सुसंस्कृति परिहार
इस बार दमोह चुनाव बड़े ही शालीन तरीके से सम्पन्न होता दिख रहा था ।कपड़े ,चूड़ी ,बिंदिया कहीं बटती नज़र नहीं आईं । लेकिन केन्द्रीय संस्कृति मंत्री के बिगड़े बोल ने वातावरण को इस कदर प्रदूषित किया कि भाजपा के लोगों में गहरा असंतोष भर आया लग रहा था शायद वे चुनाव वहिष्कार ना कर बैठे या बूथ सम्भालने वाले कार्यकर्ता भाजपा से दूरी बना लें ।इस समाचार के जन जन में पहुंचते ही विद्रोह की चिंगारियां सुलगने लगी परिणाम स्वरुप उसे शांत करने कई लाखों का खेल आज रात शुरू होना था लगता है इसकी भनक किसी असंतुष्ट भाजपाई ने कांग्रेस तक पहुंचा दी और बड़ी तादाद में कांग्रेसियों ने उस कार को घेर लिया जिसमें गाड़ी की पिछली सीट पर ढेर सी नोटों की गड्डियां रखी थीं।यह गाड़ी आम आदमी की नहीं म०प्र०शासन के केबीनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह की थी।
क्लब के कमरा 101में और कितनी राशि थी पता नहीं चला क्योंकि उसे भी सील नहीं किया गया। पुलिस और उनके अधिकारियों ने कांग्रेस की आवाज़ कुचलने जबरिया लोगों को मारते हुए पकड़ा लाठी चार्ज किया अजय टंडन को हाथ में चोट भी आई और फिर मंत्री जी की गाड़ी को घेरे में लेकर सुरक्षित सागर रवाना कर दिया।यह सब पत्रकारों और वकीलों की मौजूदगी में हुआ।कई वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं । पुलिस और प्रशासन की हठधर्मिता और इस दुष्कृत्य से दमोह की जनता ही नहीं देश के तमाम लोकतंत्र में आस्था रखने वालों को गहरी चोट पहुंची है ।कमलनाथ और जीतू पटवारी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और सम्पूर्ण कृत्य को अदालत में ले जाने जाने माने अधिवक्ता विवेक तन्खा से भी संपर्क किया है ।बहरहाल,मतदान से पूर्व की रात विपक्षी पार्टियों को सावधान रहने की जरूरत है ।उधर चेतना जन शक्ति पार्टी ने भी भाजपा द्वारा भेजी जा रही शराब की पेटियों को भी कई जगह पकड़वाने का दावा किया है । सरकारी धन और बल का जो हाल आज यहां देखा गया इससे साफ़ जाहिर है कि भाजपा येन केन प्रकारेण अपने उम्मीदवार को जिताने अडिग है जिसे जनता बुरी तरह नकार चुकी है। केंचुआ से किसी तरह की उम्मीद बेमानी है । दमोह में तीव्रगति से बढ़ता कोरोना और बढ़ती मौत के आंकड़े के बीच कितने मतदाता मतदान करने पहुंचते हैं इस सवाल के बीच पिछला रेट एक वोट 1000₹ कितनों को मिल पाता है और भगवान की कसमें कितना भाजपा का ग्राफ बढ़ा पाती हैं यह कहना मुश्किल है।समझा जा रहा है आज की रात में ही धन और बल की ताकत की बदौलत परिवर्तन की कोशिश संभावित है पर इतना तय है जनता की इच्छा का यदि यह चुनाव सही परिणाम नहीं देगा तो अगला चुनाव निश्चित रुप से किसी बड़ी क्रांति को जन्म देगा जिसका असर दूर तलक जाऐगा ।