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जनतंत्र/षड्यंत्र : फोटोग्राफी और सरकारी आंकड़ों का मायाजाल

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 पुष्पा गुप्ता 

 ठगी की तकनीक अब आम जिंदगी का हिस्सा हो गयी है। खासकर नेता, और उसका प्रचार तन्त्र मास फूलिंग के लिए इसका इस्तेमाल करते है। 

       आम जिंदगी में होशियारचन्द, आप जैसे भोले भाले लोगो से बहस जीतने के लिए भी इस्तेमाल करते है। इसकी कुछ ट्रिक्स समझ लीजिए। 

बीते दिन मैंने लिखा, कि LIC को 11% का नुकसान हुआ है। चट से एक चतुरमुरारी कूद पड़े- LIC का इन्वेस्टमेंट केवल 1% ही है। याने LIC को खतरा नही। 

      हम दोनों परसेंटेज टर्म्स में बात कर रहे हैं। यह आम जिंदगी का तरीका नही, पॉवरपॉइंट की भाषा है। आम आदमी तो यही कहेगा कि 33 हजार करोड़ में से 3000 करोड़ डूब गए।

      अब 3000 करोड़ कोई हाथ का मैल नही। पीढियां लग जायेगी कमाने में। ये पैसा भी चेयरमैन के बाप का नहीं, बाकायदा, आपके- मेरे बाप की भरी किस्तों का है। लेकिन LIC का 1% बोल कर देखिए। महज हाथ का मैल ही तो लगता है। 

तो सबसे आम ठगी का तरीका, पूर्णाक न बताकर, परसेंटेज टर्म्स में बात करना होता है। सुनने वाले पर इसका असर गजब होता है। जैसे मैं कहूँ कि एल्फा सेंटोरी 4 लाइट ईयर दूर है। आपको लगेगा कि बगल में ही तो है, टहल कर आ जाता हूँ। 

      लेकिन मैं कह दूं कि ये छत्तीस अरब करोड़ किलोमीटर दूर हैं, तो फट के हाथ मे आ जायेगी। आपकी फटानी है, या जुड़ानी है, मैं उस हिसाब से टर्म्स का इस्तेमाल करूँगा। 

    जैसे मूड़ीज्जी कूद कूद कर “‘सौल्लाख करोड़ का इंफ्राआस्ट्रक्क्क्क्चर बोलते हैं”, तो कितना मस्त “विकास विकास” फील होता है। तीन साल से लाल किले से 300 लाख करोड़ बोल चुके।

     बता दूं ये देश की 15 साल की टोटल कमाई के बराबर है। तो क्या 140 करोड़ जनता भूखे रहकर ,15 साल केवल रोड बनाएगी। 

तुलना में इसका इस्तेमाल बड़ा मजेदार है। जैसे अमरीका की अर्थव्यवस्था हमसे दस गुनी है। हमारा साइज सौ है, तो उनका एक हजार। 

      अगले साल में हम बढ़कर 110 हो जाते हैं, 10 पॉइंट बढ़े। अमरीका बढ़कर 1050..टोटल 50 पॉइंट बढ़ा। 

     तो भारत मे “परसेंट ग्रोथ” का जश्न मनेगा। हमारी ग्रोथ 10% हुई, अमरीका की 5% .. हम अमेरिका से दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे हैं। वाहवाही, तालियां ..!

     उधर बाइडन बाबू भी जश्न मनाएंगे, लेकिन पूर्णांक में बात करके। इंडिया 10 बढ़ा, और वो 50 बढ़े। इंडिया से पांच गुना रफतार से बढ़ रहे हैं। वाहवाही, तालियां.

बोथ आर टू उल्लू बनाइंग एंड ठगिंग पीपल विद पावरपॉइंट !!!!

