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*दिन दूर नहीं, नाई नाई कितने बाल?*

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शशिकांत गुप्ते

लोकतंत्र में विपक्ष की अहम भूमिका होती है। विपक्ष के बगैर लोकतंत्र जीवित ही नहीं रह सकता है।
समाजवादी चिंतक स्वतंत्रता सैनानी डॉ रामनोहर लोहियाजी सन 1963 में बंगलौर में सोसलिस्ट पार्टी के अधिवेशन में गैर कांग्रेसवाद का नारा दिया था।
यह एक राजनैतिक प्रयोग राजनीति में अधिनायक वाद को पनप ने से रोकने के लिए था।
लोहियाजी ने कभी भी कांग्रेस मुक्त भारत नहीं कहा बल्कि उन्होंने कहा था कि,जब कांग्रेस से अधिनायकवाद समाप्त होगा,तब हम कांग्रेस के साथ भी हाथ मिलाएंगे।
आज जो विपक्ष का एक विशाल मोर्चा स्वरूप ले रहा है,यह लोहियाजी की राजनैतिक रणनीति का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
प्रसिद्ध समाजवादी चिंतक स्व.
किसन पटनायकजी ने कहा है कि,विकल्पहीन नहीं है दुनिया
राजनीति में क्षणिक लाभ के लिए,यह भ्रम जरूर फैलाया जा सकता है कि,देश में विपक्ष है ही नहीं है?
इस तरह का भ्रम फैलाना ही अधिनायकवादी मानसिकता का द्योतक है साथ ही भ्रम फैलाना संकीर्ण मानसिकता का धोतक है।
लोकतंत्र में जनता ही विपक्ष होती है,कारण लोकतंत्र देश की मालिक है।
जनता कभी भावनाओं के वश किसी को सत्ता में विराजित कर सकती है तो भ्रम दूर होने के बाद उसे सत्ता से हटा भी सकती है।
वर्तमान में देश की जनता के समक्ष विज्ञापनों ही में विकास प्रस्तुत किया जा रहा है।
यथार्थ में विकास के माथे पर कर्ज का बोझ बेतहाशा बढ़ता जा रहा है।
इन दिनों राजनीति सत्ता,पूंजी और व्यक्ति केन्द्रित हो गई है।
परिणाम स्वरूप संस्कार और सांस्कृति की दुहाई देने वाले जब सत्ता की धुरी पर घूमने लगते हैं,तब सांस्कृतिक क्षेत्र में शुचिता धूमिल होकर उसमें विकृतियां आने लगती है।
इसीलिए डॉ राम मनोहर लोहियाजी ने कहा है कि, सत्ता साधन है साध्य नहीं है।
डॉ लोहियाजी ने लोकतंत्र की मजबूती के लिए यहां तक कहा है कि,लोकतंत्र में सत्ता रूपी हाथी पर अंकुश रखने के लिए सशक्त विपक्ष रूपी महावत अनिवार्य है।
एक नारे का स्मरण होता है,अभी तो ये अंगड़ाई है,आगे और लड़ाई है
अभी सिर्फ अंगड़ाई ने ईंधन के लिए उपयोग में आने वाली गैस की कीमत 200 रुपए कम कर दी है आगे आगे देखिए होता है क्या?
अभी इब्तिदा है।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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