पुष्पा गुप्ता
_अब्राहम लिंकन ने कहा है- लोकतन्त्र जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन है._
लोकतन्त्र का आधार — स्वतन्त्रता, समानता और न्याय है.अभिव्यक्ति और स्वतन्त्र विचारोक्ति का मुद्दा सदैव बहस का रहा है.
मेरे प्रतिसंवेदन से कोई मुझे विशेष दल का विरोधी या समर्थक न समझे क्योंकि हम जागरूक नागरिक हैं. सरकार और प्रशासन की आलोचना या समालोचना नागरिक का राजनीतिक अधिकार है.
इधर के वर्षों में जिस तरह से अधिव्यक्ति की आजादी को एक क्राइम का रूप दिया जा रहा है ये अत्यंत शोचनीय है. ऐसी कमियाँ जो घातक हैं.
अगर कोई अंदर से निकाल कर ला रहा है या तो वह देशद्रोही हो जा रहा है या सलाखों के पीछे. मीडिया को लोकतन्त्र का सजग प्रहरी कहना चाहिए वह तो प्रशासन की भोंपू
दिखाई देती है जो निष्पक्ष हैं वे अपवाद हैं.
_जो बाहर कहीं से कुछ लाते भी हैं तो अपनी जान जोखिम में लिए फिरते हैं कि कब एक ट्रक का धक्का लगा और गए. बेरोजगारी सुरसा की तरह मुँह बाये खड़ी है. अच्छी शिक्षा आदमी की पहुँच से बाहर._
अभी एक रिपोर्ट क़े अनुसार एमेजान में लाखों की छटनी की है. अगर विदेशों में छटनी होती है तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा.
_मँहगाई आसमान छू रही उस गति से आय तो नहीं बढ़ रही. संवैधानिक संस्थाएँ जिनके पास अपनी संवैधानिक पावर होती है कार्य करने की वे भी मौन दिखाई देती हैं._
कहना चाहिए की संस्थाए सत्ता की कटपुतली हो गई हैं. सांसदों को बोलने न दो, मँहगाई की बात न करो, सबको पकड़ कर जेल में ठूंसो.
_जब भी कोई गम्भीर समस्या आये, मंदिर मस्जिद खड़ा कर दो. ये तो वर्तमान की कुछ रेखाएँ खींची. ये तो कुछ हैं बहुत कुछ बाकी है._
{चेतना विकास मिशन)