अग्नि आलोक

अधर्म का नाश हो जाति का विनाश हो*(खंड-1)-(अध्याय-41)

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संजय कनौजिया की कलम”✍️

फासीवादियों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि भारतीय जनता उन्ही लोगों की बातों पर भरोसा जताती है, जिनकी मुट्ठी बंद होती है, जो साफ़ सुथरी छवि के होते हैं..शुरुआत में नरेंद्र मोदी, गुजरात मॉडल की झूठी शान और अपनी बंद मुट्ठी दिखाकर अपने लच्छेदार लोकलुभावन जुमले सुनाकर, देश कि भोली जनता को गुमराह करने में कामयाब हो गए थे..लेकिन पिछले 8 वर्षों में जनता देख चुकी है, कि प्रधानमंत्री मोदी की खुली मुट्ठी में क्या-क्या है..जैसे काठ की हड़िया बार-बार नहीं चढ़ा करती वैसे ही जुमले भी बार-बार नहीं चला करते.. प्रधानमंत्री आज भी भारतीय जनता को मूर्ख समझते हुए, 2014 के चुनावी भाषणों की तर्ज़ पर फिर से भ्रष्ट्राचार पर लच्छेदार जुमले फेंक रहे हैं..प्रधानमंत्री मोदी को और भाजपाइयों को यह भी समझते हुए तैयार रहना चाहिए, कि 2024 के लोकसभा में जनता के सवालों का जवाब किसी भी राज्य के मुख्यमंत्रियों को नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देना है..उन्हें अपने पिछले 10 वर्षों के कार्येकाल की उपलब्धियां बतानी होंगी..इसबार जनता उनसे पूछना चाहेगी, कि क्या आपने इन 10 वर्षों में, हर वर्ष 2 करोड़ बेरोजगारों को नौकरी दी ?, क्या काला धन वापस आया ?..क्या 15-15 लाख रुपए हर नागरिक को मिले, क्या महंगाई दूर हुई, क्या पैट्रोल-डीजल की कीमत 30-35 रुपए लीटर हुई, क्या घरेलू गैस की कीमत कम हुई ?..क्या आप एक सर के बदले पाकिस्तानियों के दस सर लाए ?..क्या आपने पुलवामा हादसे की जांच की ?..क्या आपने पाक-अधिकृत कश्मीर को भारत का अंग बनाया, जबकि आज चीन ने पाक-अधिकृत कश्मीर के कई महत्वपूर्ण जिलों में कब्ज़ा कर अपनी सेना खड़ी कर चुका है..बल्कि भारत के अरुणाचल और गलवान घाटी की हज़ारों किलोमीटर की जमीन पर आप के ही कार्येकाल में हड़प चुका है, लेकिन मुद्दत हो गई आपके मुख से चीन शब्द भी देश की जनता ने नहीं सुना..देश की चौपट हुई अर्थव्यवस्था पर, नोट बंदी के नफ़े-नुक्सान पर, आपके 56 इंच पर आपकी लाल आँखों पर देश की जनता द्वारा उठते सवालों पर, हर सवाल का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही देना है..2024 के चुनावों में भविष्य में क्या होगा से नहीं बल्कि पिछले 10 वर्षों में किये या ना किये गए कार्यों पर सफाई देने का वक्त होगा..प्रधानमंत्री मोदी खूब गरज़-गरज़ कर बोलते थे, कि में देश नहीं बिकने दूंगा..देश के अधिकतर सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों को, जनता ने आपको बेचते हुए देखा है..इसबार प्रधानमंत्री मोदी से जनता अपने सवालों की लम्बी फेहरिस्त का जवाबी भाषण सुनना चाहेगी, ना कि बेबुन्यादि जुमले..!
