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हरि के द्वार पर कोराना से उद्धार बेमानी

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 सुसंस्कृति परिहार

इन दिनों हरिद्वार कुंभ मेला शबाब पर है।अब तक तीसरे शाही स्नान के बाद रिपोर्ट के मुताबिक 15लाख लोग गंगा में डुबकी लगा चुके हैं ।कोरोना महामारी की दहशत से दूर भक्त निर्भीकता पूर्वक गंगा स्नान में मगन हैं क्यों ना हों उन्हें अब तक यही बताया जाता रहा है कि यहां देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत घट से जो अमृत छलका वह गंगा में विद्यमान है जो सारे पापों का नाश करता है फिर कोरोना की क्या औकात वह किसी डुबकीवान पर चढ़ाई कर सके।ऐसा भरोसा ही श्रद्धालुओं को कुंभ जैसे पावन अवसर पर अपनी ओर खींचता है। जहां स्वयं हरि विद्यमान हों वहां कैसा संकोच?हरिद्वार में चल रहे कुंभ में सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सोमवती अमावस्या पर शाही स्नान किया. शाही स्नान के दौरान घाटों पर उमड़ी भीड़ के फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल भी हुए. लोगों ने इसकी तुलना 2020 में दिल्ली स्थित निजामुद्दीन दरगाह में हुए मरकज से करते हुए आलोचनाएं भी कीं. लेकिन इसका जवाब उत्तराखंड के सीएम तीरथ‌ सिंह रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सहजता से दिया और मरकज में एक ही हाल में कई कई लोग रहे। एक ही रजाई का अधिक लोगों ने इस्तेमाल किया। इसीलिए कुंभ की तुलना मरकज से नहीं की जा सकती है. . वहीं कुंभ में 16 घाट हैं. केवल हरिद्वार ही नहीं कुंभ ऋषिकेश से लेकर नीलकंठ तक फैला है. लोग एक सही जगह पर स्नान कर रहे हैं और इसके लिए भी समय सीमा है.  

 मुख्यमंत्री ने कहा कि हरिद्वार महाकुंभ 2021 के दूसरे शाही स्नान का आयोजन भी कोविड 19 की गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए दिव्यता व भव्यता के साथ संपन्न हो गया है। तमाम गाईड लाईन का अनुपालन हम सब कुंभ स्नान के चित्र देखकर सहजता से लगा सकते हैं ।मास्क और सोशल डिस्टेन्सिंग की सरे आम धज्जियां उड़ाई गईं ।कोरोना ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि को भी  नहीं बख्शा वे कोरना पॉजिटिव हैं और हालत बिगड़ने की वजह से उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया है। पिछले पांच दिनों में हरिद्वार में कोरोना के 1500 मामले मिल चुके हैं।तब भी गंगा की डुबकी के महात्म्य के आख्यान जारी है ।कुंभ में मां गंगा की कृपा से करोना नहीं फैलेगा ये कह रहे हैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ रावत जी ।वे लोगों को पावन तीर्थ आने का खुला निमंत्रण दे रहे हैं । केंद्र सरकार चुप है। धार्मिक कृत्य में हाथ डालने से हिंदू विरोध हो सकता है वही उनकी ताकत है अंधश्रद्धा ही उन्हें बांधती है । सोचिए 15लाख की भीड़ किसी रैली में जुट सकती है क्या ?हो सकता है मोदीजी भी बंगाल से निवृत्त हो हरिद्वार पहुंच जाएं और गंगा माई से दुनिया भर में फैली बीमारी से निजात पाने कई डुबकियां लगा आएं।     

      कुछ लोग यह कहते हुए वापस हो रहे  है  उन्हें कोरोना नहीं हो सकता ये विश्वास गंगा जी दे रहीं हैं तो कुछ लोग बदजुबानी करते हुए कह रहे हैं पाप धोते धोते गंगा मैली हो गई है उसकी सफाई भी अधर में है।कहने को बहुत कुछ है पर स्नान के बाद का भरोसा उन्हें ऊर्जावान बना रहा है यह कायम रहे कोरोना करीब भी आए तो उनकी आंतरिक शक्ति से परास्त हो ,यही उम्मीद करते हैं ।           

  लेकिन जिस तीव्रगति से हरिद्वार की ओर लोग जा रहे हैं और कोविड नियमों की अवज्ञा की जा रही है उस पर ध्यान केन्द्रित करना ही होगा वरना बहुत बड़ी आबादी इसकी शिकार हो सकती है ।कोरोना की रफ्तार वहां भी बढ़ रही है वह चिंताजनक है।हरि के द्वार पर हाथ पर हाथ रखे रहने से उद्धार की कल्पना का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

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