मात्रक बदलने का खेला होता है। जैसे UPA काल मे प्रतिदिन 7 किमी हाइवे बनते थे। गडकरी अंकल ने हाइवे को दो टुकड़ा किया। आते का अलग गिना, जाते का अलग। तो उसी सात किमी को आप 14 गिनने लगे। 

      फोरलेन में 2 आने की रोड, दो जाने की। हो गया 28 किमी प्रतिदिन। ताजा 22-25 किमी डेली का आंकड़ा है। याने रोड असल मे बनती है 5 साढ़े पांच किमी। UpA से डेढ़ दो किमी कम। 

     लेकिन प्रेजेंटेशन के हिसाब से गडकरी 4 गुना ज्यादा एफिशिएंट मंत्री हैं। हर भक्त आपको इंफ्रा का गीत गाता मिलेगा।  उल्लू बना हुआ है, और खुश है। 

ईयर टू ईयर, या तिमाही टू तिमाही वाली टर्म्स में बात करें। पिछले साल इसी तिमाही में 100 रुपये का टैक्स आया, इस साल 105, तो ग्रोथ हुई 5%। लेकिन 2 साल पहले 120 रुपये का आया था, वो थोड़ी बताएंगे। YOY ग्रोथ केवल पिछले साल की तुलना में बताई जाती है। 

      सबसे गजब तो देश का बजट है। UpA टाइम में 12 लाख करोड़ का था। वो सेंटर का होता था। इसके अलावे हर स्टेट का बजट अलग था। GST के बाद टैक्स सेंटर लेने लगा। स्टेट टैक्स सेंट्रल इनकम में जुड़ गए। खट से बजट 28 लाख करोड़ हो गया। रातोरात देश की इनकम डबल,

देखा मैजिक?

अब पॉपुलेशन ग्रोथ पर आ जाइये। 108 करोड़ हैं हिन्दू जो 2.13 की परसेंट ग्रोथ कर रहे हैं। 24 करोड़ मुस्लिम 2.61% की रफ्तार से बढ़ रहे हैं। 

मुस्लिम की रफ्तार ज्यादा है। डर गए?? वही डराया भी जा रहा है। डरिये।  

लेकिन थोड़ा हिसाब भी कर लीजिये। 108 करोड़ का 2.13% निकाल लीजिए, और फिर 24 करोड़ का 2.61 पसरेंट। अजी 60 लाख मुस्लिम पैदा होंगे, तो ढाई करोड़ हिन्दू। याने एक मुस्लिम के पीछे चार हिन्दू पैदा कर रहे हो। ऊपर से CAA लगाकर पाकिस्तान बंगलादेश और अफगानिस्तान से भी आयात कर रहे हो। फिर भी खतरे में हो ?  पगला गए हो ?? 

आखरी में चेरी ऑन द केक। जीडीपी ग्रोथ। 

मोदी सरकार ने आते ही, GDP गणना का बेस ईयर बदल दिया। बेस ईयर वह, जिसमे मंदी की वजह से ग्रोथ डाउन हुई थी। याने छोटी सी ग्रोथ को मानक मानकर, आगे के वर्ष मापने लगे। 6-7-8% दिखता रहा। ओल्ड मानक रखते तो 2 ढाई% से अधिक ग्रोथ नही हुई कभी।  मगर जनता 8 साल से उल्लू बन रही है। 

      ये कोर्स लम्बा है। जहां हाथ रखो, भरभराकर ठगी के आंकड़े गिरते हैं। पर यह पोस्ट सरकार विरोधी नही। यह तो एक बदमाश एम्प्लॉयी पर नजर रखने का एग्जाम्पल भर है। 

       जो बोर्डरूम में, रिव्यू में आपको पीपीटी में ग्रोथ को कभी परसेंट में, कभी YOY में, कभी मानक में फेरबदल करके, बड़े बड़े आंकड़े पाई बार ग्राफ दिखाकर उल्लू बनाता है। हांफते हुए बताता है कि आज सुबह वह 40 लाख करोड़ नैनोमीटर चलकर आया है, जो असल मे 40 मीटर है।

     तो ठगबाज नौकर से अपने बिजनेस को, देश को बचाना सच में चाहते हैं, तो ये पोस्ट चार बार पढ़ें। हाउ टू मेक उल्लू एंड ठगिंग पीपुल की तकनीक समझना आसान नही है।

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