प्रधानमंत्री मोदी, सत्ता के शीर्ष पर बैठकर और अनुचित व गैर-संवैधानिक रूप से, सीबीआई-ईडी-इनकम टैक्स आदि संस्थाओं का दुरूपयोग कर, सम्पूर्ण विपक्ष पर झूठे, बे-बुनयादी आरोप मढ़ रहें हैं..और कहते हैं कि में भष्ट्राचारियों को नहीं छोडूंगा..आखिर यह प्रधानमंत्री किस मुँहू से कह रहे हैं..? इसबार जनता ने भी इन्ही सभी बातों को लेकर अपने सवालों के लिए कमर कसी हुई है..जनता इनके और इनके लोगों के तमाम घोटाले जो इन्होने बड़ी ही, साजिश के तहत सत्ता का दुरूपयोग कर दबा रखें है, जैसे आसाम के हेमंतविस्वा शर्मा जब तक कांग्रेस में थे घोटालों के आरोपी थे आपकी आधीनता स्वीकार कर ली, भाजपा के मुख्यमंत्री हो गए..कर्णाटक के येदुरप्पा का लैंड माइंस स्कैम, लेकिन वह भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं, रेड्डी ब्रदर्स पर 500 करोड़ के घोटाले पर कोई कार्येवाही नहीं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का व्यापम घोटाला कहाँ गुम हो गया पता नहीं, बंगाल के मुकुल राय का शारदा स्कैम, कुछ पता नहीं..रमेश पोखरियाल, रमेश राणे का मनीलॉन्ड्रिंग के बावजूद कहाँ गुजर-बसर हो रहा है, प्रधानमंत्री जी को कुछ पता नहीं..विजय माल्या, नीरव मोदी, मुकुल चौकसी जैसे भगोड़ों को अरबो-खरबो का घोटाले के बावजूद उन्हें देश से भगाने में किसकी मदद मिली, भले ही प्रधानमंत्री कहें पता नहीं, लेकिन जनता को तो पता है..राफेल घोटाले को दबवा दिया गया, लेकिन यह जनता के जहन में तरोताज़ा है..भाजपा के लगभग अधिकतर सांसद-मंत्रियों की फाइलें खंगाली जाएँ तो भ्रष्ट्राचार में लिप्त पाए जाएंगे..लेकिन उन पर कोई कार्येवाही नहीं ? आखिर क्यों..? यह सवाल जनता प्रधानमन्त्री से ही पूछेगी..जनता यह भी पूछेगी कि भाजपा राजनैतिक दल है या गंगा, जिसमे डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते है..आखिर भाजपा की आधीनता स्वीकार करने पर लोग दूध से धुले कैसे हो जाते हैं ?..क्या यह भ्रष्ट्राचार नहीं ?.. प्रधानमंत्री मोदी क्यों नहीं यह बात समझ पा रहे कि जिसके अपने दामन पाक-साफ़ होते है, वही किसी पर ऊँगली उठाते अच्छे लगते हैं..कोरोना संकट में पी.एम. केयर फंड का कोई हिसाब-किताब सार्वजनिक हुआ क्या ? जनता जानना चाहेगी कि आखिर उस राशि का अब तक क्या उपयोग किया गया ?
देश के कई राज्यों की जनता ने भाजपा को नकारा और अन्य दलों की सरकार बनाई, लेकिन प्रधानमंत्री के इशारे पर उनके प्रिय चाणक्य ने पहले जांच एजेंसियों द्वारा उन्हें गिरफ्तारी का भय दिखाया और बाद में पद और पैसो का लालच देकर वहां की चुनी हुई राज्यों की सरकारें गिराकर अपनी सरकार बनवा ली..यह गैर-संवैधानिक कृत्य को क्या उन राज्यों की जनता भूल जायेगी ?..पैसो और गिरफ्तारी का भय, के इस गंदे घिनोने नंगे नाच को क्या जनता नहीं समझ रही ?..मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और पहले गोवा, कल ही मणिपुर, बल्कि झारखण्ड सरकार को गिराने का मोदी सरकार का 1000 करोड़ का बजट, दिल्ली सरकार को गिराने का 800 करोड़ का बजट, बिहार के उत्थान व विकास के लिए कभी केंद्र ने एक रुपए की मदद नहीं करी..लेकिन वहां की सरकार को पलटने के हज़ारों करोड़ का बजट तय कर रखा था..आखिर यह सब पैसा है तो जनता के खून पसीने से पैदा किया हुआ, जनता पूछना चाहेगी कि इतनी बड़ी धन-राशि आप लोगों तक किन स्त्रोतों से पहुँचती है..क्या इस भ्रष्ट्राचार के मोदी मॉडल को, जनता स्वीकार कर लेगी ?..और विपक्ष को अस्वीकार ?..यही मुंगेरी लाल वाले हसींन सपने, मोदी सहित भाजपा को भी ले डूब रहें हैं….

धारावाहिक लेख जारी है
(लेखक-राजनीतिक व सामाजिक चिंतक है)

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