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पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा को कवर करने वाले पत्रकारों से चरित्र प्रमाण पत्र की मांग

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गिरीश मालवीय

पीएम नरेंद्र मोदी की हिमाचल प्रदेश की एक दिवसीय यात्रा को कवर करने वाले पत्रकारों से चरित्र प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है. 29 सितंबर को हिमाचल प्रदेश पुलिस ने एक पत्र में कवरेज करने वाले सभी प्रेस संवाददाताओं, फोटोग्राफरों और वीडियोग्राफरों की सूची मांगी गई, साथ ही चरित्र सत्यापन का प्रमाण पत्र भी मांगा गया. अधिसूचना में कहा गया कि पत्रकारों को 1 अक्टूबर तक ‘सकारात्मक’ प्रमाण पत्र जमा कराना होगा अधिसूचना में कहा गया है – ‘रैली या बैठक में उनकी पहुंच इस कार्यालय द्वारा तय की जाएगी.’

वैसे कल इस पत्र को वापस ले लिया गया लेकिन इस पत्र की मंशा से कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं कि हमारा लोकतंत्र किस तरफ बढ़ रहा है, क्या अब पत्रकारों से सकारात्मक होने का प्रमाण पत्र मांगा जायेगा ? मीडिया को कंट्रोल में रखना मोदी सरकार की सबसे बडी उपलब्धि है और 2024 तक वे इसमें किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं करने वाली, ये साफ नजर आ रहा है.

दरअसल पत्रकारों को कंट्रोल में रखना totalitarian यानि सर्वाधिकारवादी राज्य की स्थापना के लिए जरूरी है. मोदी इसी और आगे बढ़ रहे हैं. totalitarian का अर्थ है ऐसी शासन प्रणाली जहां एक ही राजनीतिक दल के हाथ में नियंत्रण केंद्रित पूर्ण सत्ता होती है.

पत्रकारों को कैसे कंट्रोल में रखा जाए, मोदी जी यह चीन से सीख रहे हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा जो चीन में हो रहा है, शी जिनपिंग के नेतृत्व वाली सरकार चीन का हेनान प्रांत फेस-स्कैनिंग टेक्नोलॉजी (face-scanning technology) के साथ एक सर्विलांस सिस्टम का निर्माण कर रही है.

इस टेक्नोलॉजी की मदद से हेनान प्रान्त में हजारों कैमरों से फेस-स्कैनिंग की जाएगी ताकि ‘चिंता के कारण वाले लोगों’ (पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं) का पता लगने पर अधिकारियों को सतर्क किया जा सके. इसके लिए इन सबका डेटाबेस तैयार किया जाएगा जिसमें उनकी विस्तृत जानकारी और तस्वीर भी होगी. यह प्रणाली चीन के राष्ट्रीय डेटाबेस से भी जुड़ेगी.

दरअसल यह सर्विलांस सिस्टम पत्रकारों को स्कैनिंग की मदद से ‘ट्रैफ़िक-लाइट’ सिस्टम में वर्गीकृत करता है, जो है ग्रीन, येलो और रेड. जो डाक्यूमेंट्स लीक हुए हैं उससे पता चला है कि पत्रकारों के साथ प्रशासन इन्हीं केटेगरी के अनुसार व्यवहार करेगा. डॉक्यूमेंट्स में कहा गया है कि प्राथमिक उद्देश्य चिंताजनक पत्रकारों को तीन स्तरों में वर्गीकृत करना है –

  1. पहला लेवल- रेड कैटेगोरी के लोग प्रमुख चिंता का विषय हैं.
  2. दूसरा लेवल- येलो कैटेगोरी में चिह्नित लोग सामान्य चिंता के लोग हैं.
  3. तीसरा लेवल- ग्रीन कैटेगोरी में चिह्नित वो पत्रकार हैं जो हानिकारक नहीं हैं.

और जैसे ही रेड कैटेगोरी या येलो कैटेगोरी के पत्रकार हेनान प्रांत में यात्रा करने के लिए टिकट बुक करेंगे, वैसे ही एक अलर्ट शुरू हो जाएगा.

यह सिस्टम विदेशी छात्रों को भी ट्रैक करेगा. राजनीतिक रूप से संवेदनशील समय के दौरान, जैसे कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की वार्षिक बैठक, ‘एक युद्धकालीन अलार्म सिस्टम’ सक्रिय हो जाएगा और ‘कंसर्न’ छात्रों की ट्रैकिंग में वृद्धि होगी, जिसमें उनके मोबाइल फोन को ट्रैक करना भी शामिल है. बहुत जल्द ही ऐसा आप भारत में देखेंगे या शायद ऐसा हो भी गया हो !

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