सीट पर भाजपा के कृष्ण लाल पंवार और दूसरी सीट पर भाजपा-जजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा को विजेता घोषित किया गया, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी अजय माकन चुनाव हार गए। कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई ने क्रॉस वोटिंग की।
माकन को जीत दिलाने के लिए हरियाणा के कांग्रेस विधायकों को रायपुर ले जाया गया था, लेकिन हुड्डा और बघेल मिलकर भी कुलदीप बिश्नोई को मना पाने में सफल नहीं हुए। अब कांग्रेस ने बिश्नोई को पार्टी से निकाल दिया है, लेकिन लगातार यह दूसरा मौका है, जब विधायकों की पर्याप्त संख्या होते हुए भी राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत नहीं हो पाई।
इस पूरी कवायद में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक मंझे हुए सियासी किरदार के रूप में सामने आए हैं। पिछले दिनों ही कुलदीप बिश्नोई और CM खट्टर के बीच हुई मुलाकात सियासी सुर्खियों में थी, लेकिन उससे भी कांग्रेस सबक नहीं ले पाई।
माकन की ये लगातार चौथी हार
गांधी परिवार के बेहद करीबी और राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन की सियासत में लगातार यह चौथी हार है। माकन 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव हार गए थे। 2015 में विधानसभा चुनाव भी हार गए थे, जिसके बाद अब वे राज्यसभा में जाने की तैयारी में थे, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी ने उन्हें मात दे दिया। माकन खुद अपनी सीट के लिए हरियाणा के विधायकों को एक साथ नहीं जोड़ पाए। ऐसे में आने वाले समय में प्रभारी के नाते राजस्थान में भी उनकी कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े होने की आशंका जताई जा रही है।
महाराष्ट्र: फडणवीस के खेल में CM ठाकरे, NCP प्रमुख पवार फेल
महाराष्ट्र में 6 सीटों पर चुनाव हुआ। चुनाव में खेल हुआ, जिसमें शिवसेना फेल हो गई है। एक सीट पर शिवसेना और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर थी। इस सीट को जीतने के लिए CM उद्वव ठाकरे, NCP प्रमुख शरद पवार ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन पूर्व CM देवेंद्र फडणवीज के चुनावी प्रबंधन के सामने दोनों ही दिग्गज धराशायी हो गए। शिवसेना के कैंडिडेट संजय पवार भाजपा के धनंजय महाडिक से चुनाव हार गए।कर्नाटक : कांग्रेस-JDS के टकराव में बाजी मार गई भाजपा
कर्नाटक में राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव हुआ। इसके लिए 6 प्रत्याशी मैदान में थे। कांग्रेस और भाजपा ने एक-एक अतिरिक्त प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, जिससे चौथी सीट पर मुकाबला दिलचस्प रहा। यहां कांग्रेस और JDS के बीच टकराव हुआ, जिसका सीधे तौर पर फायदा भाजपा को मिला। भाजपा के 3 सदस्यों को जीत मिली, जबकि कांग्रेस से केवल जयराम रमेश ही राज्यसभा पहुंचने में सफल रहे। यहां भी पूर्व CM सिद्धारमैया की रणनीति फेल रही।