अग्नि आलोक

घर पर हुई जिनकी मौत, उनके नहीं बन पा रहे डेथ सर्टिफिकेट 

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सीआरएस पोर्टल की कछुआ चाल

कीर्ति राणा

इंदौर।नगर निगम के जन्म-मृत्यु विभाग का सर्वर डाउन तो है नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) दिल्ली के कारण लेकिन इस विभाग से जिन लोगों का काम पड़ता है वो सब महापौर की ढिलाई और निगम कर्मचारियों की उदासीनता ही कारण मान रहे हैं।जन्म प्रमाणपत्र के साथ ही अस्पतालों में होने वाली मौत मामलों के प्रमाणपत्र तो बनाए जाना शुरु हो गए है लेकिन तीन सप्ताह से अधिक होने के बाद भी घरों पर हुई मौत संबंधी सर्टिफिकेट नहीं बनाए जा रहे हैं। 

सीआरएस द्वारा सभी राज्यों से जन्म-मृत्यु के आंकड़ों का केंद्रीय स्तर पर डॉटाबेस तैयार किये जाने के कारण इंदौर सहित अन्य शहरों की नगर निगमों में बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट बनाने वाले विभाग के सर्वर को सीधे सीआरएस से कनेक्ट करने का काम चल रहा है। 

इस कार्य की गति धीमी होने के कारण इंदौर नगर निगम की छवि बेवजह खराब हो रही है।जन्म और अस्पतालों में हुई मौत के प्रमाणपत्र तो बनना शुरु हो गए हैं लेकिन सर्वर में काम जारी रहने के चलते जिन लोगों की सामान्य या घर पर मौत हुई है उनके परिजन प्रमाणपत्र बनवाने के लिए निगम के संबंधित विभाग में रोज चक्कर लगा रहे हैं, काउंटर बैठे कर्मचारियों का रटारटाया जवाब रहता है सर्वर डाउन है, कब ठीक होगा पता नहीं। 

करीब तीन सप्ताह में सामान्य मौत वाले प्रमाणपत्र की पेंडेसी एक हजार तक पहुंच गई है।ऐसे परिवारों की दिक्कत यह है कि डेथ सर्टिफिकेट के अभाव में बैंक, बीमा सहित अन्य वित्तीय मामलों में जहां खातों का संचालन (मृतक) संबंधित व्यक्ति के नाम से ही होता था वहां कानूनी खानापूर्ति करने में अड़चन आ रही है।डेथ सर्टिफिकेट नहीं होने से मृतक के परिजन   बैंकों, बीमा कार्यालय आदि में चल रही लोन की किश्त आदि का सेटलमेंट भी नहीं कर पा रहे हैं।चूंकि ऐसे मामलों में अधिकृत विभाग का ही डेथ सर्टिफिकेट अनिवार्य होता है इस कारण संबंधित विभाग (जहां वह व्यक्ति-मृतक-कार्यरत था) द्वारा प्रमाणित पत्र भी स्वीकार कर पाना विभागीय नियमों के कारण संभव नहीं हो पा रहा है। 

हम क्या कर सकते हैं-डॉ उपाध्याय 

जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र शाखा के प्रभारी डॉ अखिलेश उपाध्याय से जब इस मामले में चर्चा की तो उनका कहना था हमारे कर्मचारियों या विभाग द्वारा किसी तरह की लापरवाही नहीं है। सीआरएस (नागरिक पंजीकरण प्रणाली) पोर्टल द्वारा सभी नगर निगमों के सर्वर मुख्यालय से कनेक्ट किये जाने की प्रक्रिया के चलते यह स्थिति बनी है, इसमें स्थानीय स्तर पर हम क्सा कर सकते हैं। फिर भी जन्म और अस्पतालों में हुई मौत वाले सर्टिफिकेट तो बना ही रहे हैं।

अपनी छवि की चिंता नहीं इंदौर नगर निगम को

इंदौर नगर निगम के स्तर पर कोई गड़बड़ी भले ही नहीं हो लेकिन बेवजह हो रही बदनामी की भी महापौर से लेकर संबंधित विभाग को चिंता नहीं है। सर्वर किन कारणों से डाउन है? जिन लोगों की घरों में मौत हुई उनके सर्टिफिकेट बनाने में विलंब किन कारणों से हो रहा है, इसकी सूचना भी जन्म-मृत्यु विभाग में चस्पा नहीं की गई है। कॉउंटर पर बैठे कर्मचारियों को भी कहां इतना वक्त रहता है कि हर एक आवेदक को सर्वर डाउन होने का विस्तार से सही कारण बताएं लिहाजा यही जवाब सुनने को मिलता है ‘सर्वर डाउन है, कब ठीक होगा पता नहीं।’ 

केंद्रीकृत नागरिक पंजीकरण प्रणाली जूझ रही है गंभीर तकनीकी समस्याओं से 

पूरे भारत में जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिये ज़िम्मेदार केंद्रीकृत नागरिक पंजीकरण प्रणाली को गंभीर तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण प्रमाण पत्र जारी करने में व्यापक व्यवधान उत्पन्न हो रहा है।जन्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन अधिनियम 2023 के अनुसार 1 अक्टूबर 2023 से भारत में सभी जन्म तथा मृत्यु का पंजीकरण सीआरएस पोर्टल के माध्यम से डिजिटल रूप से किया जाएगा। डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र विभिन्न सेवाओं के लिये जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में कार्य करेंगे। अब तक 23 राज्य और छह केंद्र शासित प्रदेश नए पोर्टल पर आ चुके हैं।तमिलनाडु जैसे राज्य जिनके पास अपने पोर्टल हैं, वे वर्ष 2023 संशोधन के अनुसार अनिवार्य रूप से वास्तविक समय के आधार पर केंद्र को डेटा भेजते हैं।कई राज्यों ने सीआरएस पोर्टल के संबंध में चिंताएँ व्यक्त की हैं, जिनमें धीमी गति से कार्य करने, अनेक त्रुटि संदेश और डेटा समन्वयन समस्याएँ शामिल हैं।इन समस्याओं के कारण प्रमाण पत्र जारी करने में विलंब हो रहा है।

डेथ सर्टिफिकेट बन जाता तो हाउस लोन की किश्त का भार नहीं पड़ता-नलिनी चौहान  

वन विभाग नवरतन बाग में कार्यरत रहे राजेश चौहान की गत दिनों तबीयत बिगड़ी, अस्पताल ले जाने के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई। 30 सितंबर को पंचकुइया मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार के बाद नगर निगम में मृत्यु प्रमाणपत्र के लिये पहुंचे तो बताया गया सर्वर डाउन है।उनकी पत्नी नलिनी चौहान की परेशानी यह है कि समय पर मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं मिलने से हाउस लोन की किश्त अनिवार्य रूप से जमा कराना पड़ी है।यह भी तय नहीं कि अगले महीने तक भी सर्टिफिकेट नहीं बन पाया तो फिर किश्त भरना पड़ेगी।वन विभाग तो हमें पूरा सहयोग कर रहा है लेकिन सब जगह नगर निगम का डेथ सर्टिफिकेट अनिवार्य होने से परेशान होना पड़ रहा है।

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