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नई दिशा तय कर सकता है आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला

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राजेश चौधरी
सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक आधार पर रिजर्वेशन पर मुहर लगा दी है। यह पहली बार हुआ है कि सरकार ने आर्थिक आधार पर रिजर्वेशन दिया और उस पर सुप्रीम मुहर लगी। संविधान में पिछड़ेपन को देखने का सामाजिक और शैक्षणिक आधार पहले से रहा है, लेकिन अब जो संशोधन हुआ है उसमें ‘आर्थिक आधार पर’ जोड़ दिया गया है।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह ने इस टिप्पणी को अहम माना है। उनकी राय है कि अदालत ने जो मंशा जाहिर की है, उस पर सरकार आगे विचार कर सकती है। कई अन्य जानकार भी इससे सहमति जताते हैं।

ग्राफिकः BCCL

रिजर्वेशन पर क्या बदला
इंदिरा साहनी जजमेंट में 50 फीसदी की सीमा रिजर्वेशन के लिए तय की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे लचीला किया और आर्थिक आधार पर रिजर्वेशन पर मुहर लगा दी।

रिजर्वेशन के तीन आधार
परंपरागत तरीके से एससी/एसटी को रिजर्वेशन दिया जाता रहा है। लेकिन 1992 में ओबीसी को भी आरक्षण दिया गया। उस समय हुई बहस के कुछ अहम पहलुओं पर गौर करना उपयोगी होगा।

ऐसे में आने वाले समय में आर्थिक आधार पर आरक्षण का जो फैसला है, वह नई दिशा तय कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि रिजर्वेशन अनंत काल के लिए नहीं हो सकता। जो रिजर्वेशन दिया जा रहा है, उस पर दोबारा विचार करने की जरूरत भी बताई गई है क्योंकि उससे समानता का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसे में यह संभावना तो बनती ही है कि आने वाले दिनों में रिजर्वेशन के लिए आर्थिक आधार को प्रमुखता मिले और जातिगत रिजर्वेशन खात्मे की ओर बढ़ चले।